मरना ही है तो जी भर कर जिएं...फिटनेस की मिसाल बने Milind Soman, मुंबई से गोवा तक लगाई दौड़
इससे पहले मिलिंद और अंकिता ने केदारनाथ की एक कठिन लेकिन पवित्र यात्रा पूरी की थी. उन्होंने इंस्टाग्राम पर तस्वीरें शेयर करते हुए बताया कि उन्होंने लगभग 30 किलोमीटर की ट्रेकिंग की, जो दो दिन में पूरी हुई.;
बॉलीवुड एक्टर, सुपरमॉडल और फिटनेस आइकन मिलिंद सोमन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उम्र केवल एक नम्बर है और शरीर के साथ मन की सीमाओं को चुनौती देना ही असली ज़िंदगी जीने का नाम है. हाल ही में वे अपने मिलिंद #FitIndianRun कैंपिंग के तहत मुंबई से गोवा की बेहद चैलेंजिंग और इंस्पिरेशनल जर्नी पर हैं.
सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले मिलिंद सोमन ने इंस्टाग्राम के जरिए से इस कैंपिंग के दूसरे और तीसरे दिन की झलकियां शेयर की. उन्होंने अपनी पत्नी अंकिता कोंवर के साथ ली गई कुछ तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए, जिनमें दोनों पहाड़ी रास्तों पर, पसीने से लथपथ लेकिन कॉन्फिडेंस से भरपूर दिखाई दे रहे हैं. मिलिंद ने लिखा, 'दिन 2 और 3 सिर्फ पहाड़, पहाड़, पहाड़… घाट पे घाट… लगातार तीन दिन से रोज़ 90 किलोमीटर साइकिल चला रहा हूं और 20 किलोमीटर दौड़ रहा हूं. लेकिन थकान नहीं, सिर्फ ऊर्जा और संतोष महसूस हो रहा है...शानदार लगता है...उनके शब्दों में एक दृढ़ता है, और शरीर की नहीं बल्कि मन की ताकत का जिक्र है.
जब मरना ही है...
मिलिंद ने एक बेहद गंभीर और आम सवाल का भी जवाब दिया, जो अक्सर उनसे पूछा जाता है, 'लोग कहते हैं, जब मरना ही है, तो इतना कष्ट क्यों? लेकिन मेरा मानना है कि अगर मैंने हर उम्र में अपने शरीर और मन की सीमाओं को नहीं परखा, तो क्या मैंने सच में जीवन जिया है? क्या मैंने उस परमात्मा का आभार जताया, जिसने मुझे यह शानदार शरीर और अवसर दिया?.
केदारनाथ की कठिन यात्रा
इससे पहले मिलिंद और अंकिता ने केदारनाथ की एक कठिन लेकिन पवित्र यात्रा पूरी की थी. उन्होंने इंस्टाग्राम पर तस्वीरें शेयर करते हुए बताया कि उन्होंने लगभग 30 किलोमीटर की ट्रेकिंग की, जो दो दिन में पूरी हुई. इस यात्रा में उन्होंने हथनी कोल होते हुए खाम बुग्याल पार किया और अंत में केदारनाथ मंदिर तक पहुंचे. दूसरे दिन हमें लगभग 17 घंटे की खड़ी चढ़ाई, बर्फ और ठंड का सामना करना पड़ा। लेकिन जैसे ही सुबह 1 बजे मंदिर के दर्शन हुए, सारी थकान जैसे कहीं उड़ गई। जय भोलेनाथ! हर हर महादेव!” उनकी यह यात्रा न केवल शारीरिक साहस की गवाही है, बल्कि यह दिखाती है कि धार्मिक आस्था और आत्मिक जुड़ाव भी जीवन की शक्ति बन सकते हैं.