आतिशी अकेली 'भरत' नहीं हैं, भारत में पहले भी इन CM ने दोहराया था रामायण का किस्सा

सोमवार को आप (AAP) नेता अतिशी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया, लेकिन इस मौके पर एक खाली कुर्सी ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. यह कुर्सी अतिशी की अपनी कुर्सी के बगल में रखी गई थी, जो उनके अरविंद केजरीवाल के प्रति उनकी निष्ठा का प्रतीक के तौर पर पेश किया गया. ठीक ऐसा ही एक ओर घटनाक्रम दक्षिण के बड़े राज्य तमिलनाडु और बिहार में हो चुका है.;

CM Atishi Pic Credit- Social Media
By :  प्रिया पांडे
Updated On : 23 Sept 2024 5:54 PM IST

दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने शपथ लेते ही राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया। अपने शपथ ग्रहण के दौरान, उन्होंने एक अनोखा स्टंट किया जिसने सबका ध्यान आकर्षित किया. शपथ लेते समय आतिशी ने अपनी बगल वाली कुर्सी खाली रखी, जो उनके नेता अरविंद केजरीवाल के लिए थी. यह प्रतीकात्मक इशारा उनके और केजरीवाल के रिश्ते को दर्शाता था.

मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद, आतिशी ने मीडिया से बातचीत में अपनी तुलना रामायण के पात्र भरत से कर दी, जबकि अरविंद केजरीवाल को भगवान राम बताया. आतिशी ने कहा, "मैं भरत की तरह हूं, आज मैं वही बोझ उठा रही हूं जो भरत ने उठाया था. जैसे भरत ने भगवान राम की खड़ाऊं सिंहासन पर रखकर राज्य किया, वैसे ही मैं अगले चार महीने तक दिल्ली का शासन उसी भावना से चलाऊंगी."

विपक्ष का विरोध

दिल्ली की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता वीरेंद्र सचदेवा ने आतिशी के इस कृत्य का विरोध किया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय का ऐसा अपमान अस्वीकार्य है और आतिशी के इस कदम को "चापलूसी" करार दिया. भाजपा ने आतिशी पर मुख्यमंत्री पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने और दिल्ली के नागरिकों की भावनाओं को आहत करने का आरोप भी लगाया.

ऐसा पहले भी हो चुका है

भारतीय राजनीति में इस तरह की घटनाएं नई नहीं हैं. तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के समय में भी ऐसी घटनाएं देखने को मिली थीं. जब जयललिता को दो बार मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था, तो उन्होंने ओ. पन्नीरसेल्वम पर भरोसा किया था, जो उनके लिए मुख्यमंत्री बने थे. पन्नीरसेल्वम ने जयललिता के प्रति अपनी निष्ठा दिखाते हुए, शपथ ग्रहण के दौरान उनकी तस्वीर अपनी जेब से निकालकर डेस्क पर रखी थी, जैसे कि वह उनके नाम पर मुख्यमंत्री की भूमिका निभा रहे हों.

इसी तरह, बिहार में जीतन राम मांझी को भी अस्थायी रूप से मुख्यमंत्री बनाया गया था जब नीतीश कुमार ने पद छोड़ा था. हालांकि, मांझी ने बाद में इस्तीफा देने से मना कर दिया था, जिससे राजनीतिक संघर्ष पैदा हुआ था.

विवाद का असर

आतिशी की भरत से तुलना और केजरीवाल के लिए कुर्सी खाली रखने का यह पूरा प्रकरण न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से विवादित हो गया, बल्कि इसने उनके नेतृत्व पर भी सवाल उठाए. विपक्ष ने इसे अतिशयोक्ति करार देते हुए दिल्ली की जनता के हितों से ध्यान हटाने का प्रयास बताया.

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