इतने साल लिव- इन रिलेशनशिप में रहने के बाद बलात्कार का आरोप लगाती हो: HC ने लगा दी फटकार

कर्नाटक हाई कोर्ट ने हाल ही में 22 साल की लिव-इन पार्टनरशिप में रहे एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज बलात्कार और धोखाधड़ी के मामले को खारिज कर दिया. महिला ने अपनी शिकायत में बताया कि उसकी मुलाकात आरोपी से 2002 में बेंगलुरु में हुई थी. इसके बाद दोनों के बीच संबंध बन गए. आरोपी उसे सभी के सामने अपनी पत्नी बताता था और दोनों साथ रह रहे थे.;

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Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 19 Nov 2024 8:38 AM IST

कर्नाटक हाई कोर्ट ने हाल ही में 22 साल की लिव-इन पार्टनरशिप में रहे एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज बलात्कार और धोखाधड़ी के मामले को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने 14 नवंबर को दिए गए आदेश में कहा कि यह मामला निष्पक्ष नहीं है और इसे रिश्ते में खटास आने के बाद दर्ज किया गया.

बार और बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने युवती से कहा,'आप 22 साल तक किसी के साथ रह चुकी हैं और अब बलात्कार का आरोप लगा रही हैं. क्या इस आरोप में कहीं निष्पक्षता नजर आती है? यह रिश्ता एक या दो साल का नहीं, बल्कि 22 साल का है.' कोर्ट ने आगे कहा कि शादी के झूठे वादे के आधार पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (बलात्कार), 417 (धोखाधड़ी), और 420 (जालसाजी) के तहत मामला दर्ज करना पहली नजर में कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग लगता है.

शिकायतकर्ता और आरोपी का रिश्ता

महिला ने अपनी शिकायत में बताया कि उसकी मुलाकात आरोपी से 2002 में बेंगलुरु में हुई थी. इसके बाद दोनों के बीच संबंध बन गए. आरोपी उसे सभी के सामने अपनी पत्नी बताता था और दोनों साथ रह रहे थे. हालांकि, इस साल आरोपी अपने गांव चला गया और वहां दूसरी महिला से शादी करने की योजना बनाई. यह जानने के बाद महिला ने बलात्कार और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

कोर्ट का निष्कर्ष: कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग

हाई कोर्ट ने माना कि यह मामला 22 साल के रिश्ते में आई खटास का नतीजा है. न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा, '22 साल के रिश्ते के बाद इस तरह की शिकायत दर्ज करना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है.' इस मामले में पहले भी जुलाई में कोर्ट ने कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. अब कोर्ट ने एफआईआर और इससे संबंधित सभी कार्यवाही को खारिज कर दिया है. 14 नवंबर को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी और संबंधित कार्यवाही को रद्द कर दिया और मामले का निपटारा कर दिया.

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