भारत में कैसे होता है राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन और चुनाव आयोग कैसे करता है पार्टियों को डीलिस्ट? जानिए पूरी प्रक्रिया
भारत में राजनीतिक दल का पंजीकरण निर्वाचन आयोग के तहत नियमों के अनुसार होता है, जिसमें पार्टी के संविधान, सदस्यों की सूची और सार्वजनिक घोषणा शामिल होती है. हाल ही में चुनाव आयोग ने कई निष्क्रिय या फर्जी राजनीतिक दलों को सूची से हटाया है, जो न तो चुनावों में हिस्सा ले रहे थे और न ही जरूरी विवरण जमा कर रहे थे. इन दलों पर टैक्स छूट के दुरुपयोग और पारदर्शिता की कमी के आरोप भी लगे हैं. यह कार्रवाई भारतीय चुनाव व्यवस्था में सुधार और पारदर्शिता बनाए रखने की दिशा में उठाया गया कदम है.;
How To Register a Political Party: भारत में राजनीतिक पार्टी का पंजीकरण लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India - ECI) के साथ किया जाता है. यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि राजनीतिक दल भारत के संविधान और चुनावी नियमों का पालन करें.
हाल ही में चुनाव आयोग ने कई गैर-क्रियाशील या अवैध रूप से संचालित हो रही पार्टियों को डीलिस्ट (de-register) या अप्रूवल लिस्ट से हटाने का निर्णय लिया है. आइए जानते हैं कि भारत में किसी पॉलिटिकल पार्टी का रजिस्ट्रेशन कैसे होता है और चुनाव आयोग कब और क्यों पार्टियों को बाहर करता है...
पॉलिटिकल पार्टी पंजीकरण की प्रक्रिया
आवेदन पत्र (Proforma)
- पार्टी को निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित प्रपत्र में आवेदन करना होता है.
- यह प्रपत्र आयोग की वेबसाइट (hindi.eci.gov.in) से डाउनलोड किया जा सकता है या आयोग के कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है.
- आवेदन पत्र को पार्टी के लेटरहेड पर टाइप कर, पंजीकृत डाक से या व्यक्तिगत रूप से सचिव, भारत निर्वाचन आयोग, निर्वाचन सदन, अशोक रोड, नई दिल्ली-110001 को पार्टी गठन के 30 दिनों के भीतर जमा करना होता है.
प्रोसेसिंग शुल्क
आवेदन के साथ ₹10,000 का डिमांड ड्राफ्ट जमा करना अनिवार्य है, जो अवर सचिव, भारत निर्वाचन आयोग के पक्ष में होना चाहिए.
पार्टी का संविधान
- पार्टी को अपना संविधान तैयार करना होता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल होना चाहिए:
- पार्टी का नाम, उद्देश्य, और कार्यप्रणाली.
- संगठनात्मक ढांचे में विभिन्न स्तरों पर चुनावों की प्रक्रिया, उनकी आवधिकता, और पदाधिकारियों की कार्यावधिय
- पार्टी के विलय या विघटन की प्रक्रिया
- संविधान में समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, और लोकतंत्र के प्रति निष्ठा का उल्लेख होना अनिवार्य है (लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A(5))
- संविधान की मुद्रित प्रति आवेदन के साथ जमा करनी होती है।
पार्टी के सदस्यों का विवरण
- कम से कम 100 सदस्यों की सूची, जो पंजीकृत मतदाता हों, जमा करनी होती है.
- प्रत्येक सदस्य का हलफनामा (प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट या शपथ आयुक्त के समक्ष) देना होता है, जिसमें यह घोषणा हो कि वे किसी अन्य पंजीकृत राजनीतिक दल के सदस्य नहीं हैं.
- पार्टी के अध्यक्ष या महासचिव द्वारा भी ऐसा हलफनामा देना होता है.
बैंक खाता और PAN
यदि पार्टी का बैंक खाता या स्थायी खाता संख्या (PAN) है, तो उसका विवरण देना अनिवार्य है.
पार्टी के नाम का प्रकाशन
- प्रस्तावित पार्टी का नाम दो राष्ट्रीय और दो स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित करना होता है, ताकि कोई आपत्ति हो तो उसका समाधान किया जा सके.
- नाम ऐसा नहीं होना चाहिए जो किसी मौजूदा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय पार्टी से मिलता-जुलता हो, क्योंकि इससे भ्रम हो सकता है.
आवेदन की जांच
निर्वाचन आयोग आवेदन और दस्तावेजों की जांच करता है. यदि सभी शर्तें पूरी होती हैं, तो पार्टी को पंजीकृत किया जाता है.
पंजीकृत दलों के लाभ
- प्रतीक आवंटन में प्राथमिकता: पंजीकृत दलों के उम्मीदवारों को निर्दलीय उम्मीदवारों की तुलना में चुनाव चिह्न आवंटन में प्राथमिकता मिलती है.
- मान्यता की संभावना: समय के साथ, यदि पार्टी निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 की शर्तों को पूरा करती है, तो उसे राज्य या राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता मिल सकती है.
- अन्य सुविधाएं: मान्यता प्राप्त दलों को मुफ्त मतदाता सूची, आकाशवाणी/दूरदर्शन पर प्रसारण समय, और केवल एक प्रस्तावक के साथ नामांकन दाखिल करने की सुविधा मिलती है.
17 पार्टियों का पंजीकरण रद्द
- हाल ही में भारत निर्वाचन आयोग ने 17 राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द किया है. इसका कारण इन दलों का निष्क्रिय होना, नियमों का पालन नहीं करना या उनकी गतिविधियां संदिग्ध पाया जाना है.
- आयोग समय-समय पर पंजीकृत दलों की समीक्षा करता है. यदि कोई दल न्यूनतम गतिविधि, जैसे चुनाव में भाग लेना या संगठनात्मक चुनाव कराना, नहीं दिखाता, तो उसका पंजीकरण रद्द हो सकता है.
- 2014 में आयोग ने नियम बनाया कि नए दलों के नाम मौजूदा राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय दलों से मिलते-जुलते नहीं होने चाहिए, ताकि मतदाताओं में भ्रम न हो.
- आयोग ने 2023 में नए दलों के पंजीकरण के लिए अतिरिक्त दिशा-निर्देश जारी किए, जिसमें संगठनात्मक पारदर्शिता और नियमों का सख्ती से पालन शामिल है.
सावधानियां और नियम
- पार्टी का नाम: नाम ऐसा होना चाहिए जो किसी धार्मिक, सांप्रदायिक, या जातिगत भावनाओं को न भड़काए.
- आदर्श आचार संहिता: पंजीकृत दलों को चुनाव आयोग की आचार संहिता का पालन करना होता है.
- निष्क्रियता पर कार्रवाई: यदि कोई दल लंबे समय तक निष्क्रिय रहता है या नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसका पंजीकरण रद्द हो सकता है, जैसा कि हाल के 17 दलों के मामले में हुआ.
अतिरिक्त जानकारी
- निर्वाचन आयोग की वेबसाइट (hindi.eci.gov.in) पर सभी प्रपत्र और दिशा-निर्देश उपलब्ध हैं.
- यदि आपत्तियां आती हैं, तो आयोग सुनवाई के बाद निर्णय लेता है.
- पंजीकरण रद्द होने की स्थिति में, दल को पुनः आवेदन करना पड़ सकता है, बशर्ते वह सभी शर्तें पूरी करे.
चुनाव आयोग पार्टियों को डीलिस्ट या हटाता क्यों है?
- निष्क्रिय (Inactive) हो जाना : कई पार्टी वर्षों तक कोई चुनाव नहीं लड़तीं और ना ही किसी राजनीतिक गतिविधि में भाग लेती हैं. ऐसे दलों को non-functional मानकर हटाया जा सकता है.
- गलत जानकारी देना या धोखाधड़ी करना: यदि कोई पार्टी रजिस्ट्रेशन में झूठी जानकारी देती है या टैक्स छूट का गलत इस्तेमाल करती है, तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है.
- पारदर्शिता न होना: पार्टी अपने फंड, चंदा और खर्चों का ब्योरा नहीं देती या ऑडिटेड रिपोर्ट नहीं सौंपती, तो उस पर कार्रवाई हो सकती है.
- टैक्स लाभ का दुरुपयोग: कुछ पार्टियाँ केवल टैक्स छूट पाने के लिए सक्रिय रहती हैं और असल में कोई लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं अपनातीं. ऐसी पार्टियां हटाई जाती हैं.
भारत में राजनीतिक दल बनाना एक संवैधानिक अधिकार है, लेकिन प्रक्रिया पारदर्शी, उद्देश्यपूर्ण और लोकतांत्रिक होनी चाहिए. चुनाव आयोग समय-समय पर अपनी सूची को अपडेट करता है ताकि वास्तविक और सक्रिय राजनीतिक पार्टियों को ही मान्यता मिले.