EXPLAINER: SCO 2025 Summit के मंच से भारत ने 'मक्कार' अमेरिका की दादागिरी और पाकिस्तान की धूर्तता की ‘चमड़ी’ उधेड़ी
SCO 2025 चीन समिट भारत के लिए कूटनीति का बड़ा अखाड़ा साबित हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंच से अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी और उसकी आर्थिक दादागिरी को सीधा चुनौती दी. उन्होंने साफ कहा कि भारत किसी भी वैश्विक दबाव में झुकने वाला नहीं है. वहीं, पाकिस्तान की दोगली चालों और आतंकवाद पर उसकी ढोंगी नीति को उजागर करते हुए भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी ‘चमड़ी उधेड़’ डाली.;
SCO 2025 China Summit: चीन के बंदरगाह शहर तियानजिन में आयोजित शंघाई शिखर सम्मेलन 2025 (Shanghai Cooperation Organisation SCO) इतिहास रचने के साथ ही संपन्न हो गया. ऐसा इतिहास रचकर जिसने अमेरिका और पाकिस्तान दोनो की हालत खराब कर डाली है. सोचिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की गलबहियां जिस तरह से दुनिया के साथ-साथ अमेरिका और पाकिस्तान दोनो मक्कार-मतलबपरस्त देशों ने भी, अपनी खुली आंखों से देखीं हैं, उसका कितना डरावना मंजर पाकिस्तान और अमेरिका के दिल-ओ-जेहन में जा बसा होगा.
कुल जमा इस बार चीन की जमीन पर आयोजित शंघाई सहयोग संगठन की इस एतिहासिक बैठक में भले ही किसी को कुछ मिला हो या न मिला. पाकिस्तान अमेरिका को अपनी छीछालेदर-अंतरराष्ट्रीय पटल पर बेइज्जती-बदनामी तो खूब मिली. इस बैठक से भारत, रूस और चीन ने जो बटोरा वह भी जमाने ने देखा है. जिस तरह से इस अहम बैठक में मोदी की मौजूदगी में रूस और चीन के राष्ट्रपति ने अमेरिका-पाकिस्तान के खिलाफ पूरी बाजी ही पलट डाली, इन तीनों महारथियों के इस “मिलन-बेला” से यह तय है कि अमेरिका की दादागिरी और पाकिस्तान की मक्कारी के दीए जरूर खुद-ब-खुद ही बुझ गए होंगे.
मोदी–जिनपिंग–पुतिन की 'गजब केमिस्ट्री'
इस बारे में नई दिल्ली में मौजूद स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर इनवेस्टीगेशन ने ‘एक्सक्लूसिव’ बात की, राजस्थान की राजधानी जयपुर में मौजूद भारतीय थलसेना के सेवानिवृत्त मेजर जनरल सुधाकर जी से. उन्होंने कहा, “भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन की गजब की केमिस्ट्री ने अमेरिका के टैरिफ का गणित शर्तिया गड़बड़ा दिया है. जबकि इन तीन महाशक्तियों के एतिहासिक मिलन की बेला की चकाचौंध में पाकिस्तान की आतंकवादी सोच की सांझ हो चुकी है. अमेरिका और पाकिस्तान जरूर अपना-अपना माथा पीटकर सोच तो रहे होंगे कि, आखिर इन दोनो मक्कारों ने भारत से टकरा कर आखिर सिवाए बदनामी-बेइज्जती के इस शंघाई सहयोग संठगन की बैठक से और हासिल ही क्या किया है?”
चीन की जमीन से मोदी ने खामोशी से पाक को जड़ा ‘थप्पड़’
स्टेट मिरर हिंदी के एक सवाल के जवाब में भारतीय फौज के रणबांकुरे पूर्व मेजर जनरल सुधाकर जी कहते हैं, “हाल फिलहाल पाकिस्तान को पहलगाम का और 50 फीसदी भारत के सिर पर टैरिफ मढ़ने का अमेरिका को भारत का इससे शानदार व तगड़ा और दूसरा कोई जवाब नहीं हो सकता है. अमेरिका को जवाब भी उसके द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ बढ़ाने के महज 6-7 दिन के भीतर ही. ऐसी तो शायद अमेरिका ने अब से पहले कभी कहीं किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर मुंह की नहीं खाई होगी, जितनी बेइज्जती चीन की जमीन से रूस की मौजूदगी में भारत ने खामोशी के साथ अमेरिका के मुंह पर थप्पड़ मार कर की है. ऐसा थप्पड़ जिसकी गूंज तो दुनिया ने सुनी मगर उसकी चोट और जलन का अहसास सिर्फ और सिर्फ अमेरिका व पाकिस्तानी हुक्मरानों ने अपने-अपने गालों पर ही महसूस किया है.”
'अमेरिका-पाकिस्तान एक ही थैली के चट्टे-बट्टे'
जब भारत-रूस और चीन, शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ (SCO Summit 2025) की बैठक में बैठकर गलबहियां करते हुए अमेरिका को उसकी औकात बता रहे थे, तब वहीं इस सबसे बौखलाए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हवा में दावे उछाल रहे थे कि, भारत ने अमेरिका के ऊपर से उसके द्वारा लगाए गए “टैरिफ” को हटाने की सहमति दे दी है? यह सब क्या गुणा-गणित लगाकर ट्रंप ने हवा में सिक्का उछाला होगा? पूछने पर पूर्व मेजर जनरल सुधाकर जी कहते हैं, “अमेरिका और पाकिस्तान महाधूर्त और मक्कार देश हैं. दोनो एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं. पाकिस्तान अगर आतंकवादियों की जन्म और शरणस्थली है, तो वहीं अमेरिका हथियार-बम-गोला-बारूद-बदमाशी के बलबूले दुनिया पर अपनी दादागिरी कायम करने वाला गुंडा-मवाली देश है. जो सिर्फ और सिर्फ अपनी चौधराहट बनाए रखने के लिए पाकिस्तान जैसे आतंकवादी देशों को पाल-पोसकर उन्हें वक्त जरूरत पर उनका बेजा इस्तेमाल करने के लिए हमेशा रेडी रखता है. अगर अमेरिका वास्तव में दमदार मुल्क होता तो सोचिए क्या उसे अफगानिस्तान में अपने जूते-चप्पल और कपड़े-कच्छा-बनियान छोड़कर, नंगे पांव जान बचाकर वहां से भागना पड़ा होता.
'मोदी-पूतिन की कार डिप्लोमेसी से बौखलाए ट्रंप-शरीफ'
देखिए चोर और बदमाश गलत आदमी के पांव नहीं होते हैं. वे जरा सी आहट से मैदान छोड़कर भाग खड़े होते हैं. पाकिस्तान और अमेरिकी की अंदरूनी हालत भी गली-कूंचे के किसी चोर-उचक्के की सी ही है. इन्हें दादा समझने की गलती न करने वाला रूस और चीन देखिए कैसे मौका मिलने पर नाक रगड़वाते रहते हैं. अमेरिका-पाकिस्तान की हवाबाजी वाली दादागिरी के कमजोर ताबूत में आखिरी कील भारत ने 1 सितंबर 2025 को चीन के बंदरगाह शहर तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन में ठोंक दी. पाकिस्तान और अमेरिका के लिए इससे बुरा और क्या होगा कि, जिस रूस के ऊपर अमेरिका ने हजारों प्रतिबंध लगा डाले, फिर भी जो रूस अमेरिका के काबू नहीं आया. उसी रूस के दिलेर राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन भारत के प्रधानमंत्री को अपनी कार में साथ बैठाकर ले जाने की खातिर 10 मिनट तक खुद की कार के अंदर बैठकर, मोदी जी के कार में जाकर बैठने तक का इंतजार करते रहे. जरा सोचिए जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मक्कार पाकिस्तान के धूर्त प्रधानमंत्री मियां मोहम्मद शाहबाज शरीफ ने यह देखा सुना होगा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन ने 40-50 मिनट तक बेहद एकांत में गहन मंत्रणा अपनी कार के भीतर ही की है, तब इन दोनो मास्टरमाइंडों के दिल-ओ-दिमाग पर कैसा तुषारापात हुआ होगा. इसकी पीड़ा कहूं या फिर जलन तो सिर्फ और सिर्फ ट्रंप-शाहबाज शरीफ ही जान सकते हैं.”
SCO मंच से पीएम मोदी ने एक तीर से साधे कई निशाने
स्टेट मिरर हिंदी के साथ अपनी विशेष-लंबी बातचीत को जारी रखते हुए हिंदुस्तानी फौज के पूर्व मेजर जनरल सुधाकर जी ने आगे कहा, “मैं भारतीय फौजी होने के नाते और जितनी मुझे जीओपॉलिटिक्स, युद्ध, अंतरराष्ट्रीय सीमा-संबंधों, सैन्य-सामरिक, विदेश नीति और कूटनीति का अनुभव है, उससे मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन के मंच पर चीन की जमीन से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं. जोकि हाल-फिलहाल दुनिया के हालातों में तो संभव नहीं था. अगर भारत को भी अभी हाल-फिलहाल शंघाई सहयोग संगठन का मंच न मिल गया होता, तो भी हमें पाकिस्तान और अमेरिका को उनके कुकर्मों का कड़ा जवाब देने का खुला मंच या बेखौफ मौका जल्दी हाथ नहीं आने वाला था.”
भारत ने तोड़ी अमेरिका की 'दादागिरी'
यहां जिक्र करना जरूरी है कि भारत कभी भी किसी की निजी-जिंदगी ह़कों अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं करता है. शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन में मगर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन और चीन के राष्ट्रपति शीजिनपिंग ने दुनिया को समझा दिया है कि जब बात किसी देश की सुरक्षा-संप्रभुता के अस्तित्व की रक्षा की आती है तब फिर, उसमें साम-दाम-दंड-भेद का “भाव” कोई मायने नहीं रखता है. न ही कोई फिर इन बदले हुए हालातों में किसी का लंबे समय तक का दोस्त रह जाता है न ही दोस्त. सब अपने अपने हित की बात समय के अनुसार करते हैं. जोकि भारत चीन और रूस ने भी किया है. देश के रक्षा, सैन्य, सामरिक-विदेश नीति-कूटनीतिक जानकारों से जब स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर की खुलकर बात हुई, तो यह भी निकल कर सामने आया कि, अमेरिका की दादागिरी के दंभ को खोदकर नेस्तनाबूद करने का जो मौका शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन के रूप में भारत के हाथ आया. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस अवसर का पलक झपकते जिस कदर लाभ उठाया, अमूमन ऐसे मौकों का लाभ उठा पाने में बड़े बड़े ताकतवर देशों के राष्ट्राध्यक्ष अक्सर चूक ही जाते हैं. भारत ने मगर जिस तरह से इस मौके का लाभ उठाया है उसने हिंदुस्तान के तमाम दोस्तों को भारत की अंतरराष्ट्रीय विदेश और कूटनीति का एक बार फिर कायल कर दिया है. जब भारत के इस जबरदस्त कदम ने हमारे दुश्मन देशों की नींद उड़ा दी है.