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भारत और अमेरिका के बीच 9 जुलाई से पहले होगा व्यापार समझौता? बातचीत अंतिम दौर में

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर वांशिंगटन में जारी बातचीत अब निर्णायक मोड़ पर है. भारत ने जेनेटिकली मॉडिफाइड कृषि उत्पादों के आयात की अमेरिकी मांग को अस्वीकार किया है, जबकि अमेरिका कुछ सेक्टरों में बाजार पहुंच चाहता है. भारतीय अधिकारी निर्यात पर लगे शुल्क हटवाने की मांग कर रहे हैं. 9 जुलाई की टैरिफ डेडलाइन से पहले समझौता होने की उम्मीद जताई जा रही है.

भारत और अमेरिका के बीच 9 जुलाई से पहले होगा व्यापार समझौता? बातचीत अंतिम दौर में
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US India trade talks 2025: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत अब निर्णायक दौर में पहुंच गई है. इसी वजह से भारतीय अधिकारियों ने वाशिंगटन में अपने दौरे को बढ़ा दिया है. यह चर्चा पहले 27 जून को समाप्त होनी थी, लेकिन दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दों पर मतभेद बने रहने के कारण बातचीत को एक दिन के लिए और बढ़ा दिया गया.

सूत्रों के अनुसार, इस विस्तार से यह संकेत मिल रहा है कि दोनों देश एक अंतरिम व्यापार समझौते के करीब पहुंच सकते हैं. हालांकि चर्चा गोपनीय है, लेकिन जानकारी देने वालों ने बताया कि अमेरिका चाहता है कि भारत जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) कृषि उत्पादों के आयात की अनुमति दे, जिसे भारत ने अपने किसानों के हितों को देखते हुए फिलहाल ठुकरा दिया है. वहीं भारत चाहता है कि भारतीय निर्यातों पर लगाए गए पारस्परिक शुल्क हटाए जाएं और बाज़ार तक बेहतर पहुंच मिले.

'भारत के साथ 'बहुत बड़ा' व्यापार समझौता जल्द हो सकता है'

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में कहा था कि भारत के साथ 'बहुत बड़ा' व्यापार समझौता जल्द हो सकता है. बातचीत पर समय का दबाव भी है, क्योंकि 90 दिनों के लिए अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर ऊंचे टैरिफ को टालने की अवधि 9 जुलाई को समाप्त हो रही है.

'भारत में व्यापार करना लगभग असंभव'

ट्रंप ने 27 जून को कहा कि अमेरिका और भारत के बीच एक बड़ा समझौता होने वाला है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को भारतीय बाजार में खुलकर व्यापार करने का अवसर मिलेगा. ट्रंप ने भारत पर व्यापार में 'बड़े अवरोध' लगाने का आरोप लगाया और कहा कि अब तक भारत में व्यापार करना लगभग असंभव रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका चाहता है कि भारत अपने व्यापारिक प्रतिबंधों को पूरी तरह हटा दे, जिससे दोनों देशों को लाभ हो.

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