इसे तो बस फांसी ही हो... सातारा डॉक्टर सुसाइड केस का आरोपी PSI गोपाल ने किया सरेंडर, परिवार वालों की क्या है मांग?

महाराष्ट्र के सातारा जिले में महिला डॉक्टर की आत्महत्या ने पूरे राज्य को हिला दिया. जांच में सामने आया कि PSI गोपाल बदाने ने डॉक्टर के साथ कई बार बलात्कार किया और सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रशांत बैंकुर ने मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. डॉक्टर के परिवार और रिश्तेदार न्याय की मांग कर रहे हैं, वहीं अस्पताल प्रशासन और राजनीतिक दबाव पर भी सवाल उठ रहे हैं. इस दर्दनाक घटना ने पुलिस और प्रशासनिक उदासीनता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग बढ़ती जा रही है.;

( Image Source:  X/khabremumbai )
Edited By :  नवनीत कुमार
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महाराष्ट्र के सातारा जिले से आई एक खबर ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है. सरकारी अस्पताल में तैनात एक महिला डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली, लेकिन मरने से पहले वह अपने दर्द का सबूत अपने शरीर पर ही छोड़ गई. उसके हाथ पर लिखा था, “पीएसआई गोपाल बदाने ने कई बार मेरा रेप किया और प्रशांत बैंकुर ने मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया.”

पुलिस ने पहले सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रशांत बैंकुर को पुणे से गिरफ्तार किया था, जिसके बाद शनिवार शाम पुलिस सब-इंस्पेक्टर गोपाल बदाने ने आत्मसमर्पण कर दिया. सातारा के एसपी तुषार दोशी ने बताया कि दोनों आरोपियों पर रेप और आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया गया है.

होटल में पंखे से लटका मिला शव

यह महिला डॉक्टर मूल रूप से बीड जिले की रहने वाली थी और सातारा के एक सरकारी अस्पताल में तैनात थी. गुरुवार रात फलटन के एक होटल में उसका शव पंखे से लटका मिला. कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, लेकिन उसके हाथ पर लिखा संदेश ही सबसे बड़ा सबूत बन गया.

पुलिस अफसर पर यौन शोषण का आरोप

डॉक्टर ने अपने अंतिम संदेश में लिखा कि गोपाल बदाने ने उसके साथ कई बार बलात्कार किया, जबकि प्रशांत बैंकुर लगातार मानसिक रूप से परेशान करता रहा. पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि बैंकुर उसी मकान मालिक का बेटा है, जिसके घर में डॉक्टर किरायेदार के रूप में रहती थी.

शिकायतें कीं, पर किसी ने नहीं सुनी

डॉक्टर के परिजनों का कहना है कि उसने कई बार अपने उत्पीड़न की शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई नहीं की. एक रिश्तेदार ने बताया कि “वह पोस्टमार्टम ड्यूटी पर रहती थी, जहां कुछ राजनीतिक लोग उसे रिपोर्ट बदलने का दबाव डालते थे. उसने कई बार PSI बदाने के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.”

राजनीतिक दबाव का आरोप

शिवसेना (UBT) नेता अंबादास दानवे ने दावा किया कि बीजेपी के पूर्व सांसद रंजीतसिंह नाइक निम्बालकर ने डॉक्टर पर एक केस में रिपोर्ट बदलने का दबाव डलवाया था. हालांकि, निम्बालकर ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि “मेरा नाम राजनीतिक साजिश के तहत घसीटा जा रहा है.”

महिला डॉक्टर की संघर्ष भरी ज़िंदगी

डॉक्टर एक किसान परिवार से थी और एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए उसने 3 लाख रुपये का कर्ज लिया था. उसका सपना था कि वह एमडी की पढ़ाई करे और एक विशेषज्ञ डॉक्टर बने. उसके चाचा ने बताया, “वह मेहनती थी, परिवार का सपना थी. पर सिस्टम ने उसे तोड़ दिया.”

अस्पताल प्रशासन पर भी सवाल

परिवार ने आरोप लगाया है कि अस्पताल प्रशासन ने जानबूझकर उसे पोस्टमार्टम ड्यूटी में लगाया ताकि वह परेशान होकर नौकरी छोड़ दे. उसके दो चचेरे भाई, जो खुद डॉक्टर हैं, ने कहा, “वह प्रशासन की नजर में आंख की किरकिरी बन चुकी थी, इसलिए उसे मानसिक रूप से तोड़ा गया.”

न्याय की मांग

बीड में शुक्रवार रात डॉक्टर का अंतिम संस्कार किया गया. गांववालों और परिजनों ने दोषियों को फांसी की सज़ा देने की मांग की है. वहीं, राज्य में इस घटना को लेकर जनता में आक्रोश है. सवाल यह है. जब वर्दी ही अत्याचार करने लगे, तो आम नागरिक किस पर भरोसा करे?

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