हम संतोष पागल ना हयीं...इनको कितना जानते हैं आप? जो गधे पर चढ़कर कर चुका है प्रदर्शन, Social Media पर अक्सर मचाता है धूम
संतोष पागल असल में एक स्थानीय स्तर के कलाकार और समाजसेवी के तौर पर जाने जाते हैं, जिनकी पहचान उनके अलग अंदाज और बेबाकी के लिए बनी है. मूल रूप से बिहार के एक छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखने वाले संतोष, लंबे समय से लोकगीत, नुक्कड़ नाटक और सामाजिक मुद्दों को लेकर आवाज उठाते रहे हैं.;
सोशल मीडिया की दुनिया में आजकल एक नाम तेजी से वायरल हो रहा है. संतोष पागल. कई लोग इस नाम को सुनकर हैरान हैं कि आखिर ये शख्स है कौन, कहां से आया और क्यों लोग इनके बारे में इतनी बातें कर रहे हैं? चलिए जानते हैं इस वायरल नाम के पीछे की पूरी कहानी.
संतोष पागल असल में एक स्थानीय स्तर के कलाकार और समाजसेवी के तौर पर जाने जाते हैं, जिनकी पहचान उनके अलग अंदाज और बेबाकी के लिए बनी है. मूल रूप से बिहार के एक छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखने वाले संतोष, लंबे समय से लोकगीत, नुक्कड़ नाटक और सामाजिक मुद्दों को लेकर आवाज उठाते रहे हैं. लोगों से सीधे जुड़ने का उनका अंदाज थोड़ा अलग और कभी-कभी अजीब भी रहा है, इसी वजह से उन्हें 'पागल' उपनाम मिला, जो धीरे-धीरे उनकी पहचान बन गया.
अक्सर आ जाता है ट्रेडिंग
उनकी लोकप्रियता तब बढ़ी जब कुछ साल पहले उन्होंने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ अनोखे तरीकों से प्रदर्शन शुरू किया. कभी नाच-गाकर विरोध जताना, कभी गधे पर बैठकर जुलूस निकालना या फिर चौराहों पर अकेले भाषण देना - ये सब उनकी खासियतें रहीं.
सोशल मीडिया की ताकत ने उनके छोटे-छोटे वीडियो और क्लिप्स को वायरल कर दिया. लोग उनकी सच्ची और सीधी बातें पसंद करने लगे। खासकर युवाओं और ग्रामीण तबके में उनकी लोकप्रियता तेजी से फैली. फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर उनके कई वीडियोज लाखों बार देखे गए। कई लोगों ने उन्हें "जनता का पागल नेता" कहना शुरू कर दिया.
हालांकि संतोष पागल को लेकर कई विवाद भी हुए. कुछ लोग उन्हें "हंसी-मजाक करने वाला" और "गंभीर नहीं" मानते हैं, जबकि उनके समर्थक कहते हैं कि उनकी 'पागलपंती' के पीछे समाज की सच्चाई है. वे अक्सर कहते हैं, "अगर सच बोलना पागलपन है, तो मैं पागल हूं. आज भी संतोष पागल सामाजिक मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं और अपनी शैली में लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं. चाहे मंच हो या सोशल मीडिया -उनकी पहचान अब एक ‘आवाज वाले पागल’ के रूप में बन चुकी है, जो व्यवस्था से सवाल पूछने की हिम्मत रखता है.