अगर अब हुआ साइबर फ्रॉड तो डायल करें ये नंबर, पीड़ितों की मदद के लिए सरकार का हेल्पलाइन

सरकार ने साइबर धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के लिए एक नया 4 डिजिट नेशनल हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है. इस पहल का उद्देश्य साइबर अपराध की घटनाओं के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की सुविधा प्रदान करना है. इस नंबर के जरिए पीड़ित आसानी से रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं.;

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Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 15 Oct 2025 5:40 PM IST

आजकल साइबर धोखाधड़ी के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. अब इस मामले में सरकार ने एक सराहनीय कदम उठाया है. इन घटनाओं से निपटने के लिए सरकार ने नेशनल हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है. होम मिनिस्ट्री ने ऑफिशियल तौर पर नेशनल हेल्पलाइन नंबर 155260 से 1930 तक अपडेट किया है.

इस नई हेल्पलाइन के बारे में जानकारी टेली कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट ने अपने ऑफिशियल एक्स अकाउंट के जरिए शेयर की है.यह हेल्पलाइन खास तौर पर फाइनेंशियल धोखाधड़ी का शिकार हुए किसी भी व्यक्ति की सहायता के लिए है. इसके अलावा, व्यक्ति नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल के ज़रिए भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.

अब सुरक्षित होगा डिजिटल पेमेंट


मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर के कोलैबोरेशन से शुरू हुआ है, जो भारतीय नागरिकों के लिए एक सेफ डिजिटल पेमेंट एनवायरमेंट देता है. साइबर धोखाधड़ी के शिकार किसी भी समय इस 4-डिजीट हेल्पलाइन पर कॉल कर सकते हैं. इसका मैनेजमेंट संबंधित राज्य पुलिस के जरिए किया जाता है.

कैसे पकड़ा जाएगा अपराधी

अगर कोई इस नंबर के जरिए शिकायत करता है, तो साइबर धोखाधड़ी के बारे में पूरी जानकारी ली जाएगी. इसके बाद धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और मैनेजमेंट सिस्टम में एक टिकट जनरेट किया जाएगा. इसके बाद, यह जानकारी संबंधित बैंक, वॉलेट प्रोवाइडर और मर्चेंट को भेजी जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि फंड को फ्रीज किया जा सके. एक बार फंड फ्रीज हो जाने के बाद साइबर अपराधी उन तक पहुंच नहीं पाएंगेय. भले ही उन्होंने पहले ही अपने बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर कर लिए हों. यह सिस्टम तब तक जारी रहेगी जब तक कि फंड वापस नहीं मिल जाता है.

स्टेशन जाने की नहीं पड़ेगी जरूरत

नेशनल हेल्पलाइन नंबर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साथ-साथ सभी सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों और ऑनलाइन वॉलेट प्रोवाइडर्स के साथ कोलैबोरेशन में डेवलप किया गया है. यह हेल्पलाइन सुनिश्चित करती है कि जिन लोगों के पास इंटरनेट एक्सेस नहीं है. वे भी साइबर अपराधों की रिपोर्ट कर सकते हैं. खासतौर पर ऐसी शिकायतें दर्ज करने के लिए पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं है.

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