कश्मीर से लेकर मणिपुर तक दिखा चुके हैं अपनी बहादुरी के जौहर, जानें आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी के बारे में

Lt Gen Upendra Dwivedi: लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी भारतीय सेना का नेतृत्व कर रहे हैं. वह साहस और रणनीति की मिसाल हैं. करीब चार दशकों के अपने सेवाकाल में उन्होंने कश्मीर से लेकर मणिपुर और असम तक मोर्चे पर डटकर लड़ाई लड़ी है. जनरल द्विवेदी ने 15 दिसंबर 1984 को जम्मू-कश्मीर राइफल्स की 18वीं बटालियन से अपने सैन्य करियर की शुरुआत की.;

( Image Source:  @indiannavy, @Satya_Swara )

Lt Gen Upendra Dwivedi: भारतीय सेना ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान को लगातार करारा जवाब दे रही है. आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी सेना लगातार सीमावर्ती इलाकों पर हमले की कोशिश कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस पूरी घटना पर नजर बनाए हुए हैं. पीएम मोदी थल, जल और वायु तीनों सेना के प्रमुख के साथ बैठकें कर रहे हैं. शनिवार को भी बैठक की गई.

पीएम मोदी ने आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीडीएस अनिल चौहान, एनएसए अजीत डोभाल, सशस्त्र बलों के चीफ और अधिकारी भी शामिल हुए. इनमें देश के थलसेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी शामिल हुए. आज पर आपको उनके बारे में बताएंगे.

लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी के बहादुरी के किस्से

लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी भारतीय सेना का नेतृत्व कर रहे हैं. वह साहस और रणनीति की मिसाल हैं. द्विवेदी भारतीय सेना एक ऐसे नेता के हाथ में है जो न सिर्फ युद्ध का अनुभव रखते हैं, बल्कि दुश्मन की चालों को भांपकर उसे उसी की भाषा में जवाब देने की क्षमता भी रखते हैं.

मैदान का मर्द- जहां गोली चली, वहां डटे रहे

  • जनरल द्विवेदी ने 15 दिसंबर 1984 को जम्मू-कश्मीर राइफल्स की 18वीं बटालियन से अपने सैन्य करियर की शुरुआत की. अब वह भारतीय सेना के 30वें प्रमुख हैं. करीब चार दशकों के अपने सेवाकाल में उन्होंने कश्मीर से लेकर मणिपुर और असम तक मोर्चे पर डटकर लड़ाई लड़ी है.
  • कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक के दौरान उन्होंने आतंकियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की.
  • मणिपुर में ऑपरेशन राइनो का नेतृत्व कर पूर्वोत्तर में उग्रवाद पर चोट की.
  • असम राइफल्स में IG की भूमिका निभाई और कई आतंकी नेटवर्क्स को ध्वस्त किया.

अंतरराष्ट्रीय अनुभव और टेक्नोलॉजी के योद्धा

जनरल द्विवेदी सिर्फ जमीन पर जंग लड़ने वाले कमांडर नहीं, बल्कि भविष्य की सेना की परिकल्पना करने वाले रणनीतिकार भी हैं. उन्होंने UN शांति मिशन (UNOSOM II) में सोमालिया में सेवा दी और सेशेल्स में भारत के सैन्य अटैची के रूप में भारत का परचम फहराया. उत्तर कमान, जो पाकिस्तान और चीन दोनों से सटी है, उसका सफल आधुनिकीकरण उन्हीं की अगुवाई में हुआ. आत्मनिर्भर भारत के तहत उन्होंने स्वदेशी हथियारों और टेक्नोलॉजी को सेना में लागू किया.

दो मोर्चों की साजिश को किया बेनकाब

जनरल द्विवेदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा था, हमें पाकिस्तान और चीन की मिलीभगत को अब रणनीतिक खतरे के रूप में स्वीकार करना होगा. पाकिस्तान के सैन्य संसाधनों का अधिकतर हिस्सा चीनी मूल का है. दोतरफा खतरे की तैयारी जरूरी है. ये बयान सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक सैन्य रोडमैप का हिस्सा है जिसमें भारत को दो मोर्चों पर तैयार करने की सोच है.

पढ़ाई से लेकर नेतृत्व तक

  • जनरल द्विवेदी ने सैनिक स्कूल रीवा से शिक्षा पूरी की. फिर NDA और IMA से ट्रेनिंग की.
  • अमेरिका के यूएस आर्मी वॉर कॉलेज से Distinguished Fellow’ की डिग्री हासिल की.
  • उन्होंने रक्षा और प्रबंधन में एम.फिल. दो मास्टर्स डिग्रियां- जिनमें एक रणनीतिक अध्ययन में, दूसरी सैन्य विज्ञान में शामिल हैं.
  • जनरल द्विवेदी को परम विशिष्ट सेवा मेडल (PVSM), अति विशिष्ट सेवा मेडल (AVSM) और तीन बार GOC-in-C प्रशस्ति पत्र सम्मानित किया गया है.
  • उनकी पत्नी सुनीता द्विवेदी विशेष बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था 'आरुषि' से जुड़ी रही हैं. उनकी दोनों बेटियां भी समाजसेवा में सक्रिय हैं.
  • जनरल उपेंद्र द्विवेदी केवल एक सेना प्रमुख नहीं, बल्कि युद्धकाल में भारत की उम्मीद और आत्मविश्वास का चेहरा हैं.
  • उनकी अगुवाई में भारतीय सेना ना केवल हर गोली का जवाब दे रही है, बल्कि यह भी तय कर रही है कि अगली गोली दुश्मन चलाने की हिम्मत न कर सके.

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