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ये मेरा जिस्‍म है कोई चीज नहीं! छोटे कपड़ों में महिलाओं की बिना इजाज़त ली गई तस्वीरों पर बवाल

एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह घटना सिर्फ एक मीडिया नैतिकता की गलती नहीं, बल्कि महिलाओं के शरीर को समाज में कैसे देखा जाता है, इसका रिफ्लेक्शन है. हंगरी की सत्तारूढ़ सरकार से अखबार के नज़दीकी संबंधों ने विवाद को और गहराया है.

ये मेरा जिस्‍म है कोई चीज नहीं! छोटे कपड़ों में महिलाओं की बिना इजाज़त ली गई तस्वीरों पर बवाल
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( Image Source:  META AI )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 3 Dec 2025 6:02 PM IST

एक शांत दोपहर थी जब बुडापेस्ट की गलियों और सबवे स्टेशनों पर रोज़मर्रा की तरह लोग आ-जा रहे थे. गर्मी का मौसम था, और कई महिलाएं हल्के-फुल्के कपड़ों में सड़कों पर चल रही थी. बिलकुल उसी तरह जैसे हर गर्मी में होता है, लेकिन इसी सामान्य-सी लगने वाली गर्म दोपहर के कुछ पल, कुछ ज़िंदगियों में बिना इजाज़त के कैमरे के लेंस से कैद हो गए और एक अख़बार में "जितनी छोटी, उतनी अच्छी" जैसे हैडलाइन के साथ सार्वजनिक रूप से छप गए.

हंगरी के प्रमुख टैब्लॉयड अख़बार मेट्रोपोल ने हाल ही में अपने एक कॉलम में बिना इजाज़त शॉर्ट स्कर्ट पहने महिलाओं की तस्वीरें छाप दी. ये तस्वीरें सबवे, सड़क और पब्लिक प्लेसेस पर ली गई थीं और महिलाओं को इसकी भनक तक नहीं थी. खबर छपी और इंटरनेट पर जैसे आग लग गई. आर्टिकल के टाइटल के नीचे लिखा था - 'यह फैशन के लिए तो सही हो सकता है, भले ही ज़िंदगी के लिए न हो.' इसके साथ ही पाठकों को भी ऐसी तस्वीरें भेजने के लिए प्रोत्साहित किया गया. एक ऐसा कदम जिसने महिला अधिकारों के लिए लड़ रहे कार्यकर्ताओं, आम नागरिकों और सोशल मीडिया यूज़र्स को एकजुट कर दिया.

ये मेरा शरीर है कोई देखने की चीज नहीं

जिस दिन यह आर्टिकल सामने आया, उसी शाम मेट्रोपोल के कार्यालय के बाहर दर्जनों प्रदर्शनकारी जमा हो गए. हाथों में तख्तियाँ थी जिसपर लिखा था - उत्पीड़न पत्रकारिता नहीं है, मेरा शरीर कोई चीज नहीं है, हम देखी जाने की चीज़ नहीं...लगभग 50-60 लोगों की भीड़ में गुस्सा, अपमान और ठुकराए जाने की भावना झलक रही थी.

महिलाओं को बनाया जा रहा है वस्तु

पेटेंट एसोसिएशन नाम के एक नागरिक अधिकार संगठन ने इस रिपोर्ट की कड़ी आलोचना की. उन्होंने इस आर्टिकल को 'घृणास्पद लैंगिकता और महिलाओं का वस्तुकरण' करार दिया. उनके बयान में लिखा था, 'यह आर्टिकल न केवल महिलाओं को वस्तु बनाकर पेश करता है, बल्कि ऐसे पुरुषों को बढ़ावा देता है जो महिलाओं की तस्वीरें चोरी-छिपे खींचते हैं. अब उन्हें छिपने की भी ज़रूरत नहीं है क्योंकि एक अख़बार खुद उनका स्वागत कर रहा है.'

अखबार ऐसे मर्दों को बढ़ावा दे रहा है

इसी फीचर में शामिल एक महिला ने सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती शेयर की. जिसने कहा, 'मैं यह जानकर चौंक गई कि मेरी तस्वीर अखबार में छप गई है बिना मेरी इजाज़त, बिना मेरी जानकारी के. यह अपमानजनक है कि कुछ लोग महिलाओं का मज़ाक उड़ाने में मज़ा लेते हैं और एक नेशनल लेवल का अख़बार इसे बढ़ावा देता है.' उसने आगे लिखा, 'किसी को भी यह हक नहीं कि वो मेरे कपड़ों पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करे. यह मेरा शरीर है और मेरी पसंद और इससे मुझे मजबूत महसूस होता है. अगर किसी को मेरा फैशन पसंद नहीं है, तो वो न देखें. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई मेरी तस्वीर खींचकर अख़बार में छाप दे.'

इंटरनेट पर भड़का गुस्सा

रेडिट और ट्विटर जैसे सोशल प्लेटफॉर्म्स पर सैकड़ों लोगों ने अपनी नाखुशी जाहिर की. एक यूज़र ने तीखे शब्दों में लिखा, 'क्या इस आर्टिकल का मकसद मेल रीडर्स को उत्तेजित करना था या फिर इन महिलाओं को शर्मिंदा करना? मुझे लगता है, दोनों ही.' दूसरे ने कहा, 'आज का सबसे 'घटिया काम' यही है जो मैंने देखा है.'

क्या यह महज़ एक कॉलम था या कुछ ज़्यादा?

एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह घटना सिर्फ एक मीडिया नैतिकता की गलती नहीं, बल्कि महिलाओं के शरीर को समाज में कैसे देखा जाता है, इसका रिफ्लेक्शन है. हंगरी की सत्तारूढ़ सरकार से अखबार के नज़दीकी संबंधों ने विवाद को और गहराया है. विरोध कर रहे लोगों को डर है कि जब सरकार-समर्थित संस्थाएं भी महिलाओं को वस्तु के रूप में दिखाने लगें, तो समाज की सोच किस ओर जा रही है?. पेटेंट एसोसिएशन ने अनाउंसमेंट की है कि वे उन सभी महिलाओं को कानूनी मदद देंगे जिनकी तस्वीरें उनकी मर्ज़ी के बिना ली गईं और पब्लिश की गई. साथ ही उन्होंने अन्य पीड़ितों को भी सामने आने और न्याय की मांग करने के लिए प्रेरित किया है.

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