MGNREGA को मत मारो, जैसे तुमने गांधी को मारा था.. हाथों में बैनर लिए सदन के बाहर सीढ़ियों पर रातभर TMC के सासंदो ने किया प्रदर्शन

संसद परिसर में शुक्रवार की सुबह कुछ अलग थी. आम दिनों की बहस और औपचारिकता से हटकर, संविधान सदन की सीढ़ियों पर विरोध, नाराज़गी और सवालों की गूंज सुनाई दे रही थी. वजह था विकसित भारत–गारंटी फॉर रोज़गार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 जिसे सरकार ने पास करा लिया, लेकिन विपक्ष ने इसे लोकतंत्र और गरीबों के अधिकारों पर हमला बताया.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 19 Dec 2025 9:22 AM IST

संसद परिसर में उस वक्त असामान्य माहौल देखने को मिला, जब तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद हाथों में बैनर और तख्तियां लिए सदन के बाहर सीढ़ियों पर रातभर डटे रहे. “MGNREGA को मत मारो, जैसे तुमने गांधी को मारा था” जैसे तीखे नारों के साथ किए गए इस प्रदर्शन ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी.

स्‍टेट मिरर अब WhatsApp पर भी, सब्‍सक्राइब करने के लिए क्लिक करें

TMC सांसदों का आरोप है कि केंद्र सरकार मनरेगा जैसी अहम योजना को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. इसी के विरोध में उन्होंने पूरी रात संसद परिसर में शांतिपूर्ण धरना देकर अपनी नाराज़गी और मांगों को सार्वजनिक रूप से सामने रखा.

धरने की अगुवाई और सियासी चेहरों की मौजूदगी

धरना स्थल पर TMC की कई जानी-पहचानी आवाज़ें मौजूद थीं. इनमें सागरिका घोष, डेरेक ओ’ब्रायन, सुष्मिता देव, डोला सेन, रिताब्रत बनर्जी, मौसम नूर, प्रकाश चिक बड़ाइक समेत अन्य सांसद शामिल थे. उनके साथ INDIA गठबंधन के सांसद भी खड़े दिखे.

गरीबों और किसानों के खिलाफ है बिल

धरने के बीच TMC सांसद सागरिका घोष ने सरकार पर बेहद गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि यह बिल गरीबों, किसानों और ग्रामीण भारत के खिलाफ है. उनका दावा था कि जिस तरह से MNREGA को हटाकर नया कानून लाया गया, वह महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर दोनों का अपमान है. इसके आगे उन्होंने कहा कि 'पांच घंटे की नोटिस पर बिल लाया गया, न बहस हुई, न जांच. इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजने की हमारी मांग कुचल दी गई. यह लोकतंत्र की हत्या है.'

सोशल मीडिया पर भी विरोध

सागरिका घोष और सुष्मिता देव ने सोशल मीडिया एक्स पर भी सरकार के फैसले पर हमला बोला. सुष्मिता देव ने लिखा कि यह कानून 100 दिन की रोज़गार गारंटी को कमजोर करता है और केंद्र की जिम्मेदारी को 90% से घटाकर 60% कर देता है. 

विवाद की जड़: MNREGA से बदलाव

दरअसल नया कानून ग्रामीण परिवारों को 125 दिन के रोज़गार की गारंटी देता है, जो पहले 100 दिन थी. लेकिन बड़ा बदलाव यह है कि अब खर्च का 40% बोझ राज्यों पर डाला गया है, जबकि MNREGA पूरी तरह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी थी. यही बात विपक्ष को सबसे ज़्यादा खटक रही है.

सरकार का पक्ष: ‘रामराज्य की सोच’

केंद्र सरकार का कहना है कि यह कानून गरीबों के हित में है. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे ग्रामीण कल्याण की दिशा में बड़ा कदम बताया और विपक्ष पर गांधी के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

राज्यसभा में आधी रात तक हुई बहस

राज्यसभा में बहस देर रात तक चली. विपक्ष ने वॉकआउट किया और बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग दोहराई, लेकिन सरकार अपने फैसले पर अडिग रही. कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने ऐलान किया कि सत्ता में लौटते ही MNREGA को उसके पुराने स्वरूप में बहाल किया जाएगा. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सांसद दिग्विजय सिंह ने भी बिल को गांधी के ग्राम स्वराज के विचारों के खिलाफ बताया. विपक्ष का कहना है कि यह लड़ाई यहीं खत्म नहीं होगी. देशभर में विरोध प्रदर्शन की तैयारी है. सरकार जहां इसे सुधारात्मक कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे गरीबों से जुड़ा अधिकार छीनने की कोशिश मान रहा है.

Similar News