ट्रंप की 50 फीसदी टैरिफ मार के बीच PM मोदी का स्मार्ट Move: GST में कटौती, घरेलू खपत को झटका या Boost?
मोदी सरकार ने GST दरों में किए गए सुधार और rationalization से घरेलू खपत को बढ़ावा देने का कदम उठाया है. अमेरिकी 50% टैरिफ के चलते निर्यात पर दबाव के बावजूद, इस बदलाव से आम लोगों के खर्चे कम होंगे और विभिन्न सेक्टर जैसे टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और कृषि उपकरणों में उत्पादन लागत घटेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि ये उपाय अल्पकालिक रूप में अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम कर सकते हैं और मध्यम-दीर्घकाल में आर्थिक गतिविधि और GDP वृद्धि में योगदान देंगे.;
GST rate cut, Domestic consumption boost, US trade war impact: दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था भारत अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार युद्ध और 50% टैरिफ के प्रभाव को झेलने की तैयारी कर रही है. इस पृष्ठभूमि में, जीएसटी दरों में कटौती का समय बेहद उपयुक्त माना जा रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि ये जीएसटी दरों में कटौती महीनों से योजनाबद्ध थी और इसका अमेरिका के टैरिफ से कोई संबंध नहीं है. हालांकि, घरेलू खपत को बढ़ावा देने वाला यह कदम उन सेक्टर्स के लिए राहत का काम करेगा, जो निर्यात में अस्थिरता का सामना कर रहे हैं.
मोदी सरकार ने जीएसटी सुधारों और दरों की समेकन की घोषणा की है. 22 सितंबर से, नवरात्र के शुरू होने के साथ, आम जनता और मध्यम वर्ग के लिए अधिकांश दैनिक उपभोग्य वस्तुओं पर कीमतें कम हो जाएंगी. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे GDP वृद्धि को खपत आधारित समर्थन मिलेगा.
विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि भारत में निर्यात का हिस्सा GDP में बहुत बड़ा नहीं है. इसलिए अमेरिकी टैरिफ का असर सीमित हो सकता है, लगभग 0.3% से 0.9% तक... मध्यम और लंबी अवधि में जीएसटी सुधारों से उत्पादन लागत घटेगी, खपत बढ़ेगी, और रोजगार व निवेश को बढ़ावा मिलेगा.
"GST सुधार कंपनियों की उत्पादन लागत कम करने में मदद करेंगे"
TOI से बातचीत में बैंक ऑफ़ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनाविस ने कहा, "GST सुधार कंपनियों की उत्पादन लागत कम करने में मदद करेंगे, जिससे वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगी. यह निश्चित रूप से पूर्ण समाधान नहीं है, लेकिन सहारा ज़रूर देगा."
वहीं, EY इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी.के. श्रीवास्तव ने कहा कि टेक्सटाइल, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और खाद्य पदार्थ जैसे रोजगार सृजन वाले सेक्टर सीधे लाभान्वित होंगे. वहीं कृषि, उर्वरक, कृषि मशीनरी और नवीकरणीय ऊर्जा सेक्टरों में भी लागत घटने से खपत और उत्पादन में सुधार आएगा.
'जीएसटी कटौती से कर संग्रह पर लगभग 48,000 करोड़ रुपये का असर पड़ेगा'
राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव ने अनुमान लगाया कि 2023-24 के आधार पर जीएसटी कटौती से कर संग्रह पर लगभग 48,000 करोड़ रुपये का असर पड़ेगा. हालांकि, पिछले अनुभव बताते हैं कि दरों में कटौती के बाद राजस्व में कुछ समय के लिए गिरावट के बाद लंबी अवधि में पुनरुत्थान होता है. विशेषज्ञों का मानना है कि घरेलू खपत को बढ़ावा देने वाले ये उपाय अमेरिकी टैरिफ के असर को आंशिक रूप से कम करने के साथ-साथ दीर्घकालीन आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए भी फायदेमंद साबित होंगे.