गुजरात के सीनियर एडवोकेट ने बीयर मग के साथ वर्चुअल सुनवाई में लिया हिस्सा, हाईकोर्ट नाराज, कहा- 'संज्ञान न लिया तो...'

गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस ए.एस. सुपेहिया ने कहा कि सोशल मीडिया में अदालती कार्यवाही का वीडियो वायरल होना और सुनवाई में बीयर मग के साथ एडवोकेट का हाजिर होना घृणित और अपमानजनक व्यवहार है. इस घटना के बहुत व्यापक परिणाम हो सकते हैं. हम इसकी अनदेखी नहीं कर सकते. ऐसा हुआ तो यह कानून के शासन के लिए विनाशकारी होगा.;

Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 2 July 2025 10:44 AM IST

गुजरात हाईकोर्ट में मंगलवार को वर्चुअल सुनवाई के दौरान देश की न्यायिक व्यवस्था को शर्मसार करने वाली घटना फिर हुई. अंतर केवल इतना है कि एक सप्ताह पहले एक शख्स टॉयलेट सीट पर बैठकर सुनवाई में शामिल हुआ था, इस बार वकील साहब खुद बीयर मग के साथ अदालती सुनवाई में शामिल हो गए. इस घटना से नाराज हाईकोर्ट के जस्टिस ए.एस. सुपेहिया और जस्टिस आर.टी. वच्छानी ने इस घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए रजिस्ट्रार को आरोपी वरिष्ठ एडवोकेट के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू करने के निर्देश दिए हैं. यह घटना डिजिटल माध्यम से एक मामले की सुनवाई के दौरान हुई.

वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा बीयर मग से घूंट भरकर और वर्चुअल सुनवाई में शामिल होने से स्तब्ध गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को उनके खिलाफ 'अपमानजनक और घृणित' आचरण के लिए स्वतः संज्ञान अवमानना कार्यवाही शुरू की है.

जस्टिस ए.एस. सुपेहिया और जस्टिस आर.टी. वच्छानी की खंडपीठ ने कहा कि एडवोकेट भास्कर तन्ना के आचरण के कारण उनके वरिष्ठ अधिवक्ता की उपाधि वापस ले ली जानी चाहिए, लेकिन मामले की सुनवाई के बाद आगे की कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया. यह घटना 25 जून को न्यायमूर्ति संदीप भट्ट की पीठ के समक्ष हुई और उसके बाद एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर प्रसारित की गई.

संज्ञान न लेना कानून के शासन के लिए होगा विनाशकारी - जस्टिस सुपेहिया

जस्टिस ए.एस. सुपेहिया ने कहा, "सोशल मीडिया में अदालती कार्यवाही का वीडियो वायरल होना और सुनवाई में बीयर मग के साथ हाजिर होना घृणित और अपमानजनक व्यवहार है. तन्ना के इस "अपमानजनक और स्पष्ट" कार्य के बहुत व्यापक परिणाम हो सकते हैं. यदि इसे अनदेखा किया जाता है, यह कानून के शासन के लिए विनाशकारी होगा, न्यायालय ने कहा.

जस्टिस ए.एस. सुपेहिया ने कहा, "हम रजिस्ट्री को वरिष्ठ वकील भास्कर तन्ना के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देते हैं. रजिस्ट्री अगली सुनवाई की तारीख से पहले एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी."

क्या होता है स्वत: संज्ञान लेना?

"स्वप्रेरणा" यानी स्वत: संज्ञान लेने मतलब है, किसी न्यायालय या अन्य प्राधिकरण द्वारा किसी अन्य पक्ष द्वारा औपचारिक रूप से अनुरोध या याचिका दायर किए बिना, अपनी पहल पर किसी मामले में कार्रवाई शुरू करना. इसी व्यवस्था के तहत हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री को तन्ना को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है. साथ ही उन्हें बेंच के समक्ष वर्चुअल रूप से पेश होने पर रोक लगा दिया है.

जस्टिस ए.एस सुपेहिया ने अपने आदेश कहा, "तन्ना का व्यवहार न्यायालय द्वारा उन्हें दिए गए वरिष्ठ अधिवक्ता के विशेषाधिकार का उल्लंघन है. हमारी राय में उनकी उपाधि वापस ले ली जानी चाहिए. हालांकि, इस पर बाद में निर्णय लिया जाएगा."

2 सप्ताह बाद होगी सुनवाई

अधिवक्ता तन्ना के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी. बता दें कि एक सप्ताह पहले भी एक चौंकाने वाला वीडियो क्लिप वायरल हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति शौचालय की सीट पर बैठकर गुजरात हाईकोर्ट की कार्यवाही में भाग ले रहा था.

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