छठ पूजा 2025: बिहार-झारखंड से लेकर देश के अलग अलग घाटों पर उमड़ी आस्था की लहर, छठव्रतियों ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य
देशभर में लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. बिहार, यूपी, झारखंड, दिल्ली और मुंबई के घाटों पर व्रती महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया. इस बार छठ में नेताओं की मौजूदगी ने माहौल को और खास बना दिया. भक्ति गीतों, दीयों और पारंपरिक विधियों से सजे घाटों ने पूरे देश को आस्था और एकता के रंग में रंग दिया.;
देशभर में लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा एक बार फिर भक्तिभाव, उल्लास और अद्भुत उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व के अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए लाखों श्रद्धालु घाटों पर जुटे. हर ओर भक्ति संगीत, परंपरा और अपार श्रद्धा का संगम देखने को मिल रहा है.
इस बार का छठ सिर्फ आस्था का ही नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक रंगों से भी भरा हुआ नजर आया. बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली-मुंबई तक नेताओं की मौजूदगी ने त्योहार की रोशनी को और भी बढ़ा दिया. घाटों पर जनता के बीच पहुंचकर नेताओं ने आशीर्वाद मांगा और जनता से जुड़ने का अवसर नहीं छोड़ा.
श्रद्धा और उत्साह का संगम
गोरखपुर, पटना, वाराणसी, दिल्ली, नोएडा और मुंबई के घाटों पर हजारों श्रद्धालु परिवार सहित पहुंचे. परंपरागत वस्त्रों में महिलाएं फल, ठेकुआ और केले की डालियों के साथ सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करती दिखीं. जल में खड़े होकर व्रती महिलाओं ने परिवार की समृद्धि और संतानों की लंबी उम्र की कामना की.
घाटों पर भक्ति का माहौल
घाटों पर ढोलक की थाप और लोकगीतों की धुनें गूंज उठीं. इसके साथ ही इस साल शारदा सिन्हा के गीतों ने श्रद्धालुओं की भावनाओं को और प्रगाढ़ कर दिया. हर दिशा से आती अगरबत्ती की खुशबू, दीयों की रोशनी और आस्था की लहर ने वातावरण को दिव्यता से भर दिया.
बिहार में छठ का राजनीतिक रंग
बिहार में इस बार छठ पूजा के दौरान नेताओं का जमावड़ा घाटों पर देखने को मिला. कई राजनीतिक दलों के उम्मीदवार और विधायकों ने जनता के बीच पहुंचकर न सिर्फ श्रद्धालुओं से संवाद किया बल्कि पूजा में शामिल होकर आशीर्वाद भी लिया. यह छठ न केवल धार्मिक, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी चर्चा में रहा.
सामाजिक एकता का प्रतीक
छठ पूजा एक ऐसा पर्व है जो किसी वर्ग, जाति या धर्म की सीमा में बंधा नहीं. दिल्ली से लेकर मुंबई तक, हर शहर में लोग एक साथ जुटे और परंपरा का सम्मान किया. यह पर्व एकता, पर्यावरण और सूर्य उपासना का संदेश देता है, जिसने पूरे देश को जोड़ रखा है.
आधुनिकता के बीच परंपरा की छाप
भले ही समय बदल गया हो, लेकिन छठ की परंपरा आज भी उतनी ही जीवंत है. सोशल मीडिया पर तस्वीरें और लाइव वीडियो के बावजूद, व्रती महिलाएं मिट्टी के घाटों और सरोवरों में वही पारंपरिक विधि से पूजा करती नजर आईं.
छठ पूजा सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई और पारिवारिक एकजुटता का जीवंत प्रतीक है. इस पर्व ने एक बार फिर दिखा दिया कि आधुनिक जीवनशैली के बावजूद हमारी जड़ें परंपराओं से जुड़ी हुई हैं.