हुगली में चार साल की बच्ची के साथ दरिंदगी, रेलवे शेड से उठाकर की गई हैवानियत; ममता सरकार पर उठे सवाल
पश्चिम बंगाल के हुगली ज़िले से आई यह ख़बर पूरे देश को झकझोर देने वाली है. कोलकाता के पास तारकेश्वर इलाके में चार साल की एक मासूम बच्ची के साथ जो हुआ, वह इंसानियत के नाम पर एक गहरा धब्बा है. रिपोर्टों के अनुसार, सात नवंबर की रात को जब बच्ची अपनी दादी के साथ एक रेलवे शेड में मच्छरदानी के नीचे सो रही थी, तभी किसी अज्ञात व्यक्ति ने कपड़ा काटकर उसे उठा लिया. बच्ची बंजारा समुदाय की है, जो रेलवे ट्रैक के पास अस्थायी ठिकानों में रहती है। उसकी दादी ने बताया कि उन्हें सुबह करीब चार बजे बच्ची के गायब होने का पता चला.;
पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में इंसानियत को झकझोर देने वाली एक भयावह वारदात सामने आई है. रिपोर्टों के अनुसार, महज चार साल की एक मासूम बच्ची को रेलवे शेड से अगवा कर उसके साथ यौन उत्पीड़न किया गया. दरिंदे ने वारदात के बाद बच्ची को खून से लथपथ हालत में नाले के पास फेंक दिया। बच्ची की हालत गंभीर बताई जा रही है और वह फिलहाल तारकेश्वर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है. घटना 7 नवंबर की रात की बताई जा रही है. यह बच्ची बंजारा समुदाय से है और अपनी दादी के साथ हुगली के तारकेश्वर इलाके में एक रेलवे शेड में रह रही थी. वह मच्छरदानी में बिस्तर पर अपनी दादी के बगल में सोई हुई थी, तभी देर रात अंधेरे का फायदा उठाकर एक अज्ञात व्यक्ति ने मच्छरदानी काटी और बच्ची को उठा ले गया. बच्ची की दादी ने बताया कि उन्हें सुबह करीब 4 बजे बच्ची के गायब होने का पता चला.
उन्होंने एनडीटीवी से कहा, 'वह मेरे साथ सो रही थी. मुझे एहसास भी नहीं हुआ कि कोई अंदर आ गया था. जब मैं उठी तो देखा कि मच्छरदानी कटी हुई थी और वह वहां नहीं थी. मुझे नहीं पता कि उसे कौन ले गया.' इसके बाद सुबह से ही परिवार और पुलिस ने बच्ची की तलाश शुरू कर दी. आखिरकार, अगले दिन यानी 8 नवंबर की दोपहर बच्ची तारकेश्वर रेलवे हाई ड्रेन के पास खून से लथपथ और बिना कपड़ों की हालत में पाई गई. उसे तुरंत पास के अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची का शारीरिक शोषण हुआ है और हालत बेहद नाजुक है.बच्ची की दादी ने समाज और प्रशासन दोनों के सामने अपनी मजबूरी रखी.
गुस्सा और आक्रोश का माहौल
उन्होंने कहा, 'हम बंजारा लोग सड़कों पर रहते हैं क्योंकि सरकार ने हमारे घर तोड़ दिए हैं. अब हमारे पास कोई छत नहीं है, कोई जगह नहीं है जहां हम सुरक्षित रह सकें.' इस घटना के बाद इलाके में गुस्सा और आक्रोश का माहौल है. पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज कर जांच शुरू की है. मामला यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून यानी पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया गया है. हालांकि, रिपोर्टों के मुताबिक एफआईआर दर्ज करने में पुलिस ने देरी की, जिससे राजनीतिक विवाद शुरू हो गया.
तथ्यों को छिपाने की कोशिश
विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने तृणमूल कांग्रेस सरकार पर इस मामले को दबाने का आरोप लगाया. पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि पुलिस शुरुआत में शिकायत दर्ज करने को लेकर हिचकिचा रही थी. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार मामले के तथ्यों को छिपाने की कोशिश कर रही है. शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 'विफल मुख्यमंत्री' बताया और कहा कि उनके शासन में कानून-व्यवस्था की जो छवि पेश की जा रही है, वह पूरी तरह झूठी है.'
जल्द से जल्द हो सजा
राज्य सरकार पर बने राजनीतिक दबाव के बीच स्थानीय लोगों का कहना है कि बच्ची को न्याय दिलाने के लिए दोषियों को जल्द से जल्द सख्त सजा दी जानी चाहिए. इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि देश में मासूम बच्चों की सुरक्षा को लेकर वास्तविक हालात आखिर कब सुधरेंगे.