इधर दोस्ती और उधर ड्रैगन की चालबाजी! पाकिस्तान में मेडिकल सिटी क्यों बनाना चाहता है चीन?
China To Pakistan: चीनी निवेशकों के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को जरदारी के साथ बैठक के दौरान कराची के धाबेजी आर्थिक क्षेत्र में मेडिकल सिटी बनाने के लिए लगभग साढ़े 8 हजार करोड़ रुपये निवेश करने की इच्छा जताई है. यह क्षेत्र पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर और वित्तीय केंद्र से बाहर है.

China To Pakistan: चीन की दोहरी चाल की वजह से उस पर भरोसा करना मुश्किल है. एक तरफ वह भारत से दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है और दूसरी तरफ भारत के सबसे बड़े दुश्मन पड़ोसी पाकिस्तान के साथ नजदीकियां एक बार फिर से बढ़ा रहा है. ड्रैगन पड़ोसी पाकिस्तान में हजारों करोड़ों रुपये के इनवेस्टमेंट की तैयारी कर रहा है. चीन, पाकिस्तान में मेडिकल सिटी बनाना चाहता है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल ने यहां राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मुलाकात की और पाकिस्तान में एक मेडिकल सिटी स्थापित करने के लिए एक अरब अमेरिकी डॉलर (8,480 करोड़ रुपये) के निवेश में रुचि व्यक्त की.
पाकिस्तान के चीन के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंध हैं, जिसने कई निवेशों और विकास परियोजनाओं के माध्यम से पाकिस्तान को समर्थन दिया है. जैसे कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना, जिसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए 'जीवन रेखा' कहा गया.
मेडिकल सिटी क्यों बनाना चाहता है चीन
चीनी निवेशकों के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को जरदारी के साथ बैठक के दौरान कराची के धाबेजी आर्थिक क्षेत्र में मेडिकल सिटी बनाने के लिए एक अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश करने की अपनी योजना की पेशकश की है.
यह क्षेत्र पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर और वित्तीय केंद्र से बाहर है. यह मेडिकल सिटी पाकिस्तान का पहला पूर्ण रुप से इंटीग्रेटेड फार्मास्युटिकल और मेडिकल इकोसिस्टम होगा. हालांकि, चीन इसे सहयोग बता रहा है, लेकिन इसके पीछे ड्रैगन के दबाव बनाने की रणनीति है.
पाकिस्तान में बड़े निवेश की तैयारी कर रहा है ड्रैगन
कोरंगी व्यापार एवं उद्योग संघ (KATI) ने एक बयान में कहा कि चीनी निवेशकों के किया गया यह वादा दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों का एक उदाहरण है, जिसे धाबेजी आर्थिक क्षेत्र के संचालन का दायित्व सौंपा गया है.
बयान के अनुसार, राष्ट्रपति जरदारी ने पाकिस्तान और चीन के बीच गहन आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा की है. बयान में कहा गया कि चीनी प्रतिनिधिमंडल ने न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में बल्कि कृषि, पशुधन, ऊर्जा, परिवहन और विनिर्माण सहित कई अन्य प्रमुख क्षेत्रों में भी रुचि दिखाई.