'जय गुजरात' नारे पर बवाल: शिंदे के बयान से गरमाई महाराष्ट्र की सियासत, विपक्ष ने बताया 'गुजरात प्रेम'; फडणवीस ने किया बचाव
महाराष्ट्र में मराठी बनाम गुजराती भाषा को लेकर विवाद तब गहरा गया, जब डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने एक कार्यक्रम में 'जय महाराष्ट्र' के बाद 'जय गुजरात' का नारा दिया. विपक्ष ने इसे लेकर शिंदे पर गुजरात को खुश करने का आरोप लगाया, वहीं सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उनका बचाव करते हुए कहा कि ऐसा कहना संकीर्ण सोच है. यह विवाद तब उठा जब मुंबई में एमएनएस कार्यकर्ताओं द्वारा दुकानदारों को मराठी में बात न करने पर पीटा गया था.;
Eknath Shinde statement Jai Gujarat controversy: पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने अपने भाषण का समापन 'जय हिंद, जय महाराष्ट्र, जय गुजरात' कहकर किया. इसके बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई. खासकर तब, जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं द्वारा एक दुकानदार को मराठी में बात न करने पर पीटने का वीडियो वायरल हुआ और भाषा की राजनीति गरमाई हुई है.
एनसीपी (एसपी) नेता क्लाइड क्रास्टो ने शिंदे पर पीएम मोदी और अमित शाह (दोनों गुजराती) के प्रभाव में 'गुजरात प्रेम' दिखाने और 'सत्ता की लालच' में ऐसा नारा लगाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि शिंदे सत्ता पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.
फडणवीस ने शिंदे का किया बचाव
हालांकि, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे का बचाव किया. उन्होंने कहा, "सिर्फ ‘जय गुजरात’ कहने से यह साबित नहीं होता कि शिंदे को महाराष्ट्र से कम प्रेम है. ऐसी संकीर्ण सोच मराठी लोगों को शोभा नहीं देती."
गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी: फडणवीस
विवादित नारेबाजी की यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब मुंबई में MNS कार्यकर्ताओं द्वारा दुकानदारों को मराठी में न बोलने पर पीटा गया. इस पर फडणवीस ने कहा कि मराठी भाषा का सम्मान होना चाहिए, लेकिन किसी को पीटना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने चेतावनी दी कि मराठी" के नाम पर किसी भी तरह की गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने MNS पर साधा निशाना
शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता और परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने भी MNS पर निशाना साधते हुए कहा, "क्या सिर्फ MNS को मराठी भाषा के लिए लड़ने का हक है? कानून हाथ में लेकर अगर कोई आम लोगों को धमका रहा है, तो यह स्वीकार्य नहीं है." उन्होंने आगे कहा, "हम भी मराठी और हिंदुत्व पर गर्व करते हैं. व्यापारियों को धमकाना गलत है. मैंने पुलिस को कार्रवाई के लिए कहा था और उन्होंने कार्रवाई की है."
यह विवाद ऐसे समय में उठा है, जब राज्य सरकार ने पहली कक्षा से हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया। ऐसे में भाषा और पहचान की राजनीति एक बार फिर महाराष्ट्र की सियासत में केंद्र में आ गई है.