पत्नी से ज्यादा बिल्ली का रखता था ध्यान, महिला ने पति के खिलाफ किया मुकदमा; कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

बेंगलुरु से एक खबर आ रही है, जहां पर एक महिला ने अपने पति पर आरोप लगाया है. पत्नी का आरोप है कि उनका पति उससे ज्यादा पालतू बिल्ली से प्यार करता है. इस तरह के मामलों ने बहुत से सवाल खड़े कर दिए हैं कि कैसे छोटे-छोटे विवाद कानूनी लड़ाई में बदल सकते हैं.;

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कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक ऐसे मामले में संज्ञान लिया है जो अपनी अनोखी बात की वजह से चर्चा का विषय बन गई है. बेंगलुरु की एक महिला ने अपने पति पर यह आरोप लगाया कि वह अपनी पालतू बिल्ली की देखभाल में उससे ज्यादा ध्यान देता है. इस विवाद ने और भी दिलचस्प मोड़ तब लिया जब अदालत ने पाया कि पत्नी के लगाए गए क्रूरता और दहेज की मांग के आरोप (आईपीसी की धारा 498ए के तहत) का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला. असली मुद्दा तो बिल्ली है.

'बिल्ली के प्रति ज्यादा लगाव'

न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने अपनी सुनवाई में पत्नी के आरोपों का उल्लेख किया. पत्नी ने कहा कि पति का बिल्ली के प्रति ज्यादा लगाव अक्सर उनके झगड़ों का वजह बनता था. रिपोर्ट के अनुसार, बिल्ली द्वारा पत्नी को खरोंचने या हमला करने की घटनाओं ने उनकी नाराजगी को और बढ़ा दिया.

अदालत ने पाया कि पत्नी द्वारा लगाए गए आरोप आईपीसी की धारा 498ए के तहत गंभीर अपराध की श्रेणी में नहीं आते. न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा कि यह मामला मामूली घरेलू समस्याओं का है, न कि किसी तरह के अपराध का.

'मामूली मामलों से बचना चाहिए': हाईकोर्ट की टिप्पणी

डीएच की रिपोर्ट के मुताबिक, 'न्यायाधीश ने यह भी टिप्पणी की कि ऐसे मामलों से ज्यूडिशियल सिस्टम पर अनावश्यक रूप से दबाव पड़ता है, तथा ज्यादा जरूरी मामलों से संसाधनों को हटाकर, उन मामलों पर खर्च किया जाता है, जिन्हें उन्होंने "तुच्छ दावे(मामूली)" कहा है.

पहले का मामला

इस तरह के मामलों ने बहुत से सवाल खड़े कर दिए हैं कि कैसे छोटे-छोटे विवाद कानूनी लड़ाई में बदल सकते हैं.

इसी तरह के एक अलग मामले में, बेंगलुरु के एक टेक एग्जीक्यूटिव अधिकारी ने वैवाहिक विवाद और बढ़ते फाइनेंशियल दबाव के वजह से आत्महत्या कर ली. उनकी मौत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे पारिवारिक विवाद कभी-कभी गंभीर और दुखद परिणामों तक पहुंच सकते हैं.

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