Air India Plane Crash: क्या चिता से भयानक थी विमान में लगी आग? सब स्वाहा होने के बाद भी, यह इंसानी चीज नहीं जली होगी! EXCLUSIVE
12 जून 2025 को अहमदाबाद एयर इंडिया हादसे में 242 में से 241 की मौत हो गई. सवा लाख लीटर फ्यूल की आग में सब कुछ पिघल गया, मगर यह इंसानी दांत नहीं. फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. बीएन मिश्र के अनुसार, दांत 1000 डिग्री तापमान में भी नहीं जलते. हादसा खुले में हुआ, इसलिए तापमान 600 डिग्री से अधिक नहीं पहुंचा. डीएनए जांच में बचे दांत और हड्डियां ही पहचान में मदद करेंगी. यह दुर्घटना विज्ञान और मानव पहचान की गंभीर चुनौती बन गई है.;
12 जून 2025 को गुजरात के अहमदाबाद (Ahmedabad) शहर में एयर इंडिया के बोइंग-787 (Air India Plane Crash) प्लेन क्रैश में सबकुछ जलकर स्वाहा हो चुका है. इंसानों-लाशों की बात छोड़िये. हवाई जहाज के ईंधन-टैंक में भरे सवा लाख लीटर पेट्रोल से धधकी आग ने, हवाई जहाज का लोहा, स्टील तक को पिघला डाला होगा. इसके बाद भी एक चीज नहीं जली होगी. आखिर वो कौन सी चीज होगी जिसे सवाल लाख लीटर पैट्रोल भी नहीं जला सका होगा? इसी सवाल का जवाब पाने के लिए स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन ने, नई दिल्ली में मौजूद देश के वरिष्ठ फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट डॉ. बी.एन. मिश्र से एक्सक्लूसिव बात की.
विशेष बातचीत के दौरान और भी ऐसी हैरान करने वाली तमाम जानकारियां निकल कर सामने आईं जिन्हें सुन-पढ़कर, किसी भी इंसान का दिमाग चकरा जाएगा. भारत के मशहूर वरिष्ठ फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट और नई दिल्ली स्थिति दीन दयाल उपाध्याय (DDU Hospital Delhi) डॉ. बी एन मिश्र (Dr B N Mishra Forensic Science Expert) ने तो यहां तक बताया कि हवाई जहाज में लगी आग और उसमें हुए विस्फोट से लगी आग, शमशान की चिता की आग, भट्टे-भट्टी-तंदूर की आग या फिर, विद्युत शवदाह गृह की आग में जलने पर इंसान की लाश में क्या कुछ और कैसे अलग-अलग होता है? अगर कोई इंसानी शरीर पूरी तरह आग में जलकर स्वाहा हो चुका होता है तब, फॉरेंसिंक साइंस एक्सपर्ट किस तरह से उस शव या मर चुके इंसान की पहचान करने में मददगार साबित होता है?
इंसानी दांत 1000 डिग्री तापमान में भी नहीं जलता
बकौल फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट डॉक्टर बीएन मिश्र, “कैल्शियम कार्बोनेट और एक फॉस्फाइड ग्रुप है. यह एक हजार डिग्री तापमान पर न तो जलते हैं न ही नष्ट होते हैं. इसका सर्वोत्तम उदाहरण इंसान के शरीर में दांत है. इंसान हो या फिर जानवर इनके दांत एक हजार डिग्री सेल्सियस के तापमान पर भी पूरी तरह जलकर नष्ट नहीं होते हैं. अगर एक हजार तापमान में इन्हें रखा या जलाया जाएगा तब भी संभावना यही रहेगी कि, आग की गरमी से यह (दांत) चटक कर टुकड़ों में बदल जाएं. राख में दांत आसानी से तब्दील नहीं होता है.
दुर्घटनाग्रस्त हवाई जहाज का तापमान
जहां तक सवाल 12 जून 2025 को गुजरात के अहमदाबाद शहर में हुए एयर इंडिया प्लेन क्रैश की बात है, तो उसका तापमान पहली बात तो एक हजार डिग्री तक पहुंचा ही नहीं होगा. क्योंकि हवाई हादसा किसी बंद कमरे में, इमारत या फिर कुंए में नहीं हुआ. हवाई हादसा चूंकि खुली जगह और हवा के बीच हुआ था. इसलिए मेरे अनुमान के मुताबिक तो उसका तापमान ही 500 से 600 के बीच रहने की उम्मीद है. हां, अगर यही हवाई दुर्घटना की एकदम बंद जगह में हुई होती तब, हवाई जहाज में मौजूद सवा लाख लीटर फ्यूल (पेट्रोल) आग के तापमान को काफी ऊपर पहुंचा देता. हालांकि यह जरूर है कि जिस तरह का हवाई हादसा अहमदाबाद में पेश आया है. उसमें इंसानी हड्डी आधी-अधूरी नष्ट होने और उसका चूरा बन जाने की भी प्रबल संभावानाएं हैं.
चिता और दुर्घटनाग्रस्त जहाज की आग के तापमान में फर्क
एक सवाल के जवाब में फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट ने बताया, “चूंकि हवाई जहाज खुली हवा खुले इलाके में गिरा. तब उसमें आग लगी. इसलिए यह कहना सही नहीं है कि सवा लाख पेट्रोल भरे फ्यूल टैंक में लगी आग और किसी तंदूर, भट्टी, भट्टा या फिर विद्युत शव दाह गृह अथवा चिता का सा तापमान अहमदाबाद हवाई दुर्घटना में भी बन गया होगा. यह असंभव है. चिता, भट्टा-भट्टी-तंदूर, विद्युत शवदाह गृह यह सब किसी बंद स्थान में बढ़े हुए तापमान की जगह हैं.
इसलिए यहां लाश जलकर नष्ट हो जाती है. ऐसा मगर अहमदाबाद हवाई दुर्घटना में लाशों के साथ नहीं हुआ होगा. हां, विद्युत शवदाह गृह का तापमान जरूर 1000-1200 तक पहुंच जाता है. विद्युत शवदाह गृह में जलने पर लाश के दांत की कैविटी नष्ट हो जाएगी. उसके हड्डी के छोटे छोटे टुकड़े हो जाएंगे. हवाई हादसे में और चिता में जलाने वाला तापमान तकरीबन एक सा हो सकता है. फिर भी चिता में जिस तरह से लाश पूरी तरह जल जाती है. उस तरह से हवाई हादसे में नहीं होता है.”
हवाई हादसे में यह चीजें नहीं पिघली होंगी
बातचीत के दौरान अनुभवी फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट ने कहा, “अहमदाबाद या फिर उसके जैसी अन्य हवाई हादसों में भले ही लोहा-स्टील-शीशा-चांदी-सोना सब क्यों न पिघल जाए. इसके बाद भी मगर ऐसी आग में हीरा या पत्थर की चींजें नहीं पिघलती हैं. एयर इंडिया प्लेन क्रैश में भी अगर किसी इंसान के बदन में किसी रूप में कहीं पर हीरा या उससे बनी कोई चीज मौजूद रही होगी तो वह जस-की-तस मौजूद मिलेगी.” एक सवाल के जवाब में दीन दयाल अस्पताल दिल्ली के फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट और विभागाध्यक्ष बी एन मिश्र ने कहा, “इस तरह के हवाई हादसों में चूंकि आग एक जगह पर बंधी हुई नहीं जलती है. आग हवा के साथ इधर उधर फैलती जाती है. जिससे उसका तापमान 500-600 से ऊपर जाने की संभावनाएं भी निर्मूल रहती हैं. ऐसे में हवाई हादसों में इंसान के शरीर पूरी तरह नहीं जलते हैं. यही कारण है कि डीएनए जांच में इस तरह के शव के अंग मददगार साबित होते हैं.”
प्लैन क्रैश में इतने तरीकों से मौतें होने की आशंका
अहमदाबाद जैसे एयर इंडिया प्लेन क्रैश के हादसों में मौत किस तरह से होती है? स्टेट मिरर हिंदी के सवाल के जवाब में देश के वरिष्ठतम फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट डॉ. बी एन मिश्र बोले, “इस तरह के हादसों में तीन तरह से इंसान की मौत होती है. पहली सदमे से. जैसे ही बेकाबू विमान हवा में डगमगाना शुरू करता है. दशहत से कई लोग विमान जमीन से टकराने से पहले ही मर जाते हैं. दूसरी मौत, हवाई जहाज के जमीन पर टकराते ही होती है. यह मौत हवाई जहाज के जमीन पर तेज गति से टकराने की टक्कर होने से लगने वाले जबरदस्त झटके से लगी चोटों से होती है. तीसरी मौत, हवाई जहाज के जमीन से टकराने के बाद तब होती है जब उसमें आग लग जाती है. तब आग में फंसने पर इंसान जलकर मर जाता है.”