Emmy 2025 से खाली हाथ लौटी Amar Singh Chamkila की टीम, बेस्ट मूवी- बेस्ट एक्टिंग दोनों कैटेगरी में हारी दिलजीत की फिल्म
इससे एक दिन पहले, इंटरनेशनल एमी फेस्टिवल के एक पैनल में इम्तियाज़ अली ने अपनी फिल्म के बारे में बात की थी. उन्होंने 'अमर सिंह चमकीला' को एक कलाकार और उसकी कला के बीच की सच्ची प्रेम कहानी बताया. चमकीला 1980 के दशक में पंजाब के सबसे बड़े लाइव परफॉर्मर थे. एक दिन में 8-10 अखाड़े करते थे. लेकिन 8 मार्च 1988 को मेहसंपुर (पंजाब) में दिन-दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई.;
सोमवार रात न्यूयॉर्क शहर में हुए 53वें इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स इवेंट में भारतीय वेब फिल्म 'अमर सिंह चमकीला' को कोई अवार्ड नहीं मिला और वह खाली हाथ लौट गई. आपको याद दिला दें कि यह फिल्म 'बेस्ट टीवी मूवी या मिनी-सीरीज़' कैटेगरी में नॉमिनेटेड थी. इसके साथ इस कैटेगरी में जर्मनी की 'हेरहाउज़ेन: द बैंकर एंड द बॉम्ब', ब्रिटेन की 'लॉस्ट बॉयज़ एंड फेयरीज़' और चिली की 'वेन्सर ओ मोरिर' भी थी. आखिरकार यह अवार्ड ब्रिटेन की सीरीज़ 'लॉस्ट बॉयज़ एंड फेयरीज़' को मिल गया.
दूसरी बड़ी उम्मीद एक्टर-सिंगर दिलजीत दोसांझ से थी. उन्हें 'एक एक्टर का बेस्ट एक्टिंग' कैटेगरी में 'अमर सिंह चमकीला' के लिए नॉमिनेट किया गया था. उनके साथ इस कैटेगरी में स्पेन के ओरिओल प्ला ('यो, एडिक्टो'), कोलंबिया के डिएगो वास्क्वेज ('वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सॉलिट्यूड') और ब्रिटेन के डेविड मिशेल ('लुडविग') थे. लेकिन यह अवार्ड भी दिलजीत के हाथ नहीं आया, इसे स्पेनिश एक्टर ओरिओल प्ला ने जीत लिया.
रेड कार्पेट पर जलवा
हालांकि अवार्ड नहीं मिला, लेकिन दिलजीत दोसांझ और डायरेक्टर इम्तियाज़ अली ने रेड कार्पेट पर खूब वाहवाही बटोरी. दिलजीत ने फोटोग्राफर्स को अपना ट्रेडमार्क अंदाज़ में हाथ जोड़कर नमस्ते किया और सबको मुस्कुरा दिया. उनके साथ नेटफ्लिक्स इंडिया की टीम भी मौजूद थी, जिसमें कंटेंट हेड मोनिका शेरगिल और ओरिजिनल फिल्म्स डायरेक्टर रुचिका कपूर शेख भी शामिल थी.
इम्तियाज़ अली का बयान
इससे एक दिन पहले, इंटरनेशनल एमी फेस्टिवल के एक पैनल में इम्तियाज़ अली ने अपनी फिल्म के बारे में बात की थी. उन्होंने 'अमर सिंह चमकीला' को एक कलाकार और उसकी कला के बीच की सच्ची प्रेम कहानी बताया. उन्होंने कहा, 'मेरे लिए यह फिल्म एक सिंगर और उसके गाने के बीच का प्यार है. जैसे कोई प्रेमी जोड़ा एक-दूसरे से बेइंतहा मोहब्बत करता है. कई बार आप गाना या एक्टिंग पैसे, शोहरत या ग्लैमर के लिए नहीं करते, बल्कि सिर्फ अपने दिल से करते हैं, अपने श्रोता को खुश करने के लिए करते हैं. अमर सिंह चमकीला भी ऐसा ही कलाकार था – वह सिर्फ और सिर्फ अपने संगीत के लिए जीता था. मैंने फिल्म में इसी भावना को पकड़ने की कोशिश की है.'
कौन थे अमर सिंह चमकीला?
चमकीला 1980 के दशक में पंजाब के सबसे बड़े लाइव परफॉर्मर थे. एक दिन में 8-10 अखाड़े (लाइव शो) करते थे. एक शो की फीस 50 हजार से 1 लाख तक (उस ज़माने में बहुत बड़ी रकम) उनके गाने की कैसेट एक दिन में 50-60 हजार तक बिकती थी. लोग शादी-ब्याह में सिर्फ इसलिए बुलाते थे कि 'चमकीला आएगा तो महफिल जमेगी'. उनके गाने धार्मिक कट्टरपंथियों और खालिस्तानी उग्रवादियों दोनों को पसंद नहीं थे. सिख कट्टरपंथी उन्हें 'गंदे गाने' गाने वाला मानते थे. कुछ लोग कहते थे कि उनके गाने पंजाबी संस्कृति को खराब कर रहे हैं. उन्हें कई बार धमकियाँ मिलीं, लेकिन उन्होंने गाना बंद नहीं किया. 8 मार्च 1988 को मेहसंपुर (पंजाब) में दिन-दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई साथ में उनकी दूसरी पत्नी और सिंगर अमरजोत कौर और दो साथी म्यूज़िशियन भी मारे गए. हत्या की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली आज तक हत्यारों का पता नहीं चला. उस वक्त चमकीला सिर्फ 27 साल के थे और अमरजोत 25 साल की.