'किसी खास जगह पर अंतिम संस्कार की मांग अधिकार नहीं', बॉम्बे HC ने दो हाउसिंग सोसाइटी को दी राहत
Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि नागरिकों को किसी खास स्थान पर अंतिम संस्कार या दफनाने का अधिकार नहीं. इस मामले में दो हाउसिंग सोसाइटियों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी सोसाइटी के अंदर श्मशान घाट निर्माण को चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने सोसाइची की मांग के सही ठहराया और ग्रामीणों की मांग को अजीब बताया, जो कि नए श्मशान घाट बनाने के पक्ष में थे.;
Bombay High Court: नवी मुंबई के उल्वे में दो हाउसिंग सोसाइटी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी सोसाइटी के पास श्मशान घाट बनाए जाने का विरोध किया था. इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि किसी भी नागरिक को यह अधिकार नहीं है कि वह अंतिम संस्कार या दफनाने के लिए कोई खास जगह मांग सके.
हाई कोर्ट के जस्टिस एएस गडकरी और कमल खता की बेंच इस मामले की सुनवाई की. हाई कोर्ट ने कहा, यह प्रशासन की जिम्मेदारी होती है कि वह जनता की जरूरतों को ध्यान में रखकर फैसले ले. अंतिम संस्कार के खास जगह की मांग सही नहीं
कोर्ट ने क्या कहा?
हाई कोर्ट के जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस कमल खताकी बेंच ने मामले की जांच की. सामने आया कि CIDCO (सिटी एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ महाराष्ट्र लिमिटेड) पहले से ही 3.5 किलोमीटर दूर एक पूरी तरह से तैयार श्मशान घाट बना चुका है.
कोर्ट ने कहा कि जब पास में ही एक वैकल्पिक श्मशान घाट मौजूद है, तो गांववालों का नया श्मशान घाट हाउसिंग सोसाइटी के पास ही बनाने पर जोर देना अजीब है. कोर्ट ने साफ किया कि श्मशान घाट कहां बनेगा, यह तय करना CIDCO का काम है न कि किसी नागरिक या समूह का अधिकार.
हाउसिंग सोसाइटी का तर्क
हाउसिंग सोसाइटी की ओर से कहा गया कि जिस जगह पर श्मशान घाट बनाया गया, वह CIDCO की योजना में पेट्रोल पंप के लिए तय था. श्मशान घाट से निकलने वाला धुआं और बदबू सोसाइटी के लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है. पहले से ही 15-20 मिनट की दूरी पर श्मशान घाट मौजूद है, तो नया श्मशान घाट बिल्कुल भी जरूरी नहीं.
गांववालों का पक्ष
खारकोपर गांव के लोगों ने याचिका का विरोध किया. ग्रामीणों ने कहा, उन्होंने कहा कि उनका पिछला श्मशान घाट 250 साल से भी ज्यादा पुराना था और उसे लंबे समय से अपग्रेड करने की जरूरत थी. हाउसिंग सोसाइटी हाल ही में बनी हैं, जबकि गांववाले कई पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं इसलिए सोसाइटी वाले उनकी पुरानी परंपराओं को बदलने की मांग नहीं कर सकते. गांववालों का कहना है कि वैकल्पिक श्मशान घाट तक जाना काफी मुश्किल होगा.
CIDCO ने क्या कहा?
CIDCO ने बताया कि 2023 में जब उन्होंने हाउसिंग सोसाइटी की शिकायत पर श्मशान घाट हटाने की कोशिश की तो ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया. हालांकि वैकल्पिक श्मशान घाट पहले से चालू था. इसलिए हाउसिंग सोसाइटी के पास श्मशान को बनाए रखने का कोई ठोस कारण नहीं था. कोर्ट ने CIDCO के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि हाउसिंग सोसाइटी की मांग सही है. उन्होंने साफ किया कि श्मशान घाट को कहां बनाना है, यह प्रशासन का फैसला होगा और इस मामले में दखल देने की कोई वजह नहीं है.