क्या रूस-यूक्रेन युद्ध होगा खत्म, टैरिफ में राहत देगा अमेरिका? 15 अगस्त को ट्रंप-पुतिन की मुलाकात पर टिकी भारत की नजर
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते टैरिफ विवाद के बीच, भारतीय अधिकारी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आगामी अलास्का बैठक पर करीबी नजर रख रहे हैं. अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के जवाब में भारत पर कुल 50% आयात शुल्क लगा दिया है. भारत इसे वापस लेने के लिए कूटनीतिक प्रयास कर रहा है, साथ ही जनता, खासकर छोटे व्यवसायों पर इसका बोझ न डालने की कोशिश कर रहा है.
Trump Putin Meeting: भारतीय सरकारी अधिकारी अलास्का में होने वाली रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आगामी बैठक पर कड़ी नजर रखे हुए हैं. इसी बीच, वे अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए हालिया 50% टैरिफ का मुकाबला करने की रणनीति पर भी काम कर रहे हैं.
पिछले सप्ताह व्हाइट हाउस ने भारत से होने वाले आयात पर अतिरिक्त 25% शुल्क लगा दिया, जिससे कुल टैरिफ बढ़कर 50% हो गया.यह कदम रूस से तेल खरीदने के चलते उठाया गया है. टैरिफ लागू होने की समयसीमा नजदीक आते ही, भारत को उम्मीद है कि रूस-यूक्रेन युद्ध का जल्द समाधान निकल आएगा.
15 अगस्त को अलास्का में पुतिन से मुलाकात करेंगे ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि वह 15 अगस्त को अलास्का में व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे. ट्रंप ने यह घोषणा सोशल मीडिया पर करते हुए कहा कि सभी पक्ष, जिनमें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की भी शामिल हैं, संघर्ष विराम समझौते के करीब हैं, जो साढ़े तीन साल पुराने युद्ध को समाप्त कर सकता है. इसी बीच, भारतीय वार्ताकार वाशिंगटन से शुल्क वापसी कराने के प्रयास में जुटे हैं, लेकिन किसी जल्दबाजी से बच रहे हैं. सरकार नहीं चाहती कि इस शुल्क का बोझ जनता, खासकर छोटे कारोबारियों, पर पड़े.
'अधिकारी अच्छी तरह जानते हैं कि ट्रंप कैसे काम करते हैं'
सरकारी सूत्रों ने इस धारणा को खारिज किया कि भारत, ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में उनकी नेतृत्व शैली को नहीं समझता. उनका कहना है कि अधिकारी अच्छी तरह जानते हैं कि ट्रंप कैसे काम करते हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि मौजूदा कार्यकाल में अमेरिका के संस्थागत चेक एंड बैलेंस कमजोर हुए हैं और ट्रंप की नीतियों के कारण विश्वविद्यालयों, न्यायपालिका, पुलिस और अन्य संस्थाओं में उथल-पुथल देखी गई है. इसके बावजूद, पिछले आठ महीनों में ट्रंप ने कई विवादास्पद कदमों, जैसे कि इमिग्रेशन नीति, पर भी बड़ी चुनौतियों का सामना नहीं किया है.
सूत्रों के अनुसार, भारत चार साल के पूरे ट्रंप कार्यकाल के लिए तैयारियां कर रहा है, लेकिन यह भी जानता है कि कुछ बातें ऐसी हैं जिन पर हम सहमति नहीं जता सकते, भले ही दूसरे देश उन्हें मान लें. उनका कहना है कि अत्यधिक लेन-देन आधारित दृष्टिकोण भारत के हितों के अनुकूल नहीं है, खासकर जब यह देश के संसाधनों या जनता पर असर डाले.
भारत के यूरोपीय संघ के देशों से रिश्ते हुए बेहतर
सूत्रों ने कहा, “हम क्रिप्टो, तेल भंडार या खदानों पर स्वायत्तता नहीं छोड़ सकते. ये हमारी सैद्धांतिक स्थितियां हैं. इसका मतलब यह नहीं कि हम उनकी इच्छाओं को नहीं समझते.” उन्होंने बताया कि भारत के यूरोपीय संघ के देशों से रिश्ते बेहतर हुए हैं और फ्रांस व जर्मनी जैसे बड़े देशों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है.
इस साल के अंत में भारत आ सकते हैं पुतिन
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं. साथ ही, नवीनीकृत ब्रिक्स समूह पर भी ध्यान है. इसके अलावा, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के जल्द ही पीएम मोदी से मिलने की उम्मीद है. उनका भारत दौरा इस साल के अंत में प्रस्तावित है.





