उम्र के हिसाब से ये सही है..... R. Madhavan ने Aap Jaisa Koi को बताई अपनी लास्ट रोमांटिक फिल्म

हाल ही में फातिमा सना शेख और आर. माधवन की फिल्म 'आप जैसा कोई' सिर्फ़ लव नहीं, बल्कि बराबरी वाला रिश्ता, इमोशनल एक्सप्रेशन, पारिवारिक जिम्मेदारियां और एक महिला की आज़ादी जैसे गहरे मुद्दों को भी दिखाया गया है. यह फिल्म बताती है कि सच्चा प्यार उम्र, शहर, परंपरा या सोच का मोहताज नहीं होता, बल्कि वह दो इंसानों के बीच की गहराई और समझ पर टिका होता है.;

( Image Source:  X : @sidkannan )
Edited By :  रूपाली राय
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11 जुलाई को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई फिल्म 'आप जैसा कोई' इन दिनों दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है. इस फिल्म में आर. माधवन और फातिमा सना शेख की जोड़ी को पहली बार साथ देखा गया है. एक ओर जहां लोगों को इसकी कहानी इमोशनली रूप से छू रही है, वहीं माधवन के एक्टिंग की भी जमकर तारीफ़ हो रही है. हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में माधवन ने बताया कि उन्होंने यह फिल्म क्यों की और इसका उनके दिल से क्या रिश्ता है. उन्होंने कहा कि अब उनकी उम्र ऐसी हो गई है जहां वे उम्र के मुताबिक एक सही और रियल लव स्टोरी का हिस्सा बनना चाहते थे.

जस्ट टू फिल्मी को दिए एक इंटरव्यू में माधवन ने कहा, 'शायद ये मेरी आखिरी रोमांटिक फिल्म हो, इससे पहले कि मैं रोमांस वाली भूमिकाएं पूरी तरह छोड़ दूं. इसीलिए मैं ऐसी स्क्रिप्ट की तलाश में था जो मेरी उम्र और सोच के हिसाब से सही हो.' माधवन को बॉलीवुड के सबसे पसंदीदा रोमांटिक हीरोज में गिना जाता है. उनकी 2001 की फिल्म 'रहना है तेरे दिल में' आज भी यंगर्स के दिलों में ज़िंदा है. इस फिल्म में उनका 'मैडी' वाला किरदार आज भी एक आइकॉनिक लव स्टोरी का हिस्सा माना जाता है.

रोमांटिक से निगेटिव भी 

आर. माधवन ने सिर्फ़ रोमांटिक किरदार ही नहीं निभाए हैं, बल्कि 'विक्रम वेधा', 'रॉकेटरी: द नांबी इफेक्ट' और हाल ही में आई 'शैतान' जैसी फिल्मों में उन्होंने गंभीर, चैलेंजिंग और निगेटिव किरदार भी निभाए हैं. अपने हर किरदार में वह कुछ नया लेकर आए हैं, जिससे दर्शकों को यह एहसास हुआ कि वह केवल एक रोमांटिक हीरो नहीं, बल्कि एक वर्सटाइल कलाकार हैं.

क्या है 'आप जैसा कोई' की कहानी?

इस फिल्म की कहानी दो अलग-अलग सोच और बैकग्राउंड वाले लोगों के बीच बनते रिश्ते की है. आर. माधवन फिल्म में श्रेनु त्रिपाठी नाम के एक ऐसे व्यक्ति की भूमिका निभा रहे हैं, जो जमशेदपुर जैसे पारंपरिक शहर में रहता है और अपनी ज़िंदगी को पुरानी मान्यताओं और आदतों के हिसाब से जीता है. वह भावनाओं को खुलकर ज़ाहिर करने में झिझकता है और 'मर्द' होने के पुराने सामाजिक ढांचे में फंसा हुआ है. वहीं, फातिमा सना शेख फिल्म में मधु बोस नाम की एक आत्मनिर्भर और बिंदास महिला बनी हैं जो कोलकाता की आज़ाद फिजाओं में पली-बढ़ी हैं. मधु सामाजिक नियमों से बंधकर जीने में यकीन नहीं करतीं और अपनी शर्तों पर जिंदगी जीती हैं. जब श्रेनु और मधु की मुलाकात होती है, तो न सिर्फ़ एक नई लव स्टोरी शुरू होती है, बल्कि दोनों एक-दूसरे की ज़िंदगी में बदलाव लाने का ज़रिया भी बनते हैं. 

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