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'अमेरिकन ड्रीम धीरे-धीरे बन रही चाइनीज रियलिटी', ट्रंप की नीतियों से पिछड़ा अमेरिका, नोबेल विजेता अर्थशास्‍त्री ने चेताया

नोबेल विजेता अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने अमेरिका की ऊर्जा नीतियों पर करारा प्रहार करते हुए कहा है कि चीन अब अमेरिका से दोगुनी बिजली पैदा कर रहा है, जिससे वह आर्थिक और तकनीकी रूप से आगे निकल गया है. उन्होंने ट्रंप प्रशासन की एंटी-रिन्यूएबल पॉलिसी को इस गिरावट का मुख्य कारण बताया, जिसने सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं को ठप कर दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, क्रुगमैन ने चेताया कि अगर यही हाल रहा, तो 2028 तक अमेरिका चीन से स्थायी रूप से पिछड़ जाएगा.

अमेरिकन ड्रीम धीरे-धीरे बन रही चाइनीज रियलिटी, ट्रंप की नीतियों से पिछड़ा अमेरिका, नोबेल विजेता अर्थशास्‍त्री ने चेताया
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( Image Source:  X/@IBEWREF )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 17 Oct 2025 11:17 AM

अमेरिका खुद को दुनिया का ऊर्जा महाशक्ति कहता है, लेकिन अब उसकी चमक फीकी पड़ती दिख रही है. नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने एक सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि चीन अब अमेरिका से दोगुनी बिजली पैदा करता है, और यही अंतर आने वाले वर्षों में वैश्विक शक्ति संतुलन को पूरी तरह बदल सकता है. क्रुगमैन के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन की “एंटी-रिन्यूएबल एनर्जी” नीति ने अमेरिका की तकनीकी और आर्थिक प्रगति को गहरी चोट पहुंचाई है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, क्रुगमैन ने अपने हालिया लेख में कहा कि चीन न केवल ऊर्जा उत्पादन में, बल्कि वास्तविक आर्थिक पैमाने (Purchasing Power Parity) के लिहाज से भी अमेरिका से आगे निकल चुका है. उन्होंने लिखा, “अमेरिका अब ‘स्पुतनिक मोमेंट’ नहीं, बल्कि एक ‘रिवर्स स्पुतनिक मोमेंट’ झेल रहा है, जहां हम चेतने के बजाय खुद को पिछड़ने के लिए तैयार कर चुके हैं.”

ऊर्जा में चीन की दोगुनी छलांग, अमेरिका की गिरती साख

क्रुगमैन के विश्लेषण के अनुसार, चीन अब वैश्विक ऊर्जा उत्पादन का केंद्र बन चुका है. जहां अमेरिका अपने पुराने ढर्रे और राजनीतिक झगड़ों में उलझा है, वहीं चीन ने कोयला, हाइड्रो, सोलर और न्यूक्लियर सभी क्षेत्रों में आक्रामक निवेश किया है. नतीजा यह है कि आज चीन की बिजली उत्पादन क्षमता अमेरिका से दोगुनी हो चुकी है. इसका मतलब है कि आने वाले दशक में चीन की औद्योगिक, डिजिटल और रक्षा शक्ति तीन गुना गति से बढ़ेगी और अमेरिका के लिए यह केवल “चेतावनी” नहीं बल्कि रणनीतिक हार का संकेत है.

ट्रंप की नीतियां बनीं अमेरिका के पतन का कारण

क्रुगमैन ने कहा कि अमेरिका में वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जिस तरह की कटौती की जा रही है, वह राष्ट्र के भविष्य को “सामरिक रूप से अपंग” बना रही है. उन्होंने लिखा, “‘डीप स्टेट’ और ‘वोकनेस’ जैसे काल्पनिक दुश्मनों से लड़ने के नाम पर ट्रंप प्रशासन ने असली प्रगति के मोर्चों को ही काट डाला है. वैज्ञानिक अनुसंधान से लेकर शिक्षा तक, सब पर हमला हो रहा है, जबकि क्रिप्टो इंडस्ट्री जैसे लोभी वर्गों को खुली छूट दी जा रही है.”

यह बयान उस समय आया है जब ट्रंप सरकार ने बाइडन युग के रिन्यूएबल एनर्जी टैक्स इंसेंटिव्स को रद्द कर दिया, जिससे सैकड़ों सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाएं ठप पड़ गईं.

रिन्यूएबल एनर्जी पर ट्रंप की ‘वेंडेटा’

क्रुगमैन ने इसे “ट्रंप की बदले की नीति” बताया. उन्होंने विस्तार से लिखा कि ट्रंप प्रशासन के “One Big Beautiful Bill” नामक विधेयक के ज़रिए न केवल कर प्रोत्साहन खत्म किए गए, बल्कि सीधे-सीधे पर्यावरण और ऊर्जा परियोजनाओं पर कुल 15 अरब डॉलर से ज्यादा की कटौती कर दी गई. एक बड़ा ऑफशोर विंड फार्म, जो लाखों घरों को बिजली देने वाला था, अब रद्द होने की कगार पर है. दो मिलियन घरों को बिजली देने वाला सोलर प्रोजेक्ट रद्द किया जा चुका है. $7 अरब डॉलर के घरेलू सोलर पैनल ग्रांट्स और $8 अरब डॉलर की क्लीन एनर्जी फंडिंग को रोक दिया गया है. सबसे अधिक असर डेमोक्रेटिक राज्यों पर पड़ा है, जहां अधिकांश पर्यावरण परियोजनाएं केंद्र की स्वीकृति पर निर्भर थीं. क्रुगमैन के मुताबिक, यह सब अमेरिका के “एनर्जी लीडरशिप” को कमजोर करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है.

ऊर्जा मंत्री का तर्क और उसका पर्दाफाश

अमेरिका के ऊर्जा सचिव क्रिस राइट ने इन फैसलों का बचाव करते हुए कहा, “सौर ऊर्जा अविश्वसनीय है. जब सूरज बादलों में छिपता है या डूब जाता है, तो पावर बंद हो जाती है.” लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह बयान तकनीकी रूप से गलत है. कैलिफ़ोर्निया जैसे राज्यों ने बैटरी स्टोरेज तकनीक के ज़रिए सौर ऊर्जा को रात में भी स्थिर रूप से आपूर्ति करने की क्षमता हासिल कर ली है. इससे साबित होता है कि ट्रंप प्रशासन की नीति विज्ञान-विरोधी राजनीति का एक उदाहरण मात्र है.

2028 तक चीन से पूरी तरह पिछड़ने की चेतावनी

क्रुगमैन ने कहा कि अगर यही हालात रहे, तो 2028 तक अमेरिका चीन से अपूरणीय रूप से पीछे छूट जाएगा. उनके शब्दों में, “क्या इसका मतलब है कि अमेरिका वैश्विक नेतृत्व की दौड़ हार चुका है? हां. यह दौड़ लगभग खत्म हो चुकी है. अगर 2028 में ट्रंप और उनकी टीम सत्ता खो भी दें, तब भी नुकसान इतना गहरा होगा कि उसकी भरपाई असंभव होगी.”

“सपनों के अमेरिका” को जगना होगा

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर अमेरिका ने जल्द ही नीतिगत सुधार नहीं किए, तो “अमेरिकन ड्रीम” धीरे-धीरे “चाइनीज रियलिटी” में बदल जाएगा. ट्रंप के कार्यकाल की ऊर्जा नीतियों ने न केवल वैश्विक पर्यावरण संकट को बढ़ाया है, बल्कि अमेरिका को तकनीकी रूप से पिछड़ा राष्ट्र बना दिया है. आज चीन दो गुना बिजली बना रहा है, कल वह चार गुना आर्थिक ताकत भी हासिल कर सकता है. यह वो वक्त है जब अमेरिका को दूसरों को दोष देने के बजाय खुद अपने ट्रंप-निर्मित अंधेरे से बाहर निकलना होगा.

डोनाल्ड ट्रंप
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