कौन थीं ब्रह्माकुमारी दादी रतन मोहिनी? जिन्होंने समाज कल्याण में गुजार दिया अपना पूरा जीवन
Dadi Ratan Mohini Passed Away: मंगलवार को ब्रह्माकुमारी दादी रतन मोहिनी का 101वें साल की उम्र में अहमदाबाद में निधन हो गया. उन्होंने समाज कल्याण के लिए बहुत से काम किए. अपना जीवन जीवन समाज कल्याण में गुजारा महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किए. उनके निधन पर पुूरा देश दादीजी को नमन कर रहा है. 10 अप्रैल को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.;
Brhamakumari Ratanmohni Death News: आध्यात्मिक गुरु और ब्रह्माकुमारी की मुख्य प्रशासक दादी रतन मोहिनी अब हमारे बीच नहीं रही. गुजरात के अहमदाबाद में मंगलवार (8 अप्रैल) उनका निधन हो गया. पिछले महीने ही 25 मार्च को उनका 100वां जन्मदिन मनाया गया था. वह लंबे समय से बीमार चल रही थीं और जाइडिस अस्पताल में इलाज भी चल रहा था. 10 अप्रैल को सुबह 10 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
ब्रह्माकुमारी मोहिनी के निधन पर देश भर से लोगों ने दुख व्यक्त किया है. पीएम मोदी से लेकर तमाम नेताओं ने उनके आत्मा की शांति की कामना की है. उन्हें उनके योगदान और सामाजिक कार्यों के लिए जाना जाता था. आज हम आपको उनके बारे में बताएंगे.
कौन थीं ब्रह्माकुमारी मोहिनी?
ब्रह्माकुमारी मोहिनी को दादी रतनमोहिनी के नाम से भी मशहूर थीं. 25 मार्च 1925 को पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हैदराबाद में जन्म हुआ था. उनका असली नाम लक्ष्मी रखा गया था. इसके बाद बचपन से उन्होंने अध्यात्म का रास्ता चुन लिया. धार्मिक आस्था में सदा लीन रहती थीं सिर्फ 13 साल की उम्र में लक्ष्मी ने विश्व शांति और नारी सशक्तिकरण के लिए काम करने लगीं.
वह छोटी सी उम्र में ही ब्रह्माकुमारीज से जुड़ गईं. अपना जीवन जीवन समाज कल्याण में गुजारा महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किए. वह सुबह ब्रह्ममुहूर्त में 3.30 बजे उठती थी. वह भगवान शिव की परम भक्त थीं. साल 1937 में ब्रह्माकुमारीज की स्थापना की गई.
संगठन के लिए किए कई काम
दादी रतनमोहिनी 87 साल तक इस संस्था से जुड़ी रहीं. वह 40 साल से ज्यादा संगठन का युवा प्रभाग की अध्यक्षा की जिम्मेदारी संभाली. इस दौरान युवा प्रभाग ने देशभर में साइकिल यात्रा, राष्ट्रीय युवा पदयात्रा और अन्य अभियान चलाए. 2006 में स्वर्णिम भारत युवा पदयात्रा निकाली और ब्रह्माकुमारीज के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया. यह यात्रा 20 अगस्त 2006 से 29 अगस्त 2006 तक चली. इस दौरान 30 हजार किमी का सफर तय किया. इसमें सवा करोड़ लोगों ने भाग लिया.
डॉक्टर की उपाधि
दादीजी को 20 फरवरी 2014 को गुलबर्ग यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में रतनमोहिनी जी को डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार उन्हें युवाओं और महिलाओं के आध्यात्मिक, नैतिक और ,सामाजिक सशक्तिकरण में योगदान के लिए दिया गया था. उन्होंने विधिवत बेटियों को ट्रेनिंग दी.