Silver Rate Today: एक दिन में ₹21,000 टूटी चांदी, निवेशकों में मचा हड़कंप; आखिर क्या हुआ? जानें 7 बड़ी वजह
Silver News Today: आज यानी 29 दिसंबर को MCX पर चांदी के फ्यूचर्स (मार्च कॉन्ट्रैक्ट) ने जीवनकाल का नया रिकॉर्ड हाई ₹2,54,174 प्रति किलो छुआ, लेकिन उसके तुरंत बाद तेज प्रॉफिट बुकिंग के कारण कीमतें धड़ाम से गिर गईं. मात्र एक घंटे में चांदी ₹21,000 से ज्यादा टूटकर ₹2,33,120 प्रति किलो के निचले स्तर पर आ गई. रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद आई इस गिरावट के पीछे मुनाफावसूली, डॉलर की मजबूती, तकनीकी करेक्शन, वैश्विक संकेत और मार्जिन बढ़ोतरी जैसे कई बड़े कारण रहे.;
Silver Price Today: सोमवार (29 दिसंबर) को कमोडिटी बाजार में बड़ा उलटफेर देखने को मिला. MCX पर सिल्वर मार्च फ्यूचर्स करीब 8% यानी ₹21,000 प्रति किलो टूट गए. महज एक घंटे में चांदी की कीमत ₹2,54,174/kg के रिकॉर्ड स्तर से फिसलकर ₹2,33,120/kg तक आ गई. लगातार तेज़ी के बाद आई इस भारी गिरावट ने निवेशकों और ट्रेडर्स को चौंका दिया. यह गिरावट 2025 की रिकॉर्ड तेजी के बाद आई करेक्शन का हिस्सा है, जहां चांदी साल भर में 175% तक चढ़ चुकी है.
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वर्तमान में MCX सिल्वर फ्यूचर्स करीब ₹2,40,000-₹2,42,000 प्रति किलो के आसपास ट्रेड कर रहे हैं, जबकि स्पॉट मार्केट में दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में चांदी ₹2,50,000-₹2,58,000 प्रति किलो के आसपास है (स्थानीय टैक्स और डिमांड के आधार पर थोड़ा अंतर). आइए आसान भाषा में समझते हैं कि एक ही दिन में चांदी इतनी क्यों गिरी और इसके 6 बड़े कारण क्या हैं...
1. मुनाफावसूली (Profit Booking)
चांदी पिछले कुछ हफ्तों में रिकॉर्ड तेजी दिखा चुकी थी. जब कीमतें ऑल-टाइम हाई पर पहुंचीं, तो बड़े ट्रेडर्स ने मुनाफा निकालना शुरू किया. ज्यादा बिकवाली तेज गिरावट की वजह बनी.
2. भू-राजनीतिक तनाव में कमी
चांदी को सेफ हेवन एसेट माना जाता है, लेकिन हाल के दिनों में वैश्विक स्तर पर तनाव कम होने और युद्ध जैसे हालात में नरमी के संकेत मिले, जिससे सुरक्षित निवेश की मांग घटी.
3. टेक्निकल फैक्टर: ओवरबॉट ज़ोन
चांदी की कीमतें अपने टेक्निकल लेवल (200-DMA) से काफी ऊपर चली गई थीं. ऐसे में चार्ट के हिसाब से करेक्शन तय माना जाता है. ऑटोमेटेड ट्रेडिंग और स्टॉप-लॉस ट्रिगर हुए.
4. 'ब्लो-ऑफ टॉप' पैटर्न
पिछले हफ्ते चांदी में एक दिन में 10% से ज्यादा की तेजी आई थी. इतनी तेज उछाल के बाद अक्सर बाजार में तेज करेक्शन आता है, जिसे ब्लो-ऑफ टॉप कहा जाता है. US डॉलर इंडेक्स में थोड़ी रिकवरी और जियोपॉलिटिकल टेंशन (वेनेजुएला, नाइजीरिया) के बावजूद कुछ निवेशक रिस्क एसेट्स की ओर शिफ्ट हुए. हालांकि लॉन्ग-टर्म बुलिश फैक्टर्स (इंडस्ट्रियल डिमांड, सप्लाई शॉर्टेज) बरकरार हैं.
5. डॉलर की मजबूती
अमेरिकी डॉलर में मजबूती आई, जिससे सोना-चांदी जैसे नॉन-इंटरेस्ट एसेट्स दबाव में आ गए. डॉलर मजबूत होने से कीमती धातुओं पर दबाव पड़ता है.
6. CME द्वारा मार्जिन बढ़ाना
अंतरराष्ट्रीय बाजार में CME (Chicago Mercantile Exchange) ने चांदी पर मार्जिन बढ़ा दिया. इससे कई लेवरेज्ड ट्रेडर्स को पोजिशन काटनी पड़ी, जिससे बिकवाली और तेज हो गई.
7- ईयर-एंड लिक्विडिटी और पोजीशन स्क्वेयरिंग
दिसंबर अंत होने से ट्रेडर्स पोजीशंस क्लोज कर रहे हैं. थिन लिक्विडिटी में छोटे वॉल्यूम से भी बड़ी स्विंग्स आ रही हैं. साथ ही, चीन के जनवरी 2026 से सिल्वर एक्सपोर्ट लाइसेंसिंग की खबर से पहले अनिश्चितता भी चांदी की कीमत में गिरावट की बड़ी वजह है.
ग्लोबल मार्केट का असर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी $80 प्रति औंस के ऊपर से फिसलकर $75 से नीचे आ गई, जिसका सीधा असर MCX पर दिखा.
निवेशकों के लिए क्या संकेत?
यह गिरावट रिकॉर्ड रैली के बाद करेक्शन है. चांदी में आगे भी तेज उतार-चढ़ाव बना रह सकता है. ग्लोबल संकेत, डॉलर और टेक्निकल लेवल पर नजर रखनी जरूरी है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह शॉर्ट-टर्म करेक्शन है. लॉन्ग-टर्म में इंडस्ट्रियल डिमांड (सोलर, EV, इलेक्ट्रॉनिक्स), सप्लाई डेफिसिट और Fed रेट कट्स से चांदी बुलिश रहेगी, अगले साल 2026 में ₹2.50 लाख से ऊपर या इंटरनेशनल $100/oz तक जाने के अनुमान हैं, लेकिन 20-30% करेक्शन भी संभव है. इसलिए निवेश से पहले एक्सपर्ट से सलाह लेनी जरूरी है.