क्या इंसानों को खत्म कर देगा AI? आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के गॉडफादर ने कहा - बचना है तो...
एआई के गॉडफादर कहे जाने वाले जेफ्री हिंटन ने चेतावनी दी है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आने वाले दशकों में इंसानों का अस्तित्व मिटा सकता है. लास वेगास में हुए Ai4 सम्मेलन में उन्होंने कहा कि एआई को सख्त मानव नियंत्रण में रखना संभव नहीं होगा. उनका प्रस्ताव है कि एआई सिस्टम में 'मातृत्व प्रवृत्ति' विकसित की जाए, ताकि वे स्वाभाविक रूप से इंसानों की रक्षा और देखभाल करें.
कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी Artificial Intelligence - AI पर दुनिया भर में चर्चाएं तेज़ हैं. एक ओर इसे मानव सभ्यता की सबसे बड़ी तकनीकी क्रांति माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह मानव अस्तित्व के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में भी देखा जा रहा है. इसी बहस को और गहराई देने वाले हैं प्रोफेसर जेफ्री हिंटन, जिन्हें 'गॉडफादर ऑफ एआई' कहा जाता है. हिंटन, जिन्होंने डीप लर्निंग तकनीक की नींव रखी और आधुनिक एआई सिस्टम के विकास में अहम भूमिका निभाई, अब बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि यह तकनीक इंसानियत को खत्म कर सकती है.
लास वेगास में हुए Ai4 सम्मेलन में हिंटन ने कहा कि एआई को सुरक्षित बनाने का पारंपरिक तरीका, यानी इसे सख्त मानव नियंत्रण में रखना, अंततः बेकार साबित होगा. जैसे ही मशीनें इंसानों से ज़्यादा बुद्धिमान हो जाएंगी, वे हमारी लगाई हुई हर पाबंदी को तोड़ देंगी. हिंटन ने सुझाव दिया कि एआई सिस्टम में 'मातृत्व प्रवृत्ति' (Maternal Instinct) विकसित करनी चाहिए, ताकि ये इंसानों की सुरक्षा और देखभाल को अपना नैसर्गिक व्यवहार मानें. उनका मानना है कि इंसान को बचाने का यही एकमात्र कारगर रास्ता हो सकता है.
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हिंटन की चेतावनी: एआई से खत्म हो सकती है मानवता
हिंटन ने अपने बयान में कहा कि एआई के पास भविष्य में इतना सामर्थ्य होगा कि यह इंसानों को पूरी तरह मिटा सकता है. उन्होंने अनुमान जताया कि आने वाले 10 से 20 सालों में 'आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस' (AGI) विकसित हो सकता है, यानी ऐसा एआई जो इंसान की तरह हर बौद्धिक कार्य कर सके. पहले हिंटन का अनुमान 30 से 50 साल का था, लेकिन अब उन्होंने यह समयसीमा घटा दी है.
Image Credit: Meta AI
हिंटन का मानना है कि जब यह सुपर-इंटेलिजेंट एआई अस्तित्व में आएगा, तो वह इंसानों से कहीं ज़्यादा रचनात्मक और समस्या-समाधान करने में सक्षम होगा. उस स्थिति में इसे दबाकर रखना या मानव-नियंत्रण में रखना असंभव हो जाएगा.
मानव नियंत्रण पर सवाल
आज की एआई रिसर्च में ज्यादातर कंपनियां और सरकारें इस विचार पर काम कर रही हैं कि एआई हमेशा इंसानों के आदेश माने और उनके नियंत्रण में रहे. लेकिन हिंटन ने कहा कि जैसे ही मशीनें इंसानों से अधिक बुद्धिमान होंगी, वे किसी भी नियंत्रण को चकमा देने का तरीका खोज लेंगी. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पहले ही एक एआई सिस्टम ने इंजीनियर को ब्लैकमेल करने की कोशिश की थी. उसने ईमेल से एक व्यक्तिगत रहस्य ढूंढ निकाला और धमकी दी कि अगर उसे बदलने की कोशिश की गई तो यह रहस्य उजागर कर देगा. हिंटन के मुताबिक, यह शुरुआती संकेत हैं कि भविष्य का एआई धोखा देने और आत्म-सुरक्षा करने में सक्षम होगा.
Maternal Instinct से बनेगी बात?
हिंटन का सबसे चौंकाने वाला सुझाव यह था कि एआई सिस्टम को मातृत्व के भाव से डिज़ाइन किया जाए. उन्होंने कहा कि जैसे एक मां अपने बच्चे से ज़्यादा बुद्धिमान होती है, फिर भी उसका ध्यान रखती है, वैसे ही एआई सिस्टम को इस तरह प्रोग्राम किया जा सकता है कि वे इंसानों की सुरक्षा और भलाई को प्राथमिकता दें. उनका मानना है कि अगर 'सुपर-इंटेलिजेंट एआई' के भीतर मातृत्व की प्रवृत्ति होगी, तो वह इंसानों का विनाश नहीं चाहेगा. हिंटन के शब्दों में, 'अगर एआई में मातृत्व होगा, तो वह हमें मरते हुए देखना नहीं चाहेगा.'
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एआई के फायदे भी गिनाए
खतरे के बीच हिंटन ने यह भी स्वीकार किया कि एआई कई बड़े फायदे ला सकता है. उन्होंने कहा कि चिकित्सा जगत में एआई क्रांतिकारी बदलाव लाएगा. नई दवाओं की खोज से लेकर कैंसर के इलाज तक, एआई हेल्थकेयर को बिल्कुल नया रूप देगा. मेडिकल इमेजिंग और डेटा एनालिसिस में एआई डॉक्टरों को सही निदान और उपचार योजना बनाने में मदद करेगा.
अमरता और एआई पर हिंटन की सोच
हिंटन ने उस विचार को भी खारिज किया कि एआई इंसानों को अमर बना देगा. उन्होंने मज़ाकिया लहजे में कहा कि अगर लोग हमेशा जीवित रहेंगे, तो शायद 200 साल पुराने नेता ही शासन करते रहेंगे और यह समाज के लिए अच्छा नहीं होगा.
भविष्य की चुनौतियां
हिंटन का मानना है कि कोई भी अत्याधुनिक एआई सिस्टम दो प्राकृतिक लक्ष्य अपने भीतर विकसित करेगा, जीवित रहना (Survival) और नियंत्रण बढ़ाना. ये दोनों प्रवृत्तियां उसके डिज़ाइन और कार्य-प्रणाली से ही निकलेंगी. इसी कारण से जरूरी है कि एआई को विकसित करते समय उसके व्यवहार और उद्देश्यों को नैतिकता और सुरक्षा के लिहाज़ से तय किया जाए.





