अमेरिका ने खींच लिया हाथ तो WHO का होगा क्या, कितना घातक होगा ट्रंप का फैसला?
Donald Trump vs WHO: 2022-23 में अमेरिका ने अकेले WHO को 16% फंड देने वाला अकेला देश था. ऐसे अमेरिका के संगठन से अलग होने के फैसले से इस पर गहरा असर पड़ सकता है. अचानक अमेरिका की वापसी से वैश्विक स्वास्थ्य वित्तपोषण, प्रयासों और नेतृत्व में संकट पैदा हो सकता है.

Donald Trump vs WHO: 'WHO' से डोनाल्ड ट्रम्प की नाराजगी कोई नई नहीं है. वो वक्त था 29 मई 2020, जब ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति थे और उन्होंने घोषणा की कि अमेरिका डब्ल्यूएचओ के साथ अपने संबंधों को समाप्त कर देगा. उनकी इस घोषणा से ही दुनिया भर में स्वस्थ्य के लिए काम करने वाले 'WHO' में खलबली मच गई थी.
अब एक बार फिर से अपनी जीत के बाद ट्रम्प 14 जनवरी 2025 को दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति की शपथ लेने वाले हैं. शपथ लेने से पहले ही उन्होंने एलान किया है कि वो पद पर आते पहले दिन ही विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका को अलग कर देंगे.
पहले कार्यकाल में ट्रम्प क्यों हुए फेल?
अमेरिका ने 1948 में कांग्रेस के दोनों सदनों में पारित एक संयुक्त प्रस्ताव के माध्यम से डब्ल्यूएचओ की सदस्यता प्राप्त की. इसके तहत US को 2021 के अंत तक अपने डब्ल्यूएचओ को अपना योगदान भारी-भरकम पैसे को तौर पर देना था. अब चूंकि ये समय पूरा हो चुका है, तो अमेरिका इससे अलग हो सकता है. ऐसे इस बार ट्रम्प का फैसला कारगर साबित होगा.
WHO से अमेरिका को क्यों अलग करना चाहते ट्रम्प?
COVID-19 से ही ट्रम्प WHO से नाराज चल रहे हैं. उनका आरोप है कि WHO चीन की कठपुतली है. ये नाराजगी इसलिए थी क्योंकि चीन को कोरोना के लिए लगातार जिम्मेदार ठहराया जा रहा था, लेकिन WHO ने इसे लेकर एक भी टिप्पणी नहीं की और ऐसे में ट्रम्प का मानना था कि ऑर्गेनाइजेशन चीन का बचाव कर रहा है.
अमेरिका के बिना WHO का क्या होगा?
अमेरिका के विश्व स्वास्थ्य संगठन से अलग होने के फैसले का असर भविष्य में आने वाली स्वास्थ्य आपदाओं पर भी पड़ेगा. अमेरिका WHO को उसके कुल फंड का 14.67% हिस्सा देता है, इसमें से सिर्फ 2.33% हिस्सा महामारियों रोकने में इस्तेमाल होता है. ऐसे में इतने बड़े फंड के रुक जाने से संगठन को तगड़ा झटका लग सकता है.
इसके साथ ही अमेरिका की ओर से मिलने वाले डॉक्टर्स और वालंटियर भी नहीं होंगे, जिससे मैन पावर में भी कमी आएगी. वहीं आलोचकों का कहना है कि अमेरिका की वापसी से वैश्विक स्वास्थ्य निगरानी कमजोर हो जाएगी और इसके अलग होने से चीन WHO में अमेरिका का स्थान ले लेगा.