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नेपाल में फिर भड़की हिंसा, कई नेताओं के घरों के पास आगजनी, इलाज के बहाने कहां भागने की फ़िराक में हैं पीएम ओली?

नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ Gen-Z युवाओं का विरोध हिंसक रूप ले चुका है. काठमांडू और अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों ने संसद और नेताओं के घरों पर तोड़फोड़ की, पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया और कर्फ्यू लगाया गया. पीएम केपी शर्मा ओली इलाज के बहाने दुबई जाने की तैयारी कर रहे हैं. प्रदर्शन के पीछे भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और युवाओं की नाराजगी मुख्य कारण हैं. भारतीय नागरिकों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है. चीन-अमेरिका प्रभाव और विदेशी एजेंटों की भूमिका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.

नेपाल में फिर भड़की हिंसा, कई नेताओं के घरों के पास आगजनी, इलाज के बहाने कहां भागने की फ़िराक में हैं पीएम ओली?
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( Image Source:  ANI )
नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 9 Sept 2025 12:11 PM IST

नेपाल की राजधानी काठमांडू और अन्य प्रमुख शहरों में मंगलवार को हिंसा फिर से भड़क उठी. केपी शर्मा ओली सरकार द्वारा सोशल मीडिया बैन को हटाने के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर मार्च किया और कई स्थानों पर आगजनी, पथराव और तोड़फोड़ की. राजधानी सहित अन्य क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया गया और सेना की तैनाती की गई.

विशेषज्ञों का कहना है कि यह हिंसा केवल सोशल मीडिया बैन का परिणाम नहीं है, बल्कि नेपाल में बढ़ते भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और युवा वर्ग की नाराजगी का प्रतीक है. युवा वर्ग का मानना है कि सरकार उनके आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है, इसलिए वे फिर से सड़कों पर उतर आए हैं.

भारतीय नागरिकों के लिए MEA की चेतावनी

भारतीय विदेश मंत्रालय ने नेपाल में रह रहे भारतीयों को सतर्क रहने और स्थानीय अधिकारियों के आदेशों का पालन करने की सलाह दी. MEA ने मृतकों और घायलों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की और सभी पक्षों से संयम और शांतिपूर्ण समाधान की अपील की.

कहां भागने की फ़िराक में हैं पीएम ओली?

सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इलाज के बहाने दुबई जाने की तैयारी कर रहे हैं. हिमालय एयरलाइंस को स्टैंडबाय रहने का आदेश दिया गया है ताकि पीएम की यात्रा सुरक्षित और तत्पर हो सके. इस खबर ने युवा प्रदर्शनकारियों के गुस्से को और भड़का दिया है और उन्हें प्रधानमंत्री के खिलाफ सड़कों पर उतरने के लिए प्रेरित किया.

संसद और नेताओं के घरों पर आगजनी

प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड और मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की. नेपाल में यह पहले कभी नहीं देखा गया कि युवा संसद के पास और नेताओं के निवास पर इस तरह आक्रामक रूप से हमला करें. पुलिस के साथ उनकी भिड़ंत में कई लोग घायल हुए हैं और सुरक्षा बलों ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया. सोमवार से अब तक ओली सरकार के दो मंत्री इस्तीफ़ा दे चुके हैं और पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड के घर पर भी प्रदर्शनकारियों ने हमला किया.

डिप्टी पीएम समेत कांग्रेस नेताओं ने दिया इस्तीफा

नेपाल की वर्तमान राजनीतिक संकट के बीच नेपाली कांग्रेस ने अपने सभी मंत्रियों को इस्तीफा देने का निर्देश दिया है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों जैसे उप-प्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह, विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा, खेल मंत्री तेजू लाल चौधरी, कानून मंत्री अजय चौरसिया, ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का, वानिकी मंत्री ऐन बहादुर शाही, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी और पर्यटन मंत्री बद्री पांडे ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया. पार्टी के महासचिव गगन थापा ने भी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद त्यागने की घोषणा की है. यह कदम सरकार में बढ़ते तनाव और राजनीतिक असंतोष के बीच लिया गया है, जिससे गठबंधन में अस्थिरता स्पष्ट रूप से नजर आ रही है.

Gen-Z की नाराजगी की क्या है वजह?

नेपाल सरकार ने 26 सोशल मीडिया ऐप्स, जिनमें फेसबुक, यूट्यूब और X शामिल हैं, पर बैन लगाया था. युवा वर्ग का कहना है कि यह फैसला उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, रोजगार और शिक्षा पर सीधा असर डालता है. सोशल मीडिया पर कमाई और व्यवसाय के अवसर प्रभावित होने से Gen-Z नाराज है.

बिहार की सीमा पर भी असर

रक्सौल-वीरगंज मार्ग पर प्रदर्शनकारियों के पथराव और सड़क अवरुद्ध करने पर पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी. नेपाल की राजधानी काठमांडू, राष्ट्रपति आवास, उपराष्ट्रपति और पीएम आवास के आसपास कर्फ्यू लगाया गया. भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापसी के लिए सीमा पर विशेष निगरानी रखी जा रही है. रक्सौल में भारत-नेपाल मैत्री पुल को भी बंद कर दिया गया है. अब नेपाल से लोग बिहार की सीमा से होते हुए भारत में लौट रहे हैं.

क्या बाहरी ताकतें सक्रिय हैं?

विशेषज्ञों का कहना है कि ओली सरकार का निर्णय चीन के प्रभाव और अमेरिकी सोशल मीडिया पर बैन के बीच संतुलन बनाने की कोशिश हो सकता है. चीन की सामाजिक मीडिया पर खुली छूट और अमेरिकी एप्स पर प्रतिबंध ने संकेत दिए हैं कि नेपाल में विदेशी प्रभाव भी प्रदर्शन के पीछे हो सकता है.

अभी भी जारी है हिंसा

नेपाल में हिंसा और विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी हैं. युवा वर्ग ने स्पष्ट कर दिया है कि वे केवल सोशल मीडिया बैन या भ्रष्टाचार के खिलाफ ही नहीं, बल्कि सरकार के निर्णय और पारदर्शिता के लिए भी सड़क पर हैं. भविष्य में प्रधानमंत्री ओली और उनकी सरकार को सुरक्षा, कर्फ्यू और युवा आक्रोश के बीच संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा.

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