बांग्लादेश में ये नया बवाल क्या? तीन बजे रात लुंगी में देश छोड़कर क्यों भागे पूर्व राष्ट्रपति
देश के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद अब्दुल हमीद ने सोमवार तड़के 3 बजे ढाका अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से थाई एयरवेज की फ्लाइट पकड़कर चुपचाप देश छोड़ दिया. खास बात यह रही कि वह लुंगी पहने हुए व्हीलचेयर पर बैठे थे और सीसीटीवी फुटेज में यही दृश्य सामने आया. उनके इस 'गुपचुप पलायन' के बाद पूरे देश में भूचाल आ गया है.

बांग्लादेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. देश के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद अब्दुल हमीद ने सोमवार तड़के 3 बजे ढाका अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से थाई एयरवेज की फ्लाइट पकड़कर चुपचाप देश छोड़ दिया. खास बात यह रही कि वह लुंगी पहने हुए व्हीलचेयर पर बैठे थे और सीसीटीवी फुटेज में यही दृश्य सामने आया. उनके इस 'गुपचुप पलायन' के बाद पूरे देश में भूचाल आ गया है. अंतरिम सरकार ने कई अधिकारियों को सस्पेंड कर जांच के आदेश दे दिए हैं.
विरोधी बोले- 'भाग गए मुकदमे से बचने'
81 वर्षीय हमीद के खिलाफ जनवरी में किशोरगंज सदर थाने में एक हत्या का मामला दर्ज है, जिसमें बर्खास्त प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके परिजन जैसे शेख रेहाना, सजीब वाजेद जॉय और साइमा वाजेद पुतुल भी सह-आरोपी हैं. आरोप है कि 2024 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हसीना सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलवाई थी, जिसमें कई लोगों की मौत हुई थी. हमीद पर इन्हीं घटनाओं में भूमिका निभाने का आरोप है.
अंतरिम सरकार ने की उच्चस्तरीय जांच की घोषणा
मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति के देश छोड़ने की जांच के लिए शिक्षा सलाहकार सीआर अबरार के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है. यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ बांग्लादेश के अनुसार, कई पुलिस अधिकारियों को निलंबित और तबादला भी किया गया है।
हमीद के घर पर भी चला बुलडोजर
हमीद कभी शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग से सांसद रहे थे और उन्होंने राजनीति की शुरुआत छात्र संगठन ‘छात्र लीग’ से की थी। अक्टूबर 2024 में अंतरिम सरकार ने छात्र लीग को प्रतिबंधित कर दिया. फरवरी में चले 'बुलडोज़र प्रोग्राम' के दौरान कट्टरपंथियों ने हमीद का घर भी तोड़ दिया था। यहां तक कि बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के ढानमंडी 32 स्थित संग्रहालय को भी ध्वस्त कर दिया गया.
विपक्ष का आरोप - राष्ट्रपति चुप्पु ने दी भागने की इजाजत
बांग्लादेशी राजनेता हन्नान मसूद ने दावा किया है कि हमीद का देश छोड़ना सत्ताधारी लोगों की सहमति से हुआ, विशेषकर मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद शाहबुद्दीन चुप्पु की शह पर, ताकि हमीद पर मुकदमा न चले.
अवामी लीग पर भी लगा प्रतिबंध
पूर्व राष्ट्रपति का यह ‘भगोड़ा’ कदम ऐसे वक्त में सामने आया है जब अंतरिम सरकार ने शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को आतंकी गतिविधियों के तहत प्रतिबंधित कर दिया है. सोमवार को एक राजपत्र अधिसूचना जारी कर यह ऐलान किया गया। साथ ही चुनाव आयोग ने अवामी लीग की मान्यता रद्द कर दी, जिससे अब वह किसी भी चुनाव में भाग नहीं ले सकेगी.
देशभर में आक्रोश, प्रदर्शनकारियों ने 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया
Students Against Discrimination (SAD) ने इस घटना को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. SAD ने मांग की है कि हमीद को भागने देने वाले अफसरों और जिम्मेदार लोगों पर 24 घंटे के भीतर सख्त कार्रवाई की जाए. SAD ही वह संगठन है जिसने आरक्षण के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की थी, जो बाद में हसीना-विरोधी जनविद्रोह में तब्दील हो गया था.
1949 में बनी अवामी लीग ने पूर्वी पाकिस्तान में बंगालियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी और 1971 के मुक्ति संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब उसी पार्टी के नेता एक-एक कर या तो निर्वासन में हैं या मुकदमे का सामना कर रहे हैं. पूर्व राष्ट्रपति हमीद के पलायन ने साबित कर दिया है कि बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद राजनीतिक भूचाल अभी थमा नहीं है. अब सबकी निगाहें जांच समिति पर हैं कि वह क्या निष्कर्ष निकालती है—हमीद बीमार थे या वह वास्तव में एक साजिश के तहत भागे?