बच्‍चे डाल-डाल तो गुरु पात-पात! छात्रों के AI इस्‍तेमाल और Plagiarism से ऐसे निपट रहे स्‍कूल-कॉलेज

एआई की मदद बच्चे अपना स्कूल और कॉलेज के असाइनमेंट भी बनाने लगे हैं. इससे उनकी क्रिएटिविटी कम हो जाती है. इस पर दिल्ली विश्वविद्यालय के टीचर ने कहा कि एआई पढ़ाई के लिए मददगार टूल हो सकता है. लेकिन इस पर अत्यधिक निर्भरता हानिकारक है.;

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Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 9 Nov 2024 12:41 PM IST

Schoole-College Student Use AI: दुनिया भर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. एआई ने हमारी जिंदगी को बहुत आसान हो गया है. लेकिन बच्चों में उसका उपयोग कितना सही है? एआई की मदद बच्चे अपना स्कूल और कॉलेज के असाइनमेंट भी बनाने लगे हैं. इससे उनकी क्रिएटिविटी खत्म होने का खतरा बढ़ रहा है और उनके मानसिक विकास पर प्रभाव पड़ता है.

चैट-जीपीटी की मदद से कुछ ही सेकेंड में प्रश्न के उत्तर प्राप्त किए जा सकते हैं. लेकिन उसका बच्चों के ज्ञान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. इससे दिल्ली के स्कूलों और कॉलेजों के प्रशासकों की चिंता बढ़ गई है और उन्होंने एक नया तरीका अपनाया है.

द इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के खिलाफ एक लॉ स्टूडेंट कोर्ट पहुंच गया है. छात्र ने असाइनमेंट बनाने के लिए एआई का उपयोग किया. एआई की सहायता लेने के लिए परीक्षा में उसे फेल कर दिया गया.

कोर्ट पहुंचा एआई मामला

रिपोर्ट के मुताबिक लॉ स्टूडेंट ने यूनिवर्सिटी के खिलाफ पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का रुख किया. गुरुवार को विश्वविद्यालय ने कहा कि लॉ स्टूडेंट इस मामले पर सोशल मीडिया और ऑमलाइन मीडिया में गलत, भ्रामक बयानबाजी कर रहे हैं. इससे जनता की राय और इस तरह निर्णय लेने को प्रभावित करना गलत है. कोर्ट ने पाया कि छात्र नकल में शामिल है और उसने एआई के आधार पर परीक्षा में 88 फीसदी तक नकल की है, जबकि न तो कोई प्रावधान है और न ही बार-बार अनुरोध के बाद भी याचिकाकर्ता को यह उपलब्ध कराया गया.

एआई यूज को लेकर स्कूल-कॉलेज की राय

पढ़ई में एआई के इस्तेमाल पर कई दिल्ली के कई स्कूल-कॉलेज के शिक्षकों में अपनी प्रतिक्रिया दी है. दिल्ली विश्वविद्यालय में, साउथ कैंपस के निदेशक श्रीप्रकाश सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय की पारंपरिक पेन-एंड-पेपर परीक्षाओं पर निर्भरता वर्तमान में एआई साहित्यिक चोरी की चिंताओं को सीमित करती है. उन्होंने कहा कि एआई पढ़ाई के लिए मददगार टूल हो सकता है. लेकिन इस पर अत्यधिक निर्भरता हानिकारक है. वहीं मिरांडा हाउस कॉलेज में प्रिंसिपल बिजयलक्ष्मी नंदा ने कहा कि "विदेशों में छात्रों का परीक्षण करने के लिए नए तरीके लेकर आई है और निकट भविष्य में हम भी ऐसा ही करेंगे." "हमें शिक्षा में एआई के उपयोग को मजबूत करने के लिएएक नैतिक प्रोटोकॉल की आवश्यकता है."

बच्चों के व्यावहारिक कौशल में सुधार

गौतम बौद्ध नगर में लॉयड इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग के वरिष्ठ निदेशक राजीव अग्रवाल ने कहा कि असाइनमेंट में केवल सिद्धांत के बजाय तकनीकी और व्यावहारिक कौशल पर जोर देना चाहिए. हमें यह भी सीखना चाहिए कि ज्ञान प्राप्त करने और प्राप्त करने के लिए एआई को कैसे शामिल किया जाए, लेकिन इसे सकारात्मक रूप से निपटने के लिए सीमाएं भी तय करनी चाहिए.

स्कूल-कॉलेज अपनाते हैं ये तरीके

द्वारका में आईटीएल पब्लिक स्कूल बच्चें हाथ और ऑनलाइन दोनों तरह से तैयार किए असाइनमेंट जमा करते हैं, यह एआई डिटेक्शन सॉफ्टवेयर उपयोग में है. प्रिंसिपल सुधा आचार्य ने बताया कि यह सॉफ्टवेयर एआई जनरेटेट सामग्री की पहचान करता है और मूल्यांकन के लिए एआई एनालिटिक्स का उपयोग करती है. उन्होंने कहा कि हम एआई का उपयोग करते हैं कि हमारे प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए किन तत्वों को बदला जा सकता है.

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