SIR का डार्क साइड: क्या टूट रही चुनावी अफसरों की हिम्मत, आखिर क्यों बढ़ रहे पोल अधिकारियों की आत्महत्या और इस्तीफे?

SIR (Special Intensive Revision) के कारण बूथ-लेवल अधिकारियों (BLOs) पर असहनीय दबाव बढ़ गया है. केरल, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में अधिकारियों की आत्महत्या और इस्तीफों की घटनाएं सामने आई हैं. राजनैतिक विरोध और तनाव ने SIR की छाया में पोल स्टाफ के दर्द ज्यादा बढ़ा दिया है. जानें, क्या कहते हैं मनोविज्ञानी.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 25 Nov 2025 5:11 PM IST

पश्चिम बंगाल, केरल सहित देश के 12 राज्यों एसआईआर के दूसरे चरण के तहत मतदाता सूची अपडेट करने का काम जारी है. इस काम को लेकर कोहराम मचा हुआ है. खासकर पश्चिम बंगाल और केरल में सरकार और चुनाव आयोग के बीच टकराव तक की नौबत बन आई है. सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि वो कौन से कारक हैं, जिसकी वजह से काम का दबाव बनाकर या तो बीएलओ सुसाइड कर रहे हैं या फिर नौकरी से इस्तीफा दे रहे हैं. बिहार में तो ऐसा नहीं हुआ था, वहां पर भी विरोध बड़े पैमाने पर हुए, सुसाइड करने का ट्रेंड सामने इस तरह नहीं आया था.

यह विकट स्थिति उस समय बन आई है, जबकि इलेक्शन कमीशन का एक BLO जमीनी लेवल पर चुनाव आयोग को रिप्रेजेंट करता है. वह अपने एरिया में पोलिंग स्टेशन पर रजिस्टर्ड हर वोटर से जानकारी इकट्ठा करने में अहम रोल निभाता है.

पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले असेंबली इलेक्शन से पहले वोटर लिस्ट के विवादित रिवीजन में फुट सोल्जर होते हैं. इस काम को करते हुए पिछले हफ्ते देश भर में सुसाइड या किसी और वजह से कई बीएलओ मर गए. इस तरह की घटनाओं वाले राज्यों में पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और राजस्थान शामिल हैं. इन मौतों की वजह से बीएलओं सुर्खियों में हैं. चुनाव आयोग ने लगातार इस तरह की घटना सामने आने के बाद बीएलओ की मांगों पर ध्यान फोकस किया है. इसके बावजूद ज्यादातर शिक्षकों के लिए यह काम कम सैलरी वाला है.

5 राज्यों में 2026 में होने हैं चुनाव

इन मौतों को देखते हुए कांग्रेस के राहुल गांधी और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इलेक्शन कमीशन के तकरार भी हुई है. बिहार की तरह विपक्षी पार्टी ने कई राज्यों में वोटर लिस्ट रिवीजन की टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं. इनमें पांच ऐसे राज्य हैं, जहां 2026 में चुनाव होने है. इनमें बंगाल और तमिलनाडु, गोवा, गुजरात और पुडुचेरी शामिल हैं.

झारखंड के मंत्री के बयान से बीएलओ पर बढ़ा दबाव

झारखंड के एक मंत्री ने तो लोगों से यह भी कहा कि जब BLO वोटर वेरिफिकेशन के लिए उनके घर आएं तो उन्हें पकड़ लें. यह एक मजेदार बात है, लेकिन उनके इस बयान से बीएलओ का स्ट्रेस और बढ़ गया.

EC ने बोझ किया कम, अलाउंस में की बढ़ोतरी

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक पोल बॉडी ने इन मौतों पर चिंता जताई है और कहा है कि BLO को दिया गया काम का बोझ हर एक पर 1,000 वोटरों से ज्यादा नहीं होना चाहिए. EC ने यह भी कहा कि उसने इस शारीरिक और मानसिक रूप से थका देने वाले काम के लिए अलाउंस दोगुना कर दिया है. ईसी से प्रति वर्ष 12,000 रुपये और एसआईआर के लिए इंसेंटिव 2,000 रुपये कर दिए हैं.

काम में बाधा डाल रहे विरोधी - बीजेपी

सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष पर हमला बोला है और उस पर BLO को रिसोर्स न देकर वोटर रिवीजन में रुकावट डालने और फिर उनकी मौतों का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है.

UP BLO ने काम के दोहरे दबाव के लगाए आरोप

उत्तर प्रदेश के नोएडा के BLO पिंकी सिंह ने काम के दबाव और शिक्षा कार्य के टेंशन को नौकरी से ही दे दिया इस्तीफा दे दिया. पिंकी सिंह को चुनाव आयोग ने घर से 10 km दूर एक रेजिडेंशियल कॉलोनी में 1,179 वोटरों के वेरिफिकेशन की जिम्मेदारी दी थी. पिंकी ने का कहना है कि सर्वे के साथ सरकारी स्कूल टीचर की नौकरी बचाए रखना नामुमकिन था.

पिंकी सिंह ने कहा, "मैं इस्तीफा दे रही हूं. अब यह नहीं कर पाऊँगी. मैं न तो पढ़ा सकती हूं और न ही BLO का काम कर सकती हूं.

ज्यादा काम के लिए दिया केवल दो सप्ताह का काम

24 घंटे पहले बंगाल के साउथ 24 परगना जिले में एक BLO को स्ट्रेस की वजह से हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. कमल नस्कर ने कहा कि वह अलॉटेड वोटर लिस्ट के काम का पहला फेज पूरा करने के लिए घर-घर गए थे और उन्हें भरे हुए फॉर्म वापस करने के लिए दो हफ्ते से भी कम समय दिया गया था.

हॉस्पिटल में भर्ती होने से दो दिन पहले बंगाल के नादिया जिले की एक BLO ने सुसाइड कर लिया था. रिंकू तरफदार अपने घर में डेड पाई गईं और उनके परिवार ने SIR से जुड़े स्ट्रेस को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया. बंगाल से कम से कम दो और मौतों की खबर मिली है.

राहुल-ममता ने EC पर लगाया 'ज़ुल्म करने का आरोप

कांग्रेस MP राहुल गांधी और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी जैसे विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग की आलोचना की है. इन नेताओं ने चुनाव आयोग पर लगभग नामुमकिन वोटर री-वेरिफिकेशन टारगेट को पूरा करने के लिए BLO पर बहुत ज्यादा दबाव डालने का आरोप लगाया है. राहुल गांधी ने कहा, "SIR (वोटर रोल का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) की आड़ में, पूरे देश में अफरा-तफरी मचा दी है. नतीजा? तीन सप्ताह में 16 BLOs ने अपनी जान गंवा दी."

ममता बनर्जी ने EC से BLOs पर 'अमानवीय' काम के दबाव के कारण SIR को रोकने की मांग की है. उन्होंने कहा कि वे 'इंसानी हद से कहीं ज्यादा काम कर रहे हैं.' उन्होंने पोल पैनल पर वर्कर्स को डराने-धमकाने का भी आरोप लगाया है.

गुजरात में 4 टीचर की मौत

केरल से भी BLO अनीश जॉर्ज ने सुसाइड कर लिया था. राजस्थान के हरिओम बैरवा की मौत सीनियर पोल अधिकारियों के दबाव में आने के बाद हुई. गुजरात SIR प्रोसेस के दौरान बहुत ज्यादा और असहनीय काम का बोझ की वजह से चार स्कूल टीचरों की मौत हो गई.

केरल और बंगाल में हुई मौतों के बाद BLO और कर्मचारी यूनियनों ने भी विरोध प्रदर्शन किया और अधिकारियों से तनाव कम करने के लिए कार्रवाई करने की मांग की. इनमें से कुछ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए. केरल में राज्य के उत्तरी हिस्से में एक BLO ने वोटरों के गिनती के फार्म भरते समय सबके सामने कपड़े उतार दिए. EC ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

SIR से कमजोर दिल वालों को परेशानी ज्यादा : डॉ.सम्यक जैन

मनोविज्ञानी डॉक्टर सम्यक जैन ने एसआईआर को लेकर शिक्षकों को होने वाली परेशानी की बात कर कहा, "शिक्षकों से जो काम कराए जा रहे हैं, उस काम को वे मन से नहीं करना चाहते. शिक्षकों का कहना है कि मैं, हमारा काम बच्चों को पढ़ाने की है. मतदाता सूची तैयार करने की नहीं. ऐसे में उन पर डबल प्रेशर बन जाता है." फिर, टीचर्स यह सोचने लगते हैं कि क्या करूं, क्या न करें? नहीं करने का सवाल ही नहीं होता है. ऐसा इसलिए कि मतदाता सूची अपडेशन का काम उनके लिए मैंडेटरी वर्क में शामिल है.

कमजोर दिल वाले होते हैं ज्यादा परेशान

फिर, तय समय में ही उन्हें काम पूरा करने के लिए कहा जाता है. ऐसे में कम आत्मविश्वासी या फिर कमजोर दिल के लोग घबरा जाते हैं. जो मजबूत दिल के होते हैं, वो कहते हैं जितना काम होगा, उतना करेंगे. जो नहीं होगा देखी जाएगी. कमजोर दिल वाले दबाव में आ जाते हैं. उनका दिमाग उल्टा काम करता है. ऐसे में डिप्रेशन, एंग्जायटी, टेंशन व अन्य मनोवैज्ञानिक बीमारी दिमाग पर हावी हो जाता है. इसके बावजूद सुसाइड या नौकरी छोड़ने की बात वही करते हैं, जिन्हें नॉर्मल लाइफ में भी बेवजह टेंशन या एंग्जाइटी के लक्षण पहले से होते हैं.

माहौल का असर

ऐसा इसलिए कि अगर आप संख्या के लिहाज से देखेंगे तो बहुत कम लोग हैं, जो ऐसा करते हैं, लेकिन इन घटनाओं की वजह से माहौल जरूर खराब होता है. ऐसे में जो काम कर रहे होते हैं, उन पर भी दबाव बढ़ जाता है और डर का माहौल पैदा होता है.

डॉ. सम्यक जैन ने चौंकाने वाली बात यह कही कि मेरे पास भी अभी तक चार पांच ऐसे शिक्षक आ चुके हैं. जो एसआईआर के तहत काम के दबाव से परेशान थे. उनका कहना है कि ऐसे लोगों को कोई समझाने वाला या पीठ थपथपाने वाला मिल जाए या फिर गाइड करने वाला मिल जाए तो सुसाइड के मामलों से बचा जा सकता है. दबाव में आये लोग ज्यादातर खुद का नुकसान करते हैं, लेकिन अपवाद केस में अपने अफसर को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. सुसाइड की नौबत तक पहुंचने वाले सीवियर एंग्जाइटी के रोगी होते हैं. 

Similar News