कौन हैं प्रिंस एंड्रयू और किंग चार्ल्स ने क्यों छीन लिए उनके शाही खिताब? जानिए पूरा विवाद
ब्रिटेन के किंग चार्ल्स III ने अपने छोटे भाई प्रिंस एंड्रयू से सभी शाही खिताब और विशेषाधिकार छीन लिए हैं. अब वे ‘एंड्रयू माउंटबैटन-विंडसर’ कहलाएंगे और उन्हें रॉयल लॉज से भी बेदखल किया गया है. यह कार्रवाई एंड्रयू के यौन अपराधी जेफ्री एप्सटीन से कथित संबंधों और वर्जीनिया गिउफ्रे के लगाए गए यौन शोषण के आरोपों के बाद हुई. 2022 में उन्होंने अदालत के बाहर समझौता कर लिया था, कथित रूप से 12 मिलियन डॉलर का भुगतान किया. कभी फॉकलैंड्स युद्ध के हीरो रहे एंड्रयू अब शाही परिवार से पूरी तरह अलग कर दिए गए हैं और सार्वजनिक जीवन से उनका जुड़ाव खत्म हो गया है.
 
  ब्रिटेन के शाही परिवार में इस वक्त बड़ा भूचाल आया है. गुरुवार को किंग चार्ल्स III ने अपने छोटे भाई प्रिंस एंड्रयू से उनके सभी शाही खिताब (Royal Titles) और विशेषाधिकार छीन लिए हैं. अब उन्हें ‘प्रिंस एंड्रयू’ नहीं बल्कि एंड्रयू माउंटबैटन-विंडसर (Andrew Mountbatten Windsor) के नाम से जाना जाएगा.
यही नहीं, उन्हें उनके शाही आवास रॉयल लॉज (Royal Lodge) से भी बेदखल कर दिया गया है. यह कदम एंड्रयू के अमेरिकी फाइनेंसर और यौन अपराधी जेफ्री एप्सटीन (Jeffrey Epstein) से कथित संबंधों के कारण उठाया गया है.
कौन हैं प्रिंस एंड्रयू?
प्रिंस एंड्रयू का जन्म 19 फरवरी 1960 को हुआ था. वे दिवंगत महारानी क्वीन एलिज़ाबेथ द्वितीय और प्रिंस फिलिप की तीसरी संतान तथा मौजूदा राजा किंग चार्ल्स III के छोटे भाई हैं. जन्म से ही वे ब्रिटिश शाही परिवार के अहम सदस्य रहे और लंबे समय तक “ड्यूक ऑफ यॉर्क (Duke of York)” की उपाधि से सम्मानित थे. एंड्रयू की शादी सारा फर्ग्यूसन (Sarah Ferguson) से 1986 में हुई थी. शादी के बाद सारा को “डचेस ऑफ यॉर्क” की उपाधि मिली, लेकिन दोनों का तलाक 1996 में हो गया. दिलचस्प बात यह है कि तलाक के बाद भी वे दोनों रॉयल लॉज में एक ही छत के नीचे रहते रहे. उनकी दो बेटियां हैं - प्रिंसेस बीट्रिस (Princess Beatrice) और प्रिंसेस यूजिनी (Princess Eugenie), जो आज भी शाही परिवार की सार्वजनिक गतिविधियों में सक्रिय हैं.
सैन्य सेवा और सम्मान
प्रिंस एंड्रयू का करियर सिर्फ शाही विशेषाधिकारों तक सीमित नहीं रहा. उन्होंने रॉयल नेवी (Royal Navy) में 22 साल की सेवा दी और 1982 के फॉकलैंड्स युद्ध (Falklands War) में एक हेलिकॉप्टर पायलट के रूप में भाग लिया. युद्ध के दौरान उनके साहस और सेवाओं के लिए उन्हें ब्रिटेन में काफी सम्मान मिला. बाद में उन्होंने HMS Cottesmore नामक माइंसवीपर जहाज की कमान संभाली. लेकिन 2019 के बाद से, यौन शोषण के आरोपों और विवादों के कारण उनकी सभी सैन्य और सार्वजनिक भूमिकाएं निलंबित कर दी गईं.
आखिर क्यों छीने गए शाही खिताब?
प्रिंस एंड्रयू के खिलाफ विवाद तब गहराया जब उनका नाम अमेरिकी यौन अपराधी जेफ्री एप्सटीन से जुड़ने लगा. एप्सटीन को 2008 में अमेरिका में नाबालिग लड़कियों से वेश्यावृत्ति करवाने के अपराध में दोषी ठहराया गया था. हालांकि वह 2019 में जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाया गया, लेकिन उससे पहले उसने कई प्रभावशाली हस्तियों से संपर्क बनाए रखे थे, जिनमें ब्रिटेन के प्रिंस एंड्रयू भी शामिल थे. एंड्रयू और एप्सटीन की पहली मुलाकात 1999 में गिसलेन मैक्सवेल (Ghislaine Maxwell) के जरिए हुई थी, जो एप्सटीन की सहयोगी थी और बाद में मानव तस्करी के अपराध में दोषी पाई गई. भले ही एप्सटीन 2008 में दोषी ठहराया गया, लेकिन 2010 में एंड्रयू और एप्सटीन को न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क में साथ टहलते हुए देखा गया. उस समय ब्रिटिश मीडिया में इसकी खूब आलोचना हुई. एंड्रयू ने बाद में कहा कि यह मुलाकात उनके संबंध खत्म करने के लिए हुई थी, लेकिन नुकसान हो चुका था.
विवादित ईमेल और अदालत के दस्तावेज़
2024 की शुरुआत में ब्रिटिश अदालत के दस्तावेजों में एक ईमेल सामने आया, जो कथित तौर पर फरवरी 2011 में एप्सटीन को एंड्रयू की ओर से भेजा गया था. उसमें लिखा था, “Keep in close touch and we’ll play some more soon !!!!” (“संपर्क में रहना, हम जल्द फिर मिलेंगे!”). इस मेल के सामने आने के बाद एंड्रयू पर दबाव और बढ़ गया. मीडिया और जनता दोनों ने सवाल उठाया कि आखिर एप्सटीन से ‘संपर्क में बने रहना’ क्या दर्शाता है.
वर्जीनिया गिउफ्रे का आरोप
एंड्रयू के खिलाफ सबसे गंभीर आरोप अमेरिका की महिला वर्जीनिया रॉबर्ट्स गिउफ्रे (Virginia Roberts Giuffre) ने लगाए. उसने अगस्त 2021 में एक मुकदमा दायर किया, जिसमें दावा किया कि एप्सटीन ने उसे 17 साल की उम्र में तीन बार प्रिंस एंड्रयू के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया.
गिउफ्रे ने हाल ही में प्रकाशित अपनी आत्मकथा “Nobody’s Girl” में लिखा कि एप्सटीन ने उसे मानव तस्करी के जरिए यौन शोषण के लिए भेजा था, और इसमें एंड्रयू भी शामिल थे. एंड्रयू ने इन सभी आरोपों से इंकार किया, लेकिन 2022 में अदालत के बाहर समझौता (Settlement) कर लिया. रिपोर्टों के मुताबिक उन्होंने गिउफ्रे को 12 मिलियन डॉलर (लगभग 100 करोड़ रुपये) से अधिक की राशि दी, हालांकि उन्होंने कभी “दोष स्वीकार” नहीं किया.
शाही परिवार की सख्त कार्रवाई
2022 में ही क्वीन एलिज़ाबेथ द्वितीय ने एंड्रयू से उनके सभी सैन्य खिताब और शाही संरक्षण (Royal Patronages) छीन लिए थे. यह एक बेहद दुर्लभ और कड़ा कदम था. लेकिन तब भी एंड्रयू को “ड्यूक ऑफ यॉर्क” की उपाधि बरकरार रखी गई थी. अब, किंग चार्ल्स III ने उससे भी आगे बढ़ते हुए उन्हें पूरी तरह “प्रिंस” का दर्जा छीन लिया है. इसका मतलब यह है कि एंड्रयू अब किसी भी आधिकारिक शाही समारोह, भोज या राज्य-स्तरीय कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले सकेंगे.
रॉयल लॉज से बेदखली
प्रिंस एंड्रयू कई वर्षों से विंडसर कैसल के पास बने रॉयल लॉज में रह रहे थे. यह वही घर है जहां वे अपनी पूर्व पत्नी सारा फर्ग्यूसन के साथ रहते थे. अब किंग चार्ल्स के आदेश के बाद उन्हें यह घर खाली करना होगा. रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्हें नॉरफॉक (Norfolk) स्थित सैंड्रिंघम एस्टेट (Sandringham Estate) में स्थानांतरित किया जाएगा - जो राजा की निजी संपत्ति है. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि किंग चार्ल्स निजी तौर पर एंड्रयू को आर्थिक सहायता देते रहेंगे, ताकि वे कानूनी और व्यक्तिगत खर्च उठा सकें.
गिरती लोकप्रियता और सार्वजनिक छवि
प्रिंस एंड्रयू की लोकप्रियता ब्रिटेन में लगभग समाप्त हो चुकी है. 2019 में जब उन्होंने बीबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में एप्सटीन से संबंधों पर सफाई दी थी, तब उनकी “बॉडी लैंग्वेज” और “ठंडी प्रतिक्रियाओं” को लेकर जनता ने भारी नाराजगी जताई. एक सर्वे में पाया गया कि 80% ब्रिटिश नागरिकों का मानना है कि एंड्रयू को “कभी भी सार्वजनिक जीवन में लौटने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए”.
अब आगे क्या?
एंड्रयू अब औपचारिक रूप से किसी भी शाही भूमिका में नहीं रहेंगे. वे केवल “निजी नागरिक” माने जाएंगे. उनका नाम शाही वेबसाइट से भी हटा दिया गया है. हालांकि, किंग चार्ल्स reportedly चाहते हैं कि यह मामला शांतिपूर्वक समाप्त हो और परिवार की साख को और नुकसान न पहुंचे. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला ब्रिटिश राजशाही के “आत्म-सुधार” (Self-Correction) का संकेत है - कि अब “खून के रिश्ते” से ऊपर “नैतिक जवाबदेही” को महत्व दिया जा रहा है.
प्रिंस एंड्रयू का पतन ब्रिटिश इतिहास की उन दुर्लभ घटनाओं में से एक है, जहां किसी शाही सदस्य से न केवल पद और प्रतिष्ठा छीनी गई, बल्कि उसका “राजसी अस्तित्व” भी समाप्त कर दिया गया. कभी फॉकलैंड्स युद्ध के हीरो रहे एंड्रयू आज जनता की नजर में शर्मिंदगी का प्रतीक बन चुके हैं. उनकी कहानी यह बताती है कि चाहे आप कितने भी शक्तिशाली या राजसी क्यों न हों - जब नैतिकता गिरती है, तो ताज भी टिक नहीं पाता.







