...तो भारत में सस्‍ती हो जाएगी हार्ले-डेविडसन बाइक और अमेरिकी Bourbon whiskey

अमेरिका से आयात होने वाली बॉर्बन व्हिस्की पर पहले ही 150% से घटाकर 100% आयात शुल्क किया गया था. अब इसे और कम करने पर विचार किया जा रहा है, जिससे भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को और सुगम बनाया जा सके.;

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Edited By :  प्रवीण सिंह
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अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के टैरिफ वार के बीच भारत में हार्ले-डेविडसन बाइक और बॉर्बन व्हिस्की सस्‍ते हो सकते हैं. भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता के तहत हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिल, बॉर्बन व्हिस्की और कैलिफोर्निया वाइन पर आयात शुल्क कम करने पर विचार किया जा रहा है. सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के बीच कुछ उत्पादों पर टैरिफ घटाने और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने को लेकर बातचीत जारी है.

सस्ती हो सकती हैं हार्ले-डेविडसन

सरकार ने पहले ही हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिल पर आयात शुल्क 50% से घटाकर 40% कर दिया था. अब इस टैरिफ को और कम करने पर चर्चा हो रही है, जिससे इन प्रीमियम बाइकों की कीमत भारतीय बाजार में और अधिक किफायती हो सकती है.

बॉर्बन व्हिस्की और कैलिफोर्निया वाइन पर भी राहत संभव

इसी तरह, अमेरिका से आयात होने वाली बॉर्बन व्हिस्की पर पहले ही 150% से घटाकर 100% आयात शुल्क किया गया था. अब इसे और कम करने पर विचार किया जा रहा है, जिससे भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को और सुगम बनाया जा सके. कैलिफोर्निया वाइन भी इस वार्ता का हिस्सा है, जिसमें अमेरिका भारतीय बाजार में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए आयात शुल्क में छूट की मांग कर रहा है.

फार्मास्यूटिकल और केमिकल उत्पादों पर भी चर्चा

हालांकि, यह व्यापार वार्ता सिर्फ मोटरसाइकिल और एल्कोहॉलिक बेवरेज तक सीमित नहीं है. अमेरिका से दवाओं और रसायनों (Pharmaceutical & Chemical Products) के निर्यात को बढ़ाने पर भी बातचीत हो रही है. अमेरिका चाहता है कि वह भारत के तेजी से बढ़ते फार्मा सेक्टर में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सके, जबकि भारत अपने निर्यात के लिए बेहतर व्यापारिक शर्तें चाहता है.

भारत-अमेरिका व्यापार पर असर

अगर प्रस्तावित टैरिफ कटौती लागू होती है, तो भारतीय ग्राहकों के लिए हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिल खरीदना सस्ता हो सकता है. इसके अलावा, बॉर्बन व्हिस्की और कैलिफोर्निया वाइन भारतीय शराब बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं. हालांकि, अमेरिका से दवाओं के आयात में वृद्धि भारतीय जेनेरिक दवा कंपनियों पर असर डाल सकती है, जो वैश्विक बाजार में एक बड़ी हिस्सेदारी रखती हैं.

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