नाबालिग पत्‍नी के साथ सहमति से संबंध बनाना भी रेप; समझें बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला

नागपुर स्थित बॉम्बे हाई कोर्ट की पीठ ने हाल की एक फैसला सुनाया है जिसमें कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी जो 18 वर्ष से कम है उसके साथ सहमति से सेक्स करता है तो उसे भी बलात्कार के अपराध के लिए दोषी ठहराया जा सकता है. भले ही पत्नी सहमित हो या न हो.;

Edited By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 15 Nov 2024 11:16 AM IST

नागपुर स्थित बॉम्बे हाई कोर्ट की पीठ ने हाल ही में महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी, 18 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ सहमति से सेक्स करता है तो वह रेप में माना जाता है. इस निर्णय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (बलात्कार) के तहत एक महत्वपूर्ण पहलू को सामने रखा. भारतीय कानून के तहत, 18 वर्ष से कम आयु की लड़की को कानूनी रूप से नाबालिग माना जाता है. इसके अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अपनी नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध बनाता है, तो यह बलात्कार के तहत अपराध माना जाएगा, चाहे वह सहमति से ही क्यों न हो?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, 12 नवंबर को जारी आदेश में जज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्धारित कानून को मद्देनजर यह बात स्वीकार नहीं की जा सकती है कि अपीलकर्ता की पीड़ित पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना रेप या यौन हिंसा नहीं माना जाएगा. उन्होंने कहा कि 18 साल से कम आयु की लड़की के साथ संबंध बनाना रेप है फिर चाहे वह शादीशुदा हो या नहीं, पीठ ने निचली अदालत की ओर से आरोपी को सजा और 10 साल के कठोर कारावास को बरकरार रखा है.

18 वर्ष से कम पत्नी के साथ यौन संबंध रेप

जज ने कहा कि पत्नी के साथ सहमति से यौन संबंध बनाने का बचाव तब उपलब्ध नहीं होता, जब पत्नी या लड़की जिसे कथित तौर पर पत्नी कहा जाता है उसकी आयु 18 वर्ष से कम हो. आगे उन्होंने कहा कि 18 वर्ष से कम आयु की पत्नी के साथ बिना सहमति से संभोग करना रेप है.

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए, पत्नी के साथ सहमति से यौन संबंध बनाने का बचाव स्वीकार नहीं किया जा सकता है. भले ही तर्क के लिए यह मान लिया जाए कि उसके बीच तथाकथित विवाह था. लेकिन पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों को ध्यान में रखते हुए उसकी सहमति के बिना संभोग है. यह रेप माना जाएगा.

शिकायत में क्या?

यह मामला वर्धा जिले की निचली अदालत द्वारा 9 सितंबर, 2021 को सुनाए गए फैसले से जुड़ा हुआ है, जिसमें एक व्यक्ति को बलात्कार और POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) Act के तहत दोषी ठहराया गया था. इस फैसले को चुनौती देने वाली आपराधिक अपील पर सुनवाई बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ द्वारा की जा रही थी.

अपीलकर्ता को 25 मई, 2019 को गिरफ्तार किया गया, जब शिकायतकर्ता नाबालिग लड़की, जो उस समय 31 सप्ताह की गर्भवती थी, उसने उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया था. लड़की का मामला था कि दोनों के बीच प्रेम संबंध थे और अपीलकर्ता ने उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाए. बाद में शादी करने का झूठा वादा करके इसे जारी रखा. वह गर्भवती हो गई और उसने अपीलकर्ता से शादी करने का अनुरोध किया. हालांकि, उसने एक घर किराए पर लिया और वहां पड़ोसियों की मौजूदगी में उसके साथ माला का आदान-प्रदान किया और उसे विश्वास दिलाया कि वह उसकी पत्नी है.

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