सुसाइड और जेल भेजने की धमकी तलाक के लिए काफी... बॉम्बे HC की बड़ी टिप्पणी

Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि आत्महत्या की धमकी देना या प्रयास करके जीवनसाथी और उनके परिवार को जेल कराने की धमकी देना क्रूरता है. अगर पति-पत्नी में से कोई भी ऐसा करता है तो इसे तलाक का आधार बनाया जा सकता है. वहीं महिला ने अपने ससुर पर उनकी मर्यादा को ठेस पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप लगाए.;

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Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने एक तलाक के मामले की सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा, आत्महत्या की धमकी देना या प्रयास करके जीवनसाथी और उनके परिवार को जेल कराने की धमकी देना क्रूरता है, जो तलाक का आधार प्रदान करता है.

हाई कोर्ट के जस्टिस आर एम जोशी की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. शिकायत में पति ने दावा किया कि उसकी पत्नी उसे और उसके परिवार वालों को आत्महत्या करने की धमकी देकर सजा दिलाने की बात करती है.

क्या है मामला?

याचिका में बताया गया कि 15 अप्रैल 2009 को कपल की शादी हुई थी, जिनकी एक बेटी भी है. पति का दावा है कि शादी के बाद पत्नी के घर वाले यानी माता-पिता ससुराल आते और उनके जीवन में हस्तक्षेप करते थे. 17 अक्टूबर 2010 को महिला घर छोड़कर अपने मायके चली गई. इसके बाद शख्स 24 अक्टूबर को उसे लेने पहुंचा तो वहां पर पत्नी के घर वालों ने उसका अपमान किया.

महिला ने अपने ससुर पर उनकी मर्यादा को ठेस पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप लगाए. साथ ही सुसाइड की धमकी देकर उसके परिवार के लोगों को जेल भेजने की धमकी देती थी. हालांकि महिला ने सभी आरोपों से इनकार किया और कहा, मेरे ससुर को शराब की लत लगी हुई है और वह उसे गाली देता है.

कोर्ट ने दी तलाक की इजाजत

ट्रायल कोर्ट ने माना कि पत्नी ने पति के साथ क्रूरता की है और तलाक की अपील को मंजूर कर लिया. इसके बाद महिला ने फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी, हालांकि न्यायालय ने अपील को खारिज कर दिया. साथ ही ट्रायल कोर्ट के तलाक के फैसले को बरकरार रखा. महिला ने ससुर पर लगाए आरोपों को प्रूफ नहीं कर पाई. कोर्ट ने कहा, पति या पत्नी की ओर से इस तरह के काम क्रूरता को दिखाते हैं. इसलिए यह तलाक का आधार बन सकता है.

इलाहाबाद HC ने पति को लगाई फटकार

हाल ही में एक मामला सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी का प्राइवेट वीडियो बनाकर उसे फेसबुक पर अपलोड कर दिया था. इस मामले पर कोर्ट ने पति को फटकार लगाई और कहा, शादी पति को अपनी पत्नी पर स्वामित्व या कंट्रोल नहीं देता है, न ही यह उसकी स्वायत्तता या निजता के अधिकार को कमजोर करता है. इस तरह वीडियो शेयर करना प्राइवेसी का उल्लंघन है. यह आपसी विश्वास का भी उल्लंघन है जो वैवाहिक संबंधों की नींव को कमजोर करता है.

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