ट्रंप की बमबारी का साइड इफेक्ट... अब रसोई से शेयर बाजार तक मचेगा हाहाकार; जानें कितनी होगी क्रूड ऑयल की कीमत
ईरान पर अमेरिका के हवाई हमलों के बाद वैश्विक बाजारों में हलचल मच गई है. कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं और ब्रेंट क्रूड 79 डॉलर तक पहुंच गया. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह युद्ध लंबा चला तो कीमतें 130 डॉलर तक जा सकती हैं, जिससे वैश्विक महंगाई और ब्याज दरों पर बड़ा असर पड़ेगा.

ईरान-इजरायल युद्ध में अमेरिका के सीधे हस्तक्षेप ने वैश्विक हालातों को और गंभीर बना दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फोर्डो, नतांज और इस्फहान स्थित ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमलों की पुष्टि की है. इससे मध्य-पूर्व में तनाव चरम पर पहुंच गया है और अब दुनिया को इस संघर्ष के वैश्विक असर की चिंता सताने लगी है.
इस हमले के बाद ईरान भी चुप बैठने वाला नहीं था. उसने लगातार इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला कर दिया. ये मिसाइल कई जगह गिरे और आमजनों को नुकसान पहुंचाया. इस हमले में अबतक लगभग 86 लोग घायल हुए हैं. सभी को अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. सी वजह से टेल की कीमतों में वृद्धि की उम्मीद है.
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल
इस युद्ध के चलते महज एक हफ्ते में ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 18% की तेजी आई है और यह 79 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी, हालांकि सप्ताहांत में यह 77 डॉलर पर बंद हुई थी. वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) भी 75 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कारोबार कर रहा है. जानकारों का मानना है कि अगर युद्ध लंबा चला तो कच्चे तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं.
होरमुज बना हाई रिस्क ज़ोन, सप्लाई पर खतरा
होरमुज जलडमरूमध्य, जो वैश्विक तेल सप्लाई का प्रमुख मार्ग है, अब हाई रिस्क ज़ोन घोषित हो चुका है. बीमा कंपनियों ने प्रीमियम दरें बढ़ा दी हैं, जिससे शिपिंग लागत में भारी बढ़ोतरी हो रही है. कई टैंकर कंपनियां अब वैकल्पिक रूट अपना रही हैं, जिससे समय और ईंधन दोनों की खपत ज्यादा हो रही है.
130 डॉलर तक पहुंच सकता है क्रूड
जेपी मॉर्गन, सिटी बैंक और डॉयचे बैंक जैसे बड़े वित्तीय संस्थानों का कहना है कि अगर युद्ध में और तेजी आई तो कच्चे तेल की कीमतें 130 डॉलर प्रति बैरल भी पार कर सकती हैं. इसका सीधा असर वैश्विक महंगाई और विकास दर पर पड़ेगा.
शेयर बाजार में गिरावट
अमेरिका के प्रमुख शेयर सूचकांक S&P 500 और नैस्डैक में गिरावट दर्ज की गई. निवेशकों ने जोखिम भरे एसेट्स से पैसा निकालकर सोना और डॉलर में निवेश करना शुरू कर दिया है. इससे बाजार में अस्थिरता और बढ़ने की आशंका है.
महंगाई और बढ़ेगी
अगर तेल की कीमतें इसी तरह बढ़ती रहीं तो दुनिया भर में महंगाई दर फिर से बढ़ सकती है. इससे केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं को टाल सकते हैं. सप्लाई चेन पर दबाव और इनपुट कॉस्ट में इजाफा वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका दे सकता है, खासकर विकासशील देशों को.