मामूली बात पर भड़की चिंगारी! 'I Love Muhammed' पर बवाल, कहां और क्यों? सच जानकर होंगे हैरान, पढ़ें पूरा किस्सा
पिछले कुछ दिनों के दौरान ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद ने देश के कई हिस्सों में बवाल खड़ा कर दिया. सोशल मीडिया पर वायरल आई लव मोहम्मद को लेकर यूपी और उत्तराखंड समेत अलग-अलग राज्यों में नारेबाजी, धरना-प्रदर्शन, एफआईआर और बयानबाजी का दौर जारी है. कहीं धार्मिक भावनाएं आहत होने की बात कही जा रही है, तो कहीं इसे सियासी रंग देकर माहौल गर्माने की कोशिश हो रही है.;
देश में छोटी-छोटी बातों को सांप्रदायिक रंग देने का मामला समय समय पर सामने आते रहते हैं. ऐसा ही एक मामला 4 सितंबर को उत्तर प्रदेश के कानपुर में बारावफात (ईद मिलाद-उन-नबी) के मौके पर सामने आया. यह मामला आई लव मोहम्मद से जुड़ा था. देखने, सुनने और समझने में यह बहुत छोटा मामला है, लेकिन इसे गंभीर बनाने की कोशिश हुई. हालांकि, पुलिस ने इस मामले को मौका रहते संभाव लिया. इसके बावजूद इसको लेकर कई शहरों मे प्रतिक्रिया हुई. यहां तक कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात और अन्य राज्यों में भी इसको बयान जारी किए गए. आखिर इस विवाद की शुरुआत कहां से हुई, क्यों फैला और अब तक पुलिस व प्रशासन ने क्या कदम उठाए- पढ़ें पूरी डिटेल.
'आई लव मोहम्मद' का बैनर लगाने को लेकर हुए विवाद के बाद यूपी और देश के कई शहरों में मुसलमानों ने प्रदर्शन किए. अलग-अलग शहरों में कुछ एफआईआर दर्ज हुईं. कुछ लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई. लोगों का आरोप है कि पुलिस मुसलमानों को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के लिए निशाना बना रही है.
कहां से हुई विवाद की शुरुआत?
आई लव मोहम्मद विवाद की शुरुआत 4 सितंबर को उत्तर प्रदेश के कानपुर से हुई थी. घटना का मूल कारण था कि रावतपुर और सैय्यद नगर मोहल्ले में 4 सितंबर 2025 को बारावफात यानी मिलाद‐उन‐नबी के जुलूस के दौरान एक पोस्टर लगाया गया जिस पर लिखा था 'I Love Mohammad'. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस पोस्टर को लगाने की इजाजत पुलिस ने नहीं ली गई थी. इसके बावजूद पोस्टर सार्वजनिक जगह पर लगाए गए.
स्थानीय लोगों, खासकर दूसरे समुदायों (Hindutva संगठनों से जुड़े लोग) ने इस बैनर या पोस्टर को नई परंपरा मानते हुए आपत्ति जताई. पुलिस ने मामला बढ़ने पर पोस्टर को सड़क किनारे वाले स्थान से हटा कर कार्यक्रम स्थल के करीब लगाया गया.
24 के खिलाफ पुलिस ने दर्ज की FIR
कानपुर पुलिस ने इस मामले में रावतपुर थाना में 9 सितंबर को एफआईआर दर्ज की, जिसमें सैय्यद नगर के कुछ लोगों को नामजद किया गया था. एफआईआर में कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया. अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस विवाद को बढ़ावा देने में शराफत हुसैन, शबनूर आलम, बाबू अली, मोहम्मद सिराज, फजलू रहमान, इकराम अहमद, इकबाल, बंटी, कुन्नू कबाड़ी आदि शामिल हैं. 15 अन्य अज्ञात का भी नाम एफआईआर में शामिल हैं.
धर्म के नाम पर नई परंपरा शुरू करने का आरोप
कानपुर पुलिस की FIR में 'I Love Muhammad' बोर्ड्स लगाने और एक टेंट सड़क पर लगाकर नई परंपरा शुरू करने का आरोप है. आरोप है कि इस कार्रवाई से साम्प्रदायिक सौहार्द प्रभावित हो सकती थी.
कानपुर के डीसीपी वेस्ट दिनेश त्रिपाठी ने एक बयान में कहा, "थाना क्षेत्र रावतपुर में बारावफात का परंपरागत जुलूस निकलना था. मोहल्ले के लोगों ने परंपरागत स्थान से अलग एक टेंट और आई लव मोहम्मद का बैनर लगा दिया. एक पक्ष ने इसका विरोध किया. बाद में दोनों पक्षों में आपसी सहमति से बैनर को परंपरागत स्थान पर लगवा दिया गया."
उन्होंने कहा कि एफआईआर 'आई लव मोहम्मद' के लिखने या बैनर को लेकर नहीं की गई है बल्कि परंपरागत स्थान से हटकर टेंट लगाने और जुलूस के दौरान एक पक्ष के द्वारा दूसरे पक्ष के पोस्टर फाड़ने को लेकर हुई है. इस पहला का 'दूसरे समुदाय ने विरोध किया. ये एफआईआर जुलूस के दौरान तैनात रहे पुलिसकर्मियों की तरफ से कराई गई है. एफआईआर में ये दावा भी किया गया है कि जुलूस के दौरान दूसरे समुदाय के धार्मिक पोस्टर भी फाड़ दिए गए. रावतपुर थाने में एफआईआर बीएनएस की धारा 196 और 299 के तहत दर्ज की गई. कानपुर पुलिस के मुताबिक इस घटना के संबंध में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है. इस बीच कानपुर में 'आई लव मोहम्मद' के बैनर विवाद और एफआईआर को लेकर सोशल मीडिया पर आक्रोश जाहिर किया गया. कई शहरों में इसे लेकर प्रदर्शन भी हुए.
कानपुर के बाद कहां-कहां मचा बवाल
- बरेली: बरेली की दरगाह आला हजरत ने इस मामले को लेकर 16 सितंबर 2025 को एक फरमान जारी किया था.
- भदोही: यूपी के भदोही में जुलूस के दौरान भड़काऊ नारेबाजी हुई.
- लखनऊ: लखनऊ में कई महिलाओं ने हाथ में 'आई लव मोहम्मद' का बैनर लेकर विधानसभा के गेट नंबर चार के सामने प्रदर्शन किया. इन महिलाओं का नेतृत्व सपा नेता और दिवंगत शायर मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया राणा कर रही थीं. बीबीसी ने सुमैया राणा के हवाले से कहा, 'कई युवा भी इस प्रदर्शन में शामिल होना चाह रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया. पैगंबर मोहम्मद ने पूरी दुनिया को शांति का संदेश दिया. आज उनसे मोहब्बत के इजहार को जुर्म ठहराया जा रहा है. लोग अपने नाम के साथ कट्टर हिंदू लिखते हैं, तब कोई कार्रवाई नहीं होती लेकिन अगर मुसलमान अपने पैगंबर का नाम भी लिखते हैं तो पुलिस दमन करती है. मुसलमानों को उनके धर्म की वजह से निशाना बनाया जा रहा है और हम इसे ही खिलाफ हैं.'
- उन्नाव: कानपुर में दर्ज एफआईआर के विरोध में उन्नाव में भी जुलूस निकाला गया. लोगों ने पुलिस पर पथराव किया. इसके बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है और पांच लोगों को गिरफ्तार किया. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई. यूपी के उन्नाव के अपर पुलिस अधीक्षक (उत्तरी) अखिलेश सिंह के मुताबिक, "उन्नाव में धारा 163 लागू है जिसके तहत बिना अनुमति के कोई जुलूस या प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है. गंगा घाट इलाके में बिना अनुमति के जुलूस निकाला जा रहा था. जब पुलिस वहां पहुंची तो कुछ महिलाओं और बच्चों ने सरकारी कार्य में बाधा डालने का प्रयास किया. इस संबंध में पांच लोगों को हिरासत में लिया गया.
- बहराइच: यूपी के बहराइच जिले की कैसरगंज तहसील में एसडीएम को ज्ञापन देने वाले युवाओं के समूह पर भी मुकदमा किया गया है.
- अलीगढ़: यूपी के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष फैज़ुल हसन के अनुसार हमने शांतिपूर्ण मार्च किया और आई लव मोहम्मद का बैनर लगाने पर एफआईआर का विरोध किया. हमने कोई नारेबाजी नहीं की और ना ही कोई कानून तोड़ा. बाद में हमें पता चला कि हम पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. फैजुल हसन ने अब इस एफआईआर को रद्द कराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.
- उत्तराखंड: यूपी के कानपुर से आगाज के बाद उत्तराखंड के काशीपुर में यह बड़ा बवाल हुआ. कानपुर में पुलिस ने तीन के खिलाफ नामजद और 500 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज किया. मुस्लिम समुदाय का दावा है कि यह विवाद “I Love Mohammad” पोस्टर लगाने या बोर्ड लगाने की वजह से हुआ. यह उनके धार्मिक भावनाओं का अपमान है. कुछ मुस्लिम समूहों ने यह मांग की है कि जिन अभियुक्तों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं, उन पर दर्ज एफआईआर वापस ली जाए. समुदाय का यह तर्क है कि “I Love Mohammad” कहना या पोस्टर लगाना कोई अपराध नहीं होना चाहिए.कानपुर में जिला प्रशासन, नगर निगम और बिजली विभाग की टीमों को भी तैनात किया गया है. एसएसपी ने बताया कि ये देखा जा रहा है कि कहीं कोई अवैध गतिविधि तो नहीं चल रही है. स्थानीय नेताओं और प्रोटेस्ट में शामिल लोगों से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
आई लव मोहम्मद पर पुलिस का स्टैंड क्या है?
इस मामले में यूपी और उत्तराखंड पुलिस का कहना है कि आई लव यू मोहम्मद को लेकर निकाले गए प्रदर्शन, पोस्टर और धरने की इजाजत नहीं ली गई थी. यही कारण है कि पुलिस ने कानून-व्यवस्था की दृष्टि से मामला दर्ज किया. यह मामला केवल बैनर लगाने का नहीं है बल्कि सार्वजनिक स्थान पर गेट या टेंट लगाना और नई परंपरा स्थापित करना जैसे पहलू हैं. पुलिस ने लोगों को भरोसा दिया है कि यदि कोई निर्दोष है तो उसकी कोई गलती मानकर बेकसूर कार्रवाई नहीं होगी. जांच निष्पक्ष होगी. शांति बनाए रखने के लिए सतर्कता बरती जा रही है. धारा 144 लगने की स्थिति बनी, प्रदर्शनकारियों से अपील की गई है कि वे कानून के दायरे में ही अपनी बातें रखें.
मुसलमानों की प्रतिक्रिया की वजह
कानपुर के घटनाक्रम के बाद सिर्फ यूपी ही नहीं कई और राज्यों में भी प्रदर्शन हुए हैं. उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और गुजरात में भी आई लव मोहम्मद के मुद्दे पर लोगों ने आक्रोश जाहिर किया है.सोशल मीडिया पर मुसलमान आई लव मोहम्मद की तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं और अपनी भावनाएं जाहिर कर रहे हैं. बड़ी तादाद में लोगों ने इस पोस्टर को प्रोफाइल तस्वीर भी बनाया है. मुसलमानों के भीतर अलग-थलग हो जाने की भावना का मजबूत होना है.
किसने क्या कहा?
यूपी सरकार में मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि कानून से किसी को खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा. घटना की सूचना मिलने पर कड़ी कार्रवाई की गई है, कई को गिरफ्तार किया गया है. आगे भी जांच करके सख्त कार्रवाई की जाएगी.
एआईएमआईएम के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने 15 सितंबर को कानपुर पुलिस को टैग करते हुए एक्स पर लिखा, "आई लव मोहम्मद, कानपुर पुलिस ये जुर्म नहीं है. अगर है तो उसकी हर सजा मंजूर है." ओवैसी ने अपनी पोस्ट में लिखा, "तुम पर मेरी लाख जान क़ुर्बान या रसूल."
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी सवाल करते हैं कि अगर पैगंबर मोहम्मद से मोहब्बत जाहिर करने पर मुकदमा हो रहे हैं तो क्या भारत के तीस करोड़ मुसलमानों पर मुकदमे दर्ज किए जाएंगे, क्योंकि हर मुसलमान पैगंबर मोहम्मद से अपनी जान से ज्यादा मोहब्बत करता है. क्या मुसलमान युवाओं को बिना मंजूरी के जुलूस नहीं निकलना चाहिए, ऐसा करने वो कानून के चक्कर में फंस सकते हैं. प्रशासन मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए आमादा है, इसलिए ही लोगों को संभलकर अपनी भावनाएं जाहिर करने की जरूरत है.
यूपी बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी के मुताबिक 'आस्था के आधार पर किसी को टारगेट नहीं किया जा रहा' है, जो कानून तोड़ेगा उस पर कार्रवाई होगी ही. किसी को उनकी आस्था के आधार पर टारगेट नहीं किया जा सकता. ना किसी मजहब नारे से किसी को कोई आपत्ति है, लेकिन कोई भी ऐसा नारा या स्लोगन अगर कानून के दायरे को पार करेगा तो पुलिस अपना काम करेगी. कोई भी पोस्टर, बैनर या स्लोगन कहां लिखा जाता है, इसके लिए स्थान निर्धारित है. अगर उसका उल्लंघन हो रहा है और बिना अनुमति के लगाया जा रहा है तो कार्रवाई होगी. जानबूझकर एक अभियान बना कर लोगों की भावनाओं को भड़काने का प्रयास किया जा रहा है, जो ठीक नहीं है.
आई लव मोहम्मद क्यों बना मुद्दा?
- मीडिया, सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों के जरिए ‘I Love Mohammad’ अफवाहों पर जोर दिया गया.
- यूपी और उत्तराखंड पुलिस का कहना है कि मामला बैनर लगाने के रूप से नहीं बल्कि अन्य कानूनी उल्लंघनों के चलते दर्ज हुआ.
- धार्मिक भावनाओं की वजह से लोगों तुरंत प्रतिक्रिया दी. ‘I Love Mohammad’ जैसे शब्दों को कुछ लोग धार्मिक अपमान के रूप में लेते हैं, जिसके चलते मामला गंभीर हो गया.
- कुछ राजनीतिक नेता और संगठनों ने इस मामले को हाशिये पर नहीं रहने दिया, बयानबाजी बढ़ाई, जिससे विवाद को और बढ़ावा मिला.
- बहुत से लोगों को यह नहीं पता कि सार्वजनिक स्थानों पर धरना और प्रदर्शन करने के लिए पुलिस से इजाजत की जरूरत होती है. यही वजह है पुलिस की छोटी सी कार्रवाई को लोग ‘आजादी’ का हनन मान लेते हैं.
- आई लव मोहम्मद कई राज्यों में विवाद को बढ़ावा मिलना, वीडियो और पोस्टर का वायरल होने की घटनाओं इस मसले को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया.
- पुलिस की अपील लोग समझदारी से काम लें. दूसरों के बहकावे न आएं. पहले सच्चाई को जानने की कोशिश करें.