Rangeen review: जर्नलिस्ट से जिगोलो बनने की कहानी है Vineet Singh की Rangeen, जानिए कैसी है ये वेब सीरीज?
विनीत कुमार सिंह के की 'रंगीन' अमेज़न प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है. 'मुक्केबाज', 'छावा' और 'सुपरबॉयज़ ऑफ़ मालेगांव' जैसी फिल्मों में अपनी एक्टिंग का हुनर दिखा चुके विनीत एक नए अंदाज में आए है. यह सीरीज एक पत्रकार के से जिगोलो बनने की कहानी है. जो अपने अंदर की कमियों को पूरा करने की कोशिश करता है.;
भारत जैसे देश में,जहां यौन अपराध, दमन और वर्जनाएं सामाजिक विमर्श का अनिवार्य हिस्सा होनी चाहिए, वहां 'रंगीन' जैसे शो से उम्मीद की जाती है कि वह मेल सेक्स जैसे संवेदनशील विषय को ज़िम्मेदारी और गहराई के साथ पेश करेगा. लेकिन दुर्भाग्यवश, अमेज़न प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही यह सीरीज़ अपनी ही कहानी के केंद्र से भटक जाती है. विनीत कुमार सिंह की वेब सीरीज ‘रंगीन’ (25 जुलाई 2025 को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज) ने अपनी यूनिक स्टोरी और बोल्ड कॉन्सेप्ट के कारण काफी चर्चा बटोरी है. यह सीरीज एक पत्रकार आदर्श जौहरी (विनीत कुमार सिंह) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी पत्नी नैना (राजश्री देशपांडे) के अफेयर का पता चलने के बाद जिगोलो बनने का फैसला करता है.
खोखली कहानी की बुनियाद
शो की शुरुआत आदर्श (विनीत कुमार सिंह) से होती है, जो एक छोटे शहर का पत्रकार है और एक लोकल अख़बार चलाता है. वह अपनी ज़िंदगी में इतना उलझा हुआ है कि अपनी पत्नी नैना (राजश्री देशपांडे) की भावनाओं और ज़रूरतों पर ध्यान ही नहीं दे पाता। एक दिन जब वह नैना को एक युवा जिगोलो सनी (तारुक रैना) के साथ रंगे हाथों पकड़ लेता है, तो उसका आत्मसम्मान उसे एक अजीब रास्ते पर ले जाता है. वह खुद जिगोलो बनने का फैसला करता है. यहीं से कहानी में एक गहराई आनी चाहिए थी, जहां आदर्श अपने मन के उलझाव और रिश्तों की सच्चाई को समझने की कोशिश करता. लेकिन 'रंगीन' इस मौके को गंवा देता है और कहानी को हल्के-फुल्के मज़ाक और बिना सिर-पैर की घटनाओं में उलझा देता है. आदर्श का जिगोलो बनना न तो पूरी तरह मज़ाकिया लगता है और न ही गंभीर या इमोशनली। ऐसा लगता है जैसे वह अपने उसूल और रिश्तों की अहमियत एकदम से भूल गया हो. उसकी ज़िंदगी के संघर्षों को दिखाने की जगह शो बार-बार ऐसे मज़ाक में चला जाता है जो उसके दर्द या उलझन को नज़रअंदाज़ कर देता है. कुल मिलाकर, 'रंगीन' एक गंभीर और दिल छू लेने वाली कहानी बन सकती थी, लेकिन वह अपनी ही कहानी को गंभीरता से नहीं लेता और इसी वजह से दर्शक भी इससे जुड़ नहीं पाते.
क्या है सबसे बड़ी कमी
'रंगीन' की सबसे बड़ी कमी उसकी कहानी के लहजे यानी टोन को लेकर है. यह शो सेक्स वर्क जैसे एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दे को इतने हल्के अंदाज़ में पेश करता है कि उसकी गंभीरता ही खत्म हो जाती है. हर भावुक या गहराई से भरा सीन शुरू तो होता है, लेकिन जैसे ही वह असर छोड़ने लगता है, कोई मज़ाकिया बैकग्राउंड म्यूज़िक या हल्का-फुल्का डायलॉग आकर उस सीन का असर बिगाड़ देता है. कई बार लगता है कि शो आदर्श की ज़िंदगी को एक गंभीर त्रासदी की तरह दिखाना चाहता है, लेकिन फिर अचानक उसे मज़ाक बना देता है. इससे कहानी में दम नजर नहीं आता और दर्शक भी समझ नहीं पाते कि वे आदर्श के हालात पर हांसे या उसके लिए दुखी हों.
दमदार कलाकार लेकिन कमजोर रहा निर्देशन
विनीत कुमार सिंह ने आदर्श जौहरी के किरदार में बहुत अच्छा काम किया है. उन्होंने इस रोल को गंभीरता और सादगी के साथ निभाया है. आदर्श एक ऐसा किरदार है जो कभी एक ईमानदार पत्रकार है, कभी अपनी शादी से परेशान पति, और फिर एक जिगोलो बन जाता है. इतनी उलझनों वाले किरदार को विनीत ने बड़े प्रभावशाली तरीके से दिखाया है. बाकी कलाकारों ने भी अच्छी एक्टिंग की है, तारुक रैना ने सनी के रोल में अपनी मौजूदगी का असर छोड़ा है और शीबा चड्ढा ने सितारा के किरदार में जान डाल दी है. राजश्री देशपांडे ने आदर्श की पत्नी नैना का रोल ठीक से निभाया है, लेकिन उनके किरदार को और भी गहराई दी जा सकती थी, जिससे वह ज्यादा असरदार लगता. कुल मिलाकर, कलाकारों की परफॉर्मेंस शो की ताकत है, भले ही कहानी और निर्देशन थोड़े कमजोर रहें.
इरफ़ान खान की 'ब्लैकमेल' से कॉपी
इस सीरीज का सब्जेक्ट काफी अलग और स्ट्रांग है. इसमें मेल प्रोस्टीटूशन (जिगोलो बनने) और पति-पत्नी के रिश्तों की पेचिदगियों को दिखाया गया है. कहानी ऐसे मुद्दों को छूती है जो अक्सर बात नहीं किए जाते जैसे आत्म-सम्मान, मर्दों का अहम, और रिश्तों की गहराई. ये बातें दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती हैं कि रिश्तों में ईमानदारी, भावनाएं और समझ कितनी जरूरी होती है. कुछ लोगों ने इस सीरीज की तुलना इरफान खान की फिल्म 'ब्लैकमेल' से की है, क्योंकि दोनों में ही हल्के-फुल्के अंदाज़ में गंभीर बातें कही गई हैं. 'ब्लैकमेल' को उसकी सूझबूझ भरी कॉमेडी के लिए पसंद किया गया था, और 'रंगीन' भी कुछ वैसा ही करने की कोशिश करता है, हालांकि पूरी तरह सफल नहीं हो पाता.
अकेले या एडल्ट्स के साथ देखें
अगर आप विनीत कुमार सिंह की एक्टिंग पसंद करते हैं या पति-पत्नी के रिश्तों और खुद को समझने वाली कहानियां देखना पसंद करते हैं, तो 'रंगीन' एक बार देखी जा सकती है. इसमें कई ऐसे पल हैं जो सोचने पर मजबूर करते हैं. हालांकि, यह सीरीज परिवार के साथ देखने के लिए सही नहीं है, क्योंकि इसमें कुछ बोल्ड सीन हैं. इसलिए बेहतर होगा कि इसे अकेले या एडल्ट्स के साथ देखा जाए.