Begin typing your search...

ट्रंप की धमकियों का कोई असर नहीं! भारत नहीं बदलेगा अपनी नीति, रूस से खरीदता रहेगा तेल

भारत ने साफ कर दिया है कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी के बावजूद रूस से रियायती तेल खरीदना जारी रखेगा. सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय दीर्घकालिक अनुबंध, बाजार की उपलब्धता और राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर लिया गया है. ट्रंप ने भारत को टैरिफ और दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी थी.

ट्रंप की धमकियों का कोई असर नहीं! भारत नहीं बदलेगा अपनी नीति, रूस से खरीदता रहेगा तेल
X
( Image Source:  AI generated )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 3 Aug 2025 6:57 AM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों के बावजूद भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद में कोई बदलाव नहीं किया है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, दो वरिष्ठ भारतीय सरकारी अधिकारियों ने बताया कि ट्रंप की चेतावनी के बावजूद भारत अपने दीर्घकालिक अनुबंधों का सम्मान करता है और तेल आपूर्ति की दिशा में तत्काल कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. सूत्रों ने स्पष्ट किया कि "रातोंरात तेल खरीद रोकना व्यावहारिक नहीं है".

हाल ही ट्रंप ने 'ट्रुथ सोशल' पर पोस्ट करते हुए भारत को 25% टैरिफ लगाने की बात की थी और साथ ही चेतावनी दी थी कि यदि भारत रूस से तेल और हथियारों की खरीद जारी रखता है तो अतिरिक्त दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है. शुक्रवार को उन्होंने मीडिया से बात करते हुए दावा किया कि "सुना है भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा, अगर ऐसा है तो यह अच्छा कदम है". हालांकि उन्होंने खुद यह भी माना कि यह सूचना कितनी सही है, इसका उन्हें कोई ठोस प्रमाण नहीं.

भारत का रूसी तेल खरीदना क्यों जरूरी है?

भारत की ऊर्जा नीति बहुस्तरीय है. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है और अपनी जरूरत का 85% से अधिक कच्चा तेल आयात करता है. रूस से मिलने वाला रियायती तेल भारत के लिए सस्ता और सुलभ विकल्प है, जिससे न केवल घरेलू महंगाई को नियंत्रण में रखने में मदद मिलती है, बल्कि वैश्विक बाजार में भी कीमतें स्थिर बनी रहती हैं. एक अधिकारी के अनुसार, यदि भारत रूस से तेल नहीं खरीदता तो तेल की वैश्विक कीमतें 2022 के $137 प्रति बैरल के स्तर से ऊपर जा सकती थीं.

रूस से जुड़ी कंपनियों पर यूरोपीय प्रतिबंध का असर

हाल ही में नयारा एनर्जी, जो कि रूसी कंपनी रोसनेफ्ट की भागीदार है, पर यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध लगा दिए हैं. इससे कंपनी के सीईओ को इस्तीफा देना पड़ा है और उसके तीन टैंकर बंदरगाह पर रुके हुए हैं. इससे संकेत मिलता है कि भू-राजनीतिक दबाव और प्रतिबंधों का असर भारतीय कंपनियों पर भी पड़ने लगा है, लेकिन इसके बावजूद सरकार की नीति में कोई आधिकारिक बदलाव नहीं हुआ है.

कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं

'न्यूयॉर्क टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने तेल कंपनियों को रूस से खरीद बंद करने को लेकर अब तक कोई आधिकारिक निर्देश नहीं दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी शुक्रवार को प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "भारत और रूस के बीच साझेदारी स्थिर और समय-परीक्षित है. ऊर्जा खरीद के लिए हम बाजार की उपलब्धता और वैश्विक परिस्थितियों को देखते हैं". यह बयान भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को स्पष्ट करता है.

रूस बना भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता

2025 के पहले छह महीनों में भारत ने रूस से औसतन 1.75 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल खरीदा है, जो पिछले साल की तुलना में 1% अधिक है. हालांकि जुलाई में रूसी छूट घटने के बाद इंडियन ऑयल, एचपीसीएल, बीपीसीएल और एमआरपीएल ने नए ऑर्डर नहीं दिए. विशेषज्ञों का मानना है कि यह वाणिज्यिक निर्णय है न कि किसी राजनीतिक दबाव का परिणाम.

वर्ल्‍ड न्‍यूज
अगला लेख