'पुरुषों को भी पीरियड होते तो...', सुप्रीम कोर्ट ने MP हाईकोर्ट को क्यों लगाई फटकार?

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को महिला सिविल जजों की सेवा समाप्त कर दी थी. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने HC को फटकार लगाई है, क्योंकि अपने फैसले में कुछ को बहाल करने से इनकार कर दिया. बेंच ने कहा कि जब जज मानसिक और शारीरिक रूप से पीड़ित हों तो केस निपटान दर कोई पैमाना नहीं हो सकता.;

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Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 4 Dec 2024 5:03 PM IST

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को महिला सिविल जजों की सेवा खत्म करने पर फटकार लगाई है. जस्टिस बीबी नागरत्ना ने कहा कि अगर पुरुषों को भी पीरियड होते तो वो समझ पाते. मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी.

जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने एमपी हाईकोर्ट की के फैसले की आलोचना की. जिसमें राज्य में महिला सिविल न्यायाधीशों की सेवाएं समाप्त कर दीं और उनमें से कुछ को बहाल करने से इनकार कर दिया. मामले की सुनवाई बी.वी. नागरत्ना और एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच कर रही थी. बेंच ने कहा कि जब 'न्यायाधीश मानसिक और शारीरिक रूप से पीड़ित हों तो केस निपटान दर कोई पैमाना नहीं हो सकता.'

हाईकोर्ट के फैसले पर SC की नाराजगी

कोर्ट ने एमपी हाईकोर्ट की जज अदिति शर्मा के मामले की सुनवाई की. इसने 2019 में उनकी नियुक्ति के बाद उनके काम के बारे में रिपोर्ट का हवाला दिया गया. जिसमें पता चला कि अपनी सेवा के 4 साल के दौरान उन्होंने अच्छा काम किया और कई बड़े फैसले लिए. लेकिन गर्भपात के बाद उनका कोविड टेस्ट पॉजिटिव आया था. बेंच ने बताया कि जज को ठीक होने का मौका नहीं दिया गया जबकि उनमें ऐसा करने की क्षमता थी, लेकिन उनकी सेवा को समाप्त कर दिया गया. जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि बर्खास्त-बर्खास्त कहना और घर चले जाना आसान है. हम भी इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, क्या वकील कह सकते हैं कि 'हम धीमे हैं.'

फैसले पर दोबार करेंगे विचार- SC

इससे पहले कोर्ट ने जुलाई, 2024 में हाईकोर्ट को प्रभावित जजों के अपील पर एक महीने के अंदर न्यायाधीशों की नौकरी समाप्त करने के फैसले पल पुनर्विचार के आदेश दिए थे. बेंच ने कहा कि पुरुष न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के लिए भी यही मानदंड होने चाहिए. हम तब देखेंगे और हम जानते हैं कि क्या होता है. कोर्ट ने कहा कि आप जिला न्यायपालिका के लिए मामले के निपटान को मानदंड कैसे बना सकते हैं? 'अगर पुरुषों को मासिक धर्म होता तब समझ आता.'

महिला जजों के काम पर उठाए सवाल

मध्य प्रदेश सरकार के राज्य विधि विभाग ने 6 सिविल जजों की सेवा समाप्त कर दी थी. जिसका कारण प्रशासनिक समिति और पूर्ण कोर्ट की बैठक में प्रोबेशन पीरियड के दौरान उनके काम के प्रदर्शन पर सवाल उठाए थे.

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