जो चलती रही देवा आनंद के घर सारी रात, खय्याम ने छोड़ी तो ऋतिक के दादा रोशन ने बनाई; क्या है 70 साल पुरानी कव्वाली 'न तो कारवां...' की सच्चाई
इन दिनों 'धुरंधर' फिल्म से एक गाना बेहद चर्चा में है जिसका नाम है 'इश्क जलाकर - न तो कारवां की तलाश है' जो लगभग 70 साल पुरानी कव्वाली का रीमेक है. जो मधुबाला और भारत भूषण की फिल्म 'बरसात की रात' में गाया गया था. लेकिन अब इसके सुर्ख़ियों में आते ही गोताखोर इसके इतिहास के समुद्र में उतर चुके है. जो एक नहीं कई कहानियां बताता है कि कैसे देव साहब के घर में यह कव्वाली पहली बार सुनी गई और सारी रात चलती रही.;
रणवीर सिंह की नई फिल्म 'धुरंधर' (Dhurandhar) सिर्फ अपनी रोमांचक कहानी और शानदार एक्टिंग की वजह से नहीं, बल्कि एक पुराने क्लासिक गाने को नए अंदाज में पेश करने की वजह से भी काफी चर्चा में है. फिल्म में जैसे ही रणवीर सिंह स्क्रीन पर आते हैं, बैकग्राउंड में वो मशहूर लाइन बजने लगती है, 'ना तो कारवां की तलाश है...'. आज की यंग जनरेशन शायद इसे तुरंत न पहचाने, लेकिन 1990 से पहले पैदा हुए लोग इसे फौरन 1960 की क्लासिक फिल्म 'बरसात की रात' की यादगार कव्वाली के रूप में पहचान लेंगे.
1960 की बरसात की रात में इस कव्वाली को म्यूजिशियन रोशन (ऋतिक रोशन के दादाजी) ने कंपोज किया था और इसके बोल मशहूर शायर साहिर लुधियानवी ने लिखे थे. गाना मोहम्मद रफी, मन्ना डे, आशा भोसले, सुधा मल्होत्रा और एस.डी. बतिश जैसे दिग्गज गायकों ने गाया था. ये कव्वाली इतनी लंबी और गहरी थी कि ये हिंदी सिनेमा की सबसे बेहतरीन कव्वालियों में से एक मानी जाती है. लेकिन इसकी धुन की जड़ें और भी पुरानी हैं. असल में ये धुन 1940 के अंत या 1950 के शुरुआती सालों में रिकॉर्ड की गई एक पुरानी कव्वाली से ली गई है, जिसे उस्ताद मुबारक अली खान और उस्ताद फतेह अली खान (नुसरत फतेह अली खान के पिता) ने गाया था. उस मूल कव्वाली का नाम था 'ना तो बुतकदे की तलब मुझे....'
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देव आनंद के घर सारी रात चलती रही कव्वाली
कहा जाता है कि ये मूल कव्वाली एक बहुत मशहूर कार्यक्रम में पेश की गई थी, जिसका आयोजन देव आनंद ने अपने घर पर किया था. उस कार्यक्रम में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के कई बड़े सितारे, निर्देशक और प्रोड्यूसर मौजूद थे। वो कव्वाली इतनी शानदार थी कि पूरी रात चलती रही और कई लोग इसे फिल्म में इस्तेमाल करने की इच्छा जाहिर करने लगे.
कैसे खय्याम साहब ने छोड़ा और संगीतकार रोशन ने अपनाया
'बरसात की रात' फिल्म बनते समय पहले संगीतकार खय्याम साहब को चुना गया था. प्रोड्यूसर ने उन्हें मुबारक अली और नुसरत फतेह अली खान की उस कव्वाली के रिकॉर्ड दिए और कहा कि इसी धुन पर फिल्म के लिए नया गाना बनाएं. लेकिन खय्याम साहब को लगा कि किसी और की रचना को कॉपी करना या बदलकर इस्तेमाल करना ठीक नहीं है. वे तो पूरी तरह ओरिजिनल संगीत बनाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने अपनी आर्टिस्टिक ऑनेस्टी के लिए फिल्म छोड़ दी. बाद में रोशन साहब संगीतकार बने और उन्होंने उस धुन को नए अंदाज में ढालकर फिल्म के लिए तैयार किया. फिल्म का वर्जन इतना हिट हुआ कि वो क्लासिक बन गया, लेकिन ओरिजिनल क्रिएटर्स मुबारक अली और नुसरत फतेह अली खान को कभी ठीक से क्रेडिट नहीं मिला.
'धुरंधर' में गूंजी 65 साल पुरानी कव्वाली
अब धुरंधर में ये गाना 'इश्क जलाकर – कारवां' नाम से रिलीज हुआ है. ये 1960 की 'बरसात की रात' वाली कव्वाली का ऑफिशियल रीमेक या रीक्रिएटेड वर्जन है. म्यूजिक शाश्वत सचदेव ने दिया है और इसमें मॉडर्न टच जैसे EDM और रॉक एलिमेंट्स जोड़े गए हैं. कुछ लोगों को इसकी बेसलाइन क्वीन बैंड के मशहूर गाने 'अनदर वन बाइट्स द डस्ट' से मिलती-जुलती लगी है.
बिना क्रेडिट दिए हुई थी इस्तेमाल
इंस्टाग्राम पर आरजे सचिन साहनी ने एक पोस्ट में इसकी पूरी कहानी बताई. उन्होंने कहा, 'धुरंधर' का ये ट्रैक 1960 की बरसात की रात वाली कव्वाली का आधिकारिक रीमेक है. लेकिन 'बरसात की रात' वाली कव्वाली खुद मुबारक अली और फतेह अली खान की पुरानी कव्वाली का रीमेक थी, जो 1940-50 के दशक में रिकॉर्ड हुई थी. उस समय बरसात की रात में इसे बिना क्रेडिट दिए इस्तेमाल किया गया था. गाने के बोलों में भी ओरिजनल कव्वाली के कई हिस्से मौजूद हैं.' उन्होंने आगे देव आनंद वाली उस रात की पार्टी की कहानी भी बताई और खय्याम साहब के प्रोजेक्ट छोड़ने का किस्सा शेयर किया. एक किताब 'खय्याम, द मैन – हिज म्यूजिक' में भी ये बात दर्ज है कि खय्याम साहब ने किसी और की क्रिएटिविटी बदलने से मना कर दिया था.
लोगों का रिएक्शन
इस पोस्ट पर लोगों की तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आईं. एक यूजर ने लिखा, 'रोशन मेरे फेवरिट कंपोजर हैं, ये जानकर दिल टूट गया.' दूसरे ने कहा, 'पाकिस्तानी कलाकारों को क्रेडिट देने के लिए शुक्रिया.' किसी ने बेसलाइन पर कमेंट किया, 'गिटार की धुन सुनते ही समझ गया कि ये क्वीन के 'अनदर वन बाइट्स द डस्ट' से इंस्पायर्ड है.' एक यूजर ने तारीफ की, 'संगीत इंडस्ट्री में ओरिजिनल क्रिएटर्स का सम्मान करना बहुत अच्छी बात है, क्योंकि ज्यादातर कॉपी ही होती है. इससे सबको प्रेरणा मिलेगी कि ओरिजिनल बनाएं और कॉपीराइट का ध्यान रखें.' किसी ने कहा, 'ये तो रीइंटरप्रिटेशन है, कॉपी नहीं.'