क्या सरकार ने डेटा सुरक्षा कानून को गंभीरता से लिया? नीति आयोग ने उठाए सवाल

Data Protection Act: पिछले साल आए डेटा प्रोटेक्शन कानून पर नीति आयोग की सलाह को लेकर बड़ा दावा किया जा रहा है. 16 जनवरी 2023 को नीति आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) को पत्र लिखा था. इसमें कानून से RTI के कमजोर होनी की आशंका जताई गई थी. अब सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार ने आयोग की राय के नजरअंदाज कर दिया था.;

NITI Aayog Pic Credit- ANI
Edited By :  प्रिया पांडे
Updated On : 29 Sept 2024 8:45 PM IST

Data Protection Act: पिछले साल आए डेटा प्रोटेक्शन कानून पर नीति आयोग के आपत्ति को लेकर एक बार फिर से चर्चा होने लगी है. संसद में बिल आने के समय विपक्षी दलों के साथ ही कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसमें जोड़े गए एक संशोधन का विरोध किया था. कहा जा रहा था कि इसके एक क्लॉज से RTI कानून कमजोर होगा. इसके लिए NITI आयोग ने भी सरकार को पत्र लिखा था. हालांकि, सरकार ने उस चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया.

डेटा प्रोटेक्शन कानून में आरटीआई के एक क्लॉज में संशोधन का प्रस्ताव रखा गया था, जिसमें सरकारी अधिकारियों के निजी जानकारी का खुलासा न करने की बात कही गई थी. इसी को लेकर नीति आयोग ने 16 जनवरी, 2023 को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) को पत्र लिखा था. इसमें प्रस्तावित कानून को ठीक उसी तरह पारित न करने का अनुरोध किया था.

सरकार ने किया नजरअंदाज

नीति आयोग की आपत्तियों के बावजूद बिल अगस्त 2023 में संसद में पारित हो गया और उसी महीने राष्ट्रपति की स्वीकृति भी मिल गई थी. MeitY ने आरटीआई अधिनियम में प्रस्तावित बदलावों को अपरिवर्तित रखा. कई सीनियर अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि नीति आयोग की टिप्पणियों को नजरअंदाज किया गया है.

किस बात पर था विरोध

कानून में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(J) में संशोधन का प्रस्ताव था. यह किसी सरकारी अधिकारी की निजी जानकारी साझा करने से रोकता है. बशर्ते कि यह किसी सार्वजनिक काम पर असर नहीं डालेगा और निजता पर किसी तरह को बेवजह हमला नहीं होगा.

RTI अधिकारियों की शक्ति

नीति आयोग ने अपनी राय में बताया था कि प्रस्तावित संशोधन से जन सूचना अधिकारियों की किसी मामले में जांच करने की शक्ति खत्म हो जाएगी. जो आरटीआई अधिनियम को कमजोर कर देगा. फिलहाल, आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(जे) में स्पष्ट किया गया है कि व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा केवल तब किया जा सकता है जब वह किसी जरूरी हित में हो.

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