Death Anniversary: दुनिया में आदमी की नहीं, उसके कपड़ों की...Kader Khan के दमदार डायलॉग

Kader Khan की जितनी तारीफ की जाए, उतना कम है. वह एक बेहतरीन एक्टर थे, जिनक यादें आज भी लोगों के जहन में ताजा हैं. कॉमेडी के किंग कहे जाने वाले कादर खान ने बॉलीवुड की कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया है.;

( Image Source:  Instagram/filmhistorypics )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 31 Dec 2024 8:37 AM IST

कादर खान ने बॉलीवुड पर राज किया है. उन्हें कॉमेडी और नेगेटिव रोल्स के लिए याद किया जाता है. एक्टर ने दूल्हे राजा, कुली नंबर 1, नसीब, मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी, मुझसे शादी करोगी जैसी फिल्मों में काम किया. इसके अलावा, कादर खान ने नसीब, अग्निपथ, हम, कुली, शहंशाह, दूल्हे राजा, अमर अकबर एंथनी, रोटी, जवानी दीवानी और कई अन्य फिल्मों के लिए बेहतरीन डायलॉग भी लिखे हैं.

डायलॉग राइटर के तौर पर कादर खान का करियर 1970 के दशक में शुरू हुआ. जहां1972 में फिल्म जवानी दीवानी से अपने राइटिंग की शुरुआत की, जबकि उन्हें 1974 में रोटी से बड़ा ब्रेक मिला. एक्टिंग के अलावा, कादर खान अपने बेहतरीन डायलॉग्स के लिए भी जाने जाते हैं. 

'जिंदगी तो खुदा की रहमत है'

साल 1981 में रिलीज हुई फिल्म 'नसीब' ने कादर खान नेगेटिव रोल प्ले किया था. इस फिल्म में उनका कैरेक्टर रघुवीर उर्फ ​​​​रघु का था. जहां एक सीन में कादर खान ने एक डायलॉग 'जिंदगी तो खुदा की रहमत है, जो नहीं समझा उसकी जिंदगी पर लानत है.

हम फिल्म का डायलॉग

कादर खान ने 1991 की फिल्म हम में जनरल चित्तौड़ी प्रताप सिन्हा/सतरंगी के किरदार में नजर आए थे. जहां कादर खान ने प्यार के बारे में अपनी समझ पर एक नजरिया दिया था. डायलॉग का मतलब कुछ इस तरह था 'मोहब्बत को समझना है तो प्यारे खुद मोहब्बत कर, किनारे से कभी अंदाज़-ए-तूफ़ान नहीं होता'

'दुनिया की कोई जगह इतनी दूर नहीं है'

कादर खान ने अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म शहंशाह के लिए डायलॉग भी लिखे थे. कादर खान का लिखा ये डायलॉग आज भी याद किया जाता है. इसे फिल्म में बिग बी के किरदार ने बोला था. दुनिया की कोई जगह इतनी दूर नहीं है जहां जुर्म के पांव में कानून, अपनी फौलादी जंजीरें पहचान न सके. 

दौलत का क्या है

दूल्हे राजा भी एक बेहतरीन फिल्म है. इस फिल्म में कादर खान ने एक पिता का रोल किया है. जहां वह एक सीन में दौलत का क्या है, वो तो आती जाती रहती है, मगर बेटी तो घर की इज्जत है, और इज्जत एक बार चली जाए तो वो लौट कर वापस नहीं आती' जैसा बेहतरीन डायलॉग बोलते हैं.

विजय दीनानाथ चौहान

विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम, बाप का नाम, दीनानाथ चौहान, मां का नाम, सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उम्र 36 साल, नौ महीना आठ दिन और ये सोलवां घंटा चालू है. इंडियन सिनेमा का सबसे आइकॉनिक डायलॉग है. अग्निपथ में विजय दीनानाथ चौहान का किरदार निभाने वाले अमिताभ बच्चन ने फिल्म में यह प्रतिष्ठित संवाद बोला था. इसे किसी और ने नहीं बल्कि कादर खान ने लिखा था. कादर खान ने कई बेहतरीन डायलॉग लिखे, जो बिग बी के किरदार पर बिल्कुल फिट बैठे.

'सुख तो बेवफा है'

1978 में रिलीज हुई फिल्म मुकद्दर का सिकंदर में कादर खान फकीर बन अमिताभ बच्चन को यह डॉयलॉग बोलते हैं. सुख तो बेवफा है आता है और चला जाता है. दुख ही अपना साथी है.अपने साथ रहता है. दुख को अपना ले, तब तकदीर तेरे कदमों में होगी और तू मुकद्दर का बादशाह होगा.

'व्हिस्की में सोडा या पानी'

व्हिस्की में सोडा या पानी मिलाने से उसका स्वाद ख़राब हो जाता है, व्हिस्की में व्हिस्की मिलाकर पीना चाहिए. फिल्म खून भरी मांग में हीरालाल का रोल प्ले करने वाले कादर खान ने व्हिस्की के बारे में यह मजेदार डायलॉग बोला था. हीरालाल यकीनन ऑन द रॉक्स पसंद करते हैं, है ना?

दुनिया में आदमी की नहीं

गोविंदा ने कादर खान के साथ कई फिल्मों में काम किया है. फिल्म हीरो नंबर 1 में कादर खान गोविंदा के पिता का रोल निभाते हैं. जहां एक सीन में कहते हैं 'दुनिया में आदमी की नहीं, उसके कपड़ों की, उसके धन की कदर होती है'. यह डायलॉग जिंदगी की कड़वी सच्चाई के बारे में बहुत कुछ बताता है.

'ये कैसा लोचा किया तूने मेरे प्यार का'

फिल्म अंखियों से गोली मारे में भंगारी दादा का किरदार निभाने वाले कादर खान ने एक डायलॉग बोला था. ये कैसा लोचा किया तूने मेरे प्यार का, माल तो बिका नहीं बिल चढ़ गया उधार का.'

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