'डिजिटल एक्सेस अब मौलिक अधिकार', सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दिव्यांगों के लिए e-kyc की राह आसान
कोर्ट ने कहा, "डिजिटल पहुंच अब कोई नीति का विषय नहीं, बल्कि एक संविधानिक अनिवार्यता है जो हर व्यक्ति को गरिमा पूर्ण जीवन देने के लिए ज़रूरी है.'' कोर्ट ने केंद्र सरकार को 20 सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा कि KYC प्रक्रिया को दिव्यांगों के लिए अधिक अनुकूल बनाया जाए.;
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि डिजिटल एक्सेस एक मौलिक अधिकार है और राज्य की यह संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह देश के हर नागरिक, चाहे वह ग्रामीण हो या वंचित तबके से, को डिजिटल पहुंच सुनिश्चित कराए.
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने यह फैसला दो जनहित याचिकाओं पर सुनाया, जिनमें से एक एसिड अटैक सर्वाइवर की थी. उन्होंने याचिका में बताया कि बैंक में 'नो योर कस्टमर' (KYC) प्रक्रिया के दौरान उन्हें किस तरह मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
हर व्यक्ति के गरिमापूर्ण जीवन के लिए यह जरूरी
कोर्ट ने कहा, "डिजिटल पहुंच अब कोई नीति का विषय नहीं, बल्कि एक संविधानिक अनिवार्यता है जो हर व्यक्ति को गरिमा पूर्ण जीवन देने के लिए ज़रूरी है. जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद 21) के तहत अब डिजिटल पहुंच एक अलग और महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है. सरकार को ज़रूरी है कि वह एक समावेशी डिजिटल प्रणाली बनाए, जो सिर्फ़ विशेष लोगों के लिए नहीं बल्कि उन वंचित वर्गों के लिए भी हो जो ऐतिहासिक रूप से इससे बाहर रहे हैं."
कोर्ट ने कहा कि आजकल स्वास्थ्य सेवाओं जैसे जरूरी अधिकार भी डिजिटल माध्यमों से जुड़ चुके हैं, इसलिए अनुच्छेद 21 की व्याख्या अब टेक्नोलॉजिकल सच्चाई के आधार पर होनी चाहिए.
20 निर्देश और KYC प्रक्रिया में बदलाव
कोर्ट ने केंद्र सरकार को 20 सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा कि KYC प्रक्रिया को दिव्यांगों के लिए अधिक अनुकूल और समावेशी बनाया जाए. यह मामला जुलाई 2023 का है, जब एक एसिड अटैक पीड़िता प्रज्ञा प्रसून ने बैंक में खाता खुलवाने की कोशिश की, लेकिन डिजिटल KYC के दौरान बैंक ने उन्हें तब तक आगे नहीं बढ़ने दिया जब तक वह 'लाइव ब्लिंकिंग फोटो' नहीं देतीं, यानी कैमरे के सामने पलक झपकाना. चेहरे पर गंभीर क्षति के चलते यह संभव नहीं था. बाद में सोशल मीडिया पर हंगामे के बाद बैंक ने छूट दी.
RBI के मौजूदा KYC नियम कुछ लोगों के लिए बाधा
याचिका में कहा गया कि RBI द्वारा तय किए गए KYC नियम ऐसे लोगों के लिए बाधा बनते हैं जिन्हें चेहरा पहचान से जुड़ी अक्षमता है. याचिका में केंद्र सरकार से मांग की गई कि ऐसे मामलों के लिए विशेष गाइडलाइन्स लाई जाएं.
जस्टिस महादेवन ने इस फैसले को लिखा और उनके सह-न्यायाधीश जस्टिस जेबी पारदीवाला ने इसे "brilliant" यानी शानदार करार दिया.