पाकिस्तान का बॉर्डर लखनऊ तक होता! कौन हैं पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब, जिनके बोल से मच गया हंगामा

Mohammed Adeeb: वक्फ संशोधन बिल के विरोध में राजधानी दिल्ली में मुस्लिम कॉन्फ्रेंस की बैठक बुलाई गई थी. यहां पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने विवादित बयान दिया है, जिसे लेकर हर तरफ उनकी आलोचना हो रही है.;

Former MP Mohammad Adeeb(Image Source:  facebook.com/Mohammad Adeeb )
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 12 Nov 2024 6:25 PM IST

Mohammed Adeeb: भारत में कुछ नेता ऐसे भी हैं, जो देश को तोड़ने जैसे विवादित बयान देते रहते हैं. ऐसा ही एक विवादित बयान पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने दिया है. उनके इस बयान से सियासी लहर उठ गई है. उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर मुस्लिमों ने अहसान नहीं किया होता तो लखनऊ भी पाकिस्तान का हिस्सा होता. उनका ये बयान दिल्ली में बुलाई गई वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ बुलाई गई मीटिंग से आया है.

मोहम्मद अदीब ने कहा, 'मैं जिंदगी के 80 साल पूरा करने जा रहा हूं. राजनीति में मैंने 50 से अधिक साल बिताए हैं. आज हम अपने ही इलाके में अपराधी और देशद्रोही बन गए हैं. उन्होंने आगे कहा, 'हमने तो जिन्ना के प्रस्ताव को ठुकराया दिया था. हमने नेहरू गांधी और आजाद को माना था. हमारा ये एहसान हुकूमत को मानना चाहिए.नहीं तो पाकिस्तान लाहौर तक नहीं लखनऊ तक बनता.'

कौन हैं पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब?

मोहम्मद अदीब का जन्म सितंबर 1945 में भारत के उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था. उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की. अदीब लंबे समय से व्यवसाय में हैं और 2008 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए थे. उन्होंने क्रमिक रूप से श्रम समिति, वाणिज्य समिति और सूचना प्रौद्योगिकी समिति के सदस्य के तौर पर काम किया. वे 2014 में रिटायर हुए.

चीन के साथ घनिष्ठ मित्रता

मोहम्मद अदीब चीन के साथ घनिष्ठ मित्रता रखते हैं. उन्होंने भारत में चीन के दूतावास की ओर से आयोजित कई एक्सचेंज एक्टिविटी में भाग लिया था और चीन-भारत संबंधों को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से सलाह दी. अक्टूबर 2018 में उन्होंने भारतीय सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल के लिए चीन की यात्रा आयोजित करने में मदद की थी.

वे राष्ट्रवादी समाज पार्टी के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं और पूर्व सांसद भी. राज्यसभा के सदस्य बनने से पहले बहुजन समाज पार्टी का प्रतिनिधित्व करते थे. 2019 में वह समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के बाद कुछ मुस्लिम नेताओं के साथ शिवपाल यादव की समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. 

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