अरावली पर्वत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही आदेश पर लगाई रोक, 4 राज्यों को नोटिस जारी; जानें कब होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अरावली पर्वत से जुड़े एक अहम मामले में बड़ा कदम उठाते हुए पिछले महीने दिए गए अपने ही आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. उस आदेश में दिल्ली के आसपास स्थित अरावली पर्वतमाला की संशोधित परिभाषा को स्वीकार किया गया था. इसके अलावा 4 राज्यों को नोटिस भी जारी किया है.;
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अरावली पर्वत से जुड़े एक अहम मामले में बड़ा कदम उठाते हुए पिछले महीने दिए गए अपने ही आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. उस आदेश में दिल्ली के आसपास स्थित अरावली पर्वतमाला की संशोधित परिभाषा को स्वीकार किया गया था. अदालत के इस ताजा रुख से पर्यावरण कार्यकर्ताओं और वैज्ञानिकों को बड़ी राहत मिली है, जो लगातार चेतावनी दे रहे थे कि बदली हुई परिभाषा से गंभीर खतरा पैदा हो सकता है.
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दरअसल, संशोधित परिभाषा को लेकर यह आशंका जताई जा रही थी कि इसके जरिए अरावली क्षेत्र के बड़े हिस्सों में अवैध और अनियमित खनन का रास्ता खुल सकता है. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ अपने पुराने आदेश पर रोक लगाई, बल्कि पूरे मामले की नए सिरे से गहन समीक्षा के संकेत भी दिए हैं.
पुराने आदेश पर क्यों लगी रोक?
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्पष्ट किया कि इस स्तर पर समिति की सिफारिशों और अदालत के निर्देशों को लागू करना उचित नहीं होगा. पीठ ने कहा "हम समिति की सिफारिशों और इस न्यायालय के निर्देशों को स्थगित रखना आवश्यक समझते हैं." अदालत का मानना है कि बिना सभी पहलुओं की निष्पक्ष जांच किए संशोधित परिभाषा को लागू करना पर्यावरण के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है.
नई समिति गठित करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर्वत से जुड़े मुद्दों की जांच या पुनः जांच के लिए एक नई समिति गठित करने का आदेश दिया है. यह समिति उन सभी पहलुओं का अध्ययन करेगी, जिन पर अब तक सवाल उठते रहे हैं.
अदालत ने यह भी साफ किया कि यह जांच बेहद अहम है, क्योंकि इससे यह तय होगा कि कहीं गैर-अरावली क्षेत्रों का दायरा अनुचित तरीके से तो नहीं बढ़ा दिया गया है.
केंद्र और चार राज्यों को नोटिस
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ-साथ राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है. अदालत ने सभी पक्षों से जवाब तलब करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 21 जनवरी तय की है. नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि अरावली क्षेत्र में किसी भी नई खनन गतिविधि की अनुमति देने से पहले सतत खनन के लिए एक व्यापक योजना तैयार की जा.। सोमवार को केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि अदालत ने पिछले महीने उस योजना को स्वीकार कर लिया था.
हालांकि मुख्य न्यायाधीश ने इस दावे से असहमति जताई और कहा "हमारा मानना है कि समिति की रिपोर्ट और अदालत की टिप्पणियों की गलत व्याख्या की जा रही है. कुछ स्पष्टीकरण की आवश्यकता है. कार्यान्वयन से पहले, एक निष्पक्ष, तटस्थ और स्वतंत्र विशेषज्ञ की राय पर विचार किया जाना चाहिए." अब सभी की निगाहें 21 जनवरी की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि अरावली पर्वतमाला की परिभाषा को लेकर आगे की दिशा क्या होगी.