जाको राखे साइयां... तिनके की तरह बची 10 महीने की नीतिका! हिमाचल में बादल फटने से पिता की मौत; मां और दादी लापता

हिमाचल के मंडी में बादल फटने से नन्ही नीतिका का परिवार उजड़ गया. इस हादसे में पिता की मौत, मां और दादी लापता. 10 महीने की बच्ची को घर में अकेले बिलखते हुए पाया गया. प्रशासन ने राहत दी, लोग मदद को आगे आए, लेकिन अब सवाल यह है. क्या सिस्टम मिलकर इस मासूम का भविष्य बचा पाएगा?;

( Image Source:  x/divya_gandotra )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 7 July 2025 11:12 AM IST

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के परवाड़ा पंचायत के तलवाड़ा गांव की 10 महीने की नन्ही बच्ची नीतिका की ज़िंदगी 30 जून की आधी रात अचानक बदल गई, जब बादल फटने के बाद आए सैलाब ने उसका पूरा परिवार बहा दिया. इस हृदय विदारक हादसे में उसके पिता रमेश कुमार (31) की मौत हो गई, जबकि मां राधा देवी (24) और दादी पूर्णु देवी (59) अब तक लापता हैं.

हादसे की रात जब घर में पानी घुसने लगा तो रमेश बाहर निकले ताकि पानी की दिशा मोड़ सकें. उनकी पत्नी और मां भी पीछे-पीछे चली गईं. लेकिन तीनों में से कोई वापस नहीं लौटा. अगली सुबह पड़ोसी प्रेम सिंह को बच्ची अकेली, रोती हुई मिली. उन्होंने उसे उठाया और परिवार को खबर दी.

अकेले रो रही थी 10 महीने की नीतिका

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नीतिका को उनके घर में अकेले बिलखते हुए पड़ोसी प्रेम सिंह ने देखा. उनका घर दूर था, लेकिन रोने की आवाज़ सुनकर वह पहुंचे और बच्ची को अपने साथ ले गए. सुबह उन्होंने परिवार को इस त्रासदी की सूचना दी.

मां और दादी की तलाश जारी

रमेश कुमार का शव बरामद कर लिया गया है, लेकिन उनकी पत्नी राधा और मां पूर्णु देवी अभी तक लापता हैं. एनडीआरएफ और प्रशासन की टीमें लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही हैं. परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी रमेश की मां पूर्णु देवी उठाती थीं, जो एक सरकारी स्कूल में चपरासी थीं. रिटायरमेंट में केवल सात महीने बाकी थे. रमेश खुद खेती करते थे, लेकिन आमदनी सीमित थी.

रमेश भी था अनाथ, अब बेटी भी वही दर्द झेलेगी

बलवंत ठाकुर, रमेश के चाचा बताते हैं कि जब रमेश छह महीने का था, तभी उसके पिता की एक हादसे में मौत हो गई थी. अब वही दर्द उसकी बेटी नीतिका झेल रही है. गांव में न तो सड़क है, न मोबाइल नेटवर्क. बलवंत ठाकुर को फोन चार्ज करने और प्रशासन से संपर्क करने के लिए गांव से बाहर निकलना पड़ता है. उन्होंने कहा, “हालात बहुत खराब हैं, जैसे कोई हमसे संपर्क ही न कर पाए.”

हालात की गंभीरता से कांप उठा प्रशासन

गोहड़ उप-मंडल की एसडीएम समरितिका ठाकुर जब पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचीं, तो उन्हें सड़क बह जाने के कारण दो घंटे पैदल चलना पड़ा. उन्होंने मौके का जायज़ा लिया और तत्काल सहायता की घोषणा की. SDM समरितिका ठाकुर ने बताया कि उनके पास अब तक 100 से ज्यादा कॉल आ चुके हैं – कुछ लोग नीतिका को गोद लेना चाहते हैं, तो कई लोग आर्थिक मदद देने को तैयार हैं.

सरकार ने की पहली राहत की शुरुआत

प्रशासन की ओर से नीतिका की बुआ को ₹25,000 की तत्काल राहत दी गई है. राधा देवी और पूर्णु देवी के लापता होने की स्थिति साफ़ होने के बाद आगे की विधिक प्रक्रिया शुरू की जाएगी. फिलहाल नीतिका अपनी बुआ की देखरेख में है. प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर बच्ची को सुरक्षित माहौल देने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या समाज और सिस्टम मिलकर इस मासूम के भविष्य को रोशन कर पाएंगे?

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