Geeta Kapur ने जताई चिंता, कहा- अब टैलेंट नहीं, सोशल मीडिया फॉलोअर्स पर तय करते हैं कास्टिंग

कोरियोग्राफर ने खासतौर पर डांसिंग के क्षेत्र में वायरल पॉपुलैरिटी को लेकर भी चिंता जताई. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आज कोई सिर्फ एक डांस वीडियो डालता है, लोगों को पसंद आ जाता है, फॉलोअर्स बढ़ जाते हैं और फिर वही लोग दूसरों को डांस सिखाने लगते हैं.;

( Image Source:  Instagram : geeta_kapurofficial )
Edited By :  रूपाली राय
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बॉलीवुड की जानी-मानी कोरियोग्राफर, टेलीविजन पर्सनैलिटी और लाखों दर्शकों की गीता मां के नाम से प्रसिद्ध गीता कपूर ने हाल ही में फिल्म इंडस्ट्री में बदलते कास्टिंग ट्रेंड्स पर अपनी चिंता और नाराज़गी ज़ाहिर की है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आजकल कई कलाकारों को उनकी एक्टिंग या डांस टैलेंट के बजाय उनके सोशल मीडिया फॉलोअर्स के आधार पर चुना जा रहा है जो कि न केवल गलत है, बल्कि लंबे समय से अपने क्राफ्ट पर मेहनत कर रहे कलाकारों के लिए निराश करने वाला भी है. 

एक इंटरव्यू में हिंदी रश से बातचीत के दौरान गीता ने कहा, 'इन दिनों, भर्ती भी फॉलोअर्स की संख्या के आधार पर होती है. मुझे 2.3 मिलियन फॉलोअर्स बनाने में 8-10 साल लग गए और कुछ लोग रातों-रात 23 मिलियन फॉलोअर्स के साथ सामने आ जाते हैं, यह एक अलग दुनिया है.' गीता का मानना है कि सोशल मीडिया ने भले ही बहुत-से टैलेंटेड चेहरों को मंच दिया है, लेकिन यह प्लेटफॉर्म अब धीरे-धीरे असली योग्यता और प्रैक्टिस को पीछे छोड़ रहा है.

सबका टैलेंट अलग होता है

उन्होंने कहा कि आजकल जिन लोगों को सिर्फ एक वायरल वीडियो से पॉपुलैरिटी मिलती है, उन्हें ही कई बार एक्सपर्ट मान लिया जाता है.' गीता ने कहा, 'मुझे लगता है कि सबका टैलेंट अलग होता है लेकिन अगर कोई 15 सेकंड में अपनी पकड़ बना लेता है और आपका ध्यान खींच लेता है, तो वह कुछ सही कर रहा है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह किसी कला का गुरु बन गया है.'

वह एक मौका पाने के लिए हक़दार हैं 

गीता कपूर ने अपने विचारों को बैलेंस में रखते हुए कहा कि यह ट्रेंड भले ही गलत लगे, लेकिन इसे पूरी तरह से गलत नहीं कहा जा सकता. उनका मानना है कि इंटरनेट और डिजिटल माध्यम ने जो नई दुनिया बनाई है, उसमें कुछ भी वायरल हो सकता है, पर उससे किसी व्यक्ति की योग्यता की पूरी तस्वीर नहीं बनती. गीता का कहना है कि इंडस्ट्री में कई टैलेंटेड एक्टर हैं जो वास्तव में एक मौका पाने के हकदार हैं, लेकिन अगर यह अब ट्रेंड है, तो यह सही नहीं है, लेकिन गलत भी नहीं है. मुझे उन लोगों के लिए बुरा लगता है जो सच में क्राफ्ट सीखने में समय बिताते हैं.' 

एक्सपीरियंस नहीं वायरल डांस देखते हैं  

कोरियोग्राफर ने खासतौर पर डांसिंग के क्षेत्र में वायरल पॉपुलैरिटी को लेकर भी चिंता जताई. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आज कोई सिर्फ एक डांस वीडियो डालता है, लोगों को पसंद आ जाता है, फॉलोअर्स बढ़ जाते हैं और फिर वही लोग दूसरों को डांस सिखाने लगते हैं, चाहे उन्हें इस कला की गहराई का पता हो या नहीं. अब, ये लोग कहते हैं कि हम आपको डांस सिखाएंगे, और लोग स्योर हो जाते हैं और उनके पास जाते हैं. आप उनका एक्सपीरियंस नहीं देखते हैं, बल्कि केवल वायरल डांस देखते हैं, यह बहुत गड़बड़ है.' 

नाम और चेहरे का इस्तेमाल होता है 

गीता कपूर ने यह भी बताया कि पहले उनके पास कई बार ऑफर आया कि वह अपने नाम से डांस एकेडमी खोलें, हालांकि उन्हें वास्तव में सिखाने की ज़रूरत नहीं होगी, सिर्फ नाम और चेहरा इस्तेमाल किया जाएगा. लेकिन उन्होंने हर बार यह ऑफर ठुकरा दिया. गीते ने कहा, 'मैं उस समय बहुत व्यस्त थी और किसी ऐसी चीज़ का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी, जिसके लिए मैं पूरी तरह से कमिटमेंट न हो सकूं यह धोखा जैसा लगा.' 

कौन हैं गीता कपूर 

गीता कपूर ने अपने करियर की शुरुआत मशहूर कोरियोग्राफर फराह खान की असिस्टेंट के रूप में की थी और धीरे-धीरे इंडस्ट्री की सबसे सम्मानित कोरियोग्राफर बन गईं. उन्होंने 'शीला की जवानी', 'मेरे महबूब मेरे सनम' और 'औला रे औला' जैसे दर्जनों सुपरहिट गानों को कोरियोग्राफ किया है. उनका टेलीविज़न करियर भी उतना ही शानदार रहा है. वह ‘डांस इंडिया डांस’, ‘सुपर डांसर’ और ‘इंडियाज़ बेस्ट डांसर’ जैसे शो में जज की भूमिका निभा चुकी हैं.

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